अखंड भारत : विश्व शांति का अंतिम विकल्प
डॉ.रामकिशोर उपाध्याय, अ.भा.कवि एवं स्तंभकार
भारत सैकड़ों वर्ष तक गुलाम रहा यह तो रोज ही रटाया जाता है किन्तु भारत हजारों वर्षों तक अखंड और विश्व विजेता रहा इस बात की चर्चा करने पर भी विरोध या उपहास किया जाता है क्यों ? यदि इतिहास ने हमें चार पाँच सौ वर्षों की पराधीनता के अतिरिक्त हजारों वर्ष का गौरवशाली अतीत दिया है तो हम उसका पुण्य स्मरण क्यों न करें |
14 अगस्त 1947 के दिन भारत का अंतिम विभाजन (पाकिस्तान का अलग होना) हुआ था | अतः कुछ लोगों को ऐसा भ्रम हो सकता है और है भी, पाकिस्तान को सैन्य शक्ति द्वारा जीतकर उसे भारत में मिलाने की कामना से ही राष्ट्रप्रेमी संगठन अखंड भारत दिवस का आयोजन करते हैं | कुछ लोग तो बिना सोचे-समझे ही इसके विरोध में टीका-टिप्पणी करने लगते हैं कि भले ही सन् 1857 से पूर्व तक अफगानिस्तान, तिब्बत,म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि भारत के ही भाग थे किन्तु आज इन्हें किसी सैन्य शक्ति के द्वारा जीत कर पुनः पहले की भाँति अखंड भारत का निर्माण कर लेना असंभव हैं | कई बार राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े लोगों के मन में भी इसे लेकर संशय उत्पन्न हो जाता है | वे भी पूछ लेते हैं कि यह कैसे संभव है |
सर्वप्रथम मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि अखंड भारत दिवस भारत से प्रथक हुए भू-क्षेत्रों/देशों को पुनः प्राप्त करने के लिए किसी सैन्य अभियान के संकल्प का दिवस नहीं है | अखंड भारत दिवस का उद्देश्य भारत से प्रथक हुए लगभग दर्जन भर छोटे-बड़े देशों में भारत की राजनीतिक या सैन्य सत्ता स्थपित करने की भी नहीं है | अखंड भारत दिवस की आवश्यकता,उपयोगिता और संभावना को ठीक से समझ लेने के लिए इस विषय को ठीक से समझ लेने की आवश्यकता है |
मेरा पहला प्रश्न यह है कि भारत से प्रथक होने के पश्चात ऐसा कौनसा देश है जो शांति पूर्वक, स्थिरता से रह पा रहा है ? अखंड भारत से प्रथक हुआ ऐसा कौनसा खंड है जिसे वैश्विक स्तर पर भारत से अधिक सम्मान मिल रहा है ? प्रथक होनेवाले देशों के मूल निवासियों के धर्म, संस्कृति और आचरण की स्थिति क्या है ? किसी भी देश में होने वाले उत्पीड़न पर मानवाधिकार जैसी विश्व स्तरीय संस्थाएँ संज्ञान लेती हैं | किसी भी देश में बिलुप्त होती जातियों,संस्कृतियों की चिंता करना और उनका संरक्षण करने का संकल्प भी संसार के सभी सभ्य देश करते ही हैं किन्तु यदि बिलुप्त होती संस्कृति भारतीय हो,धर्म हिन्दू (सनातन,सिक्ख,बौद्ध जैन आदि भातीय धर्म ) हो और पुरातात्विक स्थान किसी भारतीय गौरव या आस्था से जुड़ा हो तो उसकी चिंता तो दूर चर्चा करना भी आवश्यक नहीं मना जाता क्यों ?
