ग्वालियर में आलोक श्रीवास्तव की पढ़ी हुई गजल को चुराया
चोरी की गजल से शोहरत पाई मुनव्वर राणा ने - दिनेश राव
वेबडेस्क। जिस गजल को लेकर नामचीन शायर मुनव्वर राणा ने देश भर में शोहरत हासिल की, वह गजल उनकी नहीं बल्कि विदिशा के शायर व गीतकार आलोक श्रीवास्तव ने सालों साल पहले लिखी थी। मां शीर्षक से लिखी गई यह गजल आलोक श्रीवास्तव ने 2001 में ग्वालियर में ही आयोजित एक कवि गोष्ठी में पढ़ी थी। इस गोष्ठी में मुनव्वर राणा भी उपस्थित थे। इस कविता पर आलोक श्रीवास्तव को उपस्थित श्रोताओं की काफी वाहवाही भी मिली थी।
स्वदेश से हुई बातचीत में गीतकार व शायर आलोक श्रीवास्तव का कहना है इस बाबत उन्होंने मुनव्वर राणा को कई बार पत्र लिखे लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। उनका जवाब न देना ही यह साबित करता है कि इस गजल पर मेरा अधिकार है। उन्होंने इसे कापी कर कुछ शब्दों में बदलाव कर वाहवाही लूटी। इसके लिए मुनव्वर राणा को सार्वजनिक रुप से माफी मांगनी चाहिए। आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि मैने जो कविता लिखी थी, उसका शीर्षक मेरे हिस्से अम्माआई, जबकि मुनव्वर राणा ने इसका शीर्षक बदल कर मेरे हिस्से में मां आई पढ़कर झूठी वाहवाही लूटी।
आलोक श्रीवास्तव बताते हैं कि कई बार ऐसा भी हुआ कि जब मुनव्वर राणा इस गजल को पढ़ते थे तो मंच पर बैठे तमाम शायर व श्रोता यह कहकर उन्हें टोकते भी थे कि यह गजल तो आलोक श्रीवास्तव ने लिखी है लेकिन वे इस पर ध्यान दिए ही पढ़ते रहे और चोरी की गई इस गजल के आधार पर देश के नामचीन शायरों में शुमार हो गए।
आइये देखते हैं कि किस तरह से आलोक श्रीवास्तव की लिखी इस गजल के कुछ शब्दों में फेरबदल कर मुनव्वर राणा ने इसे भुनाया और बड़े बड़े मंचों पर चोरी की गई इस गजल को पढ़कर झूठी वाहवाही बटोरी।
आलोक श्रीवास्तव की लिखी कविता अम्मा की पंक्तियाँ इस तरह हैं-
बाबूजी गुजरे..आपस में सब चीजें तकसीम हुईं।
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा ।
मुनव्वर राना ने जिस गजल को हमेशा अपना बताया है वो इस तरह से है।
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई।
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।
दोनों की गजल में काफी समानता है। लेकिन आलोक श्रीवास्तव ने इसे पहले लिखा और बाद में थोड़ा बहुत हेरफेर कर इसे कापी पेस्ट करते हुए मुनव्वर राणा ने पढ़ा।
2001 में कला वीथिका में हुई इस कवि गोष्ठी में ग्वालियर के ही दो और नामचीन शायर अतुल अजनबी और मदन मोहन दानिश भी मौजूद थे। इस संबंध में अतुल अजनबी से जब बातचीत की गई थी तो उनका कहना था कि सबसे पहले यह गजल आलोक श्रीवास्तव ने ग्वालियर में पढ़ी थी, इस गोष्ठी में मुनव्वर राणा भी उपस्थित थे। इसके तीन साल बाद मुनव्वर राणा ने शेर पढ़ा। इसकी विषयवस्तु आलोक श्रीवास्तव की गजल से काफी मिलती जुलती थी। वहीं मदन मोहन दानिश का कहना है कि यह सच है कि इस गजल को आलोक श्रीवास्तव ने सबसे पहले ग्वालियर में पढ़ा था। इसके बाद मुनव्वर राणा ने पढ़ा।
उल्लेखनीय है कि आलोक श्रीवास्तव का नाम देश के मशहूर याति प्राप्त शायरों में शामिल है। जगजीत सिंह, अमिताभ बच्चन, मालिनी अवस्थी सहित कई गायक आलोक श्रीवास्तव के लिखे गीतों और गजलों को सुर दे चुके हैं।
मुनव्वर राणा का विवादित ट्वीट
मुनव्वर राणा का विवादों से पुराना नाता रहा है। सुर्खियों में बने रहने के लिए मुनव्वर झूठ बोलने से पीछे नहीं हटते। हाल ही में उन्होंने एक ट्वीट किया जिसे लेकर वे एक बार फिर से विवादों में है। यह ट्वीट था भारत में 35 करोड़ इंसान और 100 करोड़ जानवर रहते हैं। इसके साथ ही मुनव्वर राणा ने लिखा है कि ये 100 करोड़ चुनावों में वोट देने के काम आते हैं।
दिनेश राव