महाभारत कालीन 16 महाजनपदों में से एक गांधार (शकुनि का देश,दुर्योधन का ननिहाल ) हजारों वर्ष से भारत का ही भाग था किन्तु लगभग दो सौ वर्षों से वह भारत से प्रथक है| अब वहाँ हिन्दुओं की संख्या न के बराबर है क्यों ? जब तक वहाँ भारतीय विचार पद्धति से शासन हुआ तब तक गांधार फूलता-फलता रहा किन्तु जैसे ही वह भारत से कट कर कट्टर इस्लामिक विचार पद्धति पर आरूढ़ हुआ वहाँ महाविनाश का तांडव आरंभ हो गया | आज अमेरिका सहित पूरा संसार धन और बल खर्च करके भी वहाँ शांति स्थापित नहीं कर पा रहा | तालिबान पूरी दुनिया के लिए गंभीर समस्या बन गए हैं | अफगानिस्तान प्रथक होकर भी यदि भारत और भारतीय विचार परम्परा से जुड़ा रहता तो उसे और पूरी दुनिया को ये दिन न देखने पड़ते |
दूसरा उदाहरण है पाकिस्तान | इसने भी भारतीय विचार पद्धति से नाता तोड़ स्वयं को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर लिया | परिणामस्वरुप पहले दो टुकड़ों, पाकिस्तान और बांग्लादेश में टूटा अब तीन टुकड़े और होने की ओर है | वह चीन की गुलामी करने को विवश है | वहाँ फ़ौज और आतंकवादियों का ही मूल शासन है | पाकिस्तान आतंकवाद की फेक्ट्री बन कर रह गया है |
तीसरा प्रश्न है,भारत से प्रथक हुए देश भारत से ही शत्रुता कर रहे हैं क्यों ? इसाई मिशनरियाँ, इस्लामिस्ट और कम्युनिस्ट भरत को तोड़ना और कन्वर्ट करना चाहते हैं | इन तीनों के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है भारतीय जीवन पद्धति और हिन्दू धर्म | वे हिन्दू धर्म को हीन और संकुचित अर्थों में दिखाना चाहते हैं | महाभारत काल से लेकर हजारों वर्ष तक जिस विचार,संस्कृति और जीवन पद्धति ने इस विशाल भारत को एकता के सूत्र में बांधे रखा,हमारे सभी पड़ौसी एक ही सनातन संस्कृति से जुड़कर हजारों वर्ष तक शान्ति और भ्रातृत्व से जिए हैं इस बात के स्मरण का दिवस ही अखंड भारत दिवस है |
विश्व को शांति और कल्याण का मार्ग दिखाने वाले भारत से प्रथक हुए कुछ देश भी विश्व शांति और मानवता के शत्रु बने हुए हैं इन्हें पुनः सुमार्ग पर लाने का कोई उपाय है किसी के पास ? अमेरिका धन और बल का प्रयोग करके हार गया (भले ही कभी उसी ने इन्हें उकसाया था) . भारत जब अपने पूर्ण वैभव पर था तब वह चाहता तो अपने भुजबल से पूरे संसार को सनातन धर्म में दीक्षित कर सकता था किन्तु उसने ऐसा कभी नहीं किया | अतः अखंड भारत का अर्थ है भारत के उन सभी प्राचीन भू भागों (जो आज प्रथक देश हैं ) के उद्धार,मार्गदर्शन और बंधुत्व की कामना |
इन देशों में शांति स्थापित हो और ये सभी भारत से सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से जुड़ें इसमें किसी को क्या हानि है ? इन देशों में इनके पूर्वजों के जो धर्मिक और संस्कृतिक चिन्ह शेष हैं ये लोग उनका सम्मान करके भी उनसे प्रेरणा ले सकते हैं | ऐसा करने से इन देशों का भारत से जुड़ाव बढ़ेगा इसमें भारत और उसके पड़ौसी दोनों का ही हित है | एशिया या जम्बूद्वीप सहित पूरे विश्व में शांति स्थापित करने का एक मात्र उपाय है अखंड भारत की परिकल्पना यदि योरोपीय देशों का संगठन हो सकता है तो भारतीय देशों का क्यों नहीं ? भिन्न शासन,भिन्न पूजा पद्धति के बाद भी हम सब एक संगठित शक्ति के रूप में एकत्र हो सकते हैं |
समय गतिशील है हजारों वर्षों तक भातीय जीवन पद्धति से जीने वाले लोग आज शत्रु रूप में रह रहे हैं किन्तु यह समय भी सदैव ऐसा ही नहीं रहेगा | चीन,अमेरिका और रूस के चंगुल से मुक्ति मिलने और भारत के और शक्ति संपन्न होने पर भारत ही इनके और विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा इसके लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भारत के अखंड स्वरुप का स्मरण कराते रहें |