'अनायास नहीं, पूर्व नियोजित था दिल्ली का दंगा'
दिल्ली हिंसा पर आयोजित वेबिनार में विषय विशेषज्ञों ने कहा
ग्वालियर। भारत प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड एवं स्वदेश समूह ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में दिल्ली हिंसा पर आयोजित की गई एक वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि देश की राजधानी में हुई हिंसा एक विशेष वर्ग को भड़काने के कारण ही हुई थी। इसके लिए आतंकी संगठनों से संबंध रखने वाले संगठनों ने आर्थिक सहयोग किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में समाज को सचेत होने की आवश्यकता है।
वेबिनार में पूर्व आईपीएस केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के पूर्व महानिदेशक दीपक मिश्रा कहते हैं कि यह समाज का दुर्भाग्य है इतनी प्रगति करने के बाद भी कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं। वे कहते हैं कि जब बार-बार किसी समाज से यह कहा जाता है कि आपके साथ यह गलत हो रहा है, तो फिर आक्रोश पैदा होता है। श्री मिश्रा स्पष्टता के साथ मानते हैं कि दंगा प्रशासन के लिए एक चुनौती है। इसे रोकने के लिए इच्छाशक्ति होना चाहिए। इसके लिए समाज को भी सचेत होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने वेबिनार में शामिल हुए वरिष्ठ पत्रकारों के प्रश्नों के भी उत्तर दिए।
वेबिनार के एक और प्रमुख वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज अरोड़ा मानते हैं कि पूर्व में दिल्ली दंगों के बारे में यह भी भ्रम उत्पन्न करने का प्रयास किया कि यह दंगा है भी या नहीं। लेकिन परिस्थिति के अनुसार जो तथ्य सामने आए, उससे तो यही माना जाएगा कि दिल्ली का दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था। इसके लिए पहले से योजना बनाईं गईं। बैठकें भी हुईं। श्री अरोड़ा कहते हैं कि देश में एक नैरेटिव बनाने का प्रयास किया गया। देश के लिए सबसे खतरनाक तथ्य यह है कि इसमें शामिल कई व्यक्तियों के संबंध विदेशी आतंकियों से निकले हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग वर्तमान में मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से भी मनमाफिक नैरेटिव खड़ा करने का प्रयास करते हैं। यहां तक कि सर्च इंजन में शिखर पर कौन सी खबरें आना चाहिए, यह भी यही शक्तियां तय करती हैं।
कार्यक्रम का संचालन पांचजन्य के संपादक हितेष शंकर ने किया तथा सभी का आभार स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे ने किया। इस वेबिनार में यूएनआई के सचिन जी, अरुण आनंद, अश्विनी मिश्र, नीलू रंजन जी आदि शामिल रहे।
आतंक फैलाने के लिए हुई फंडिंग
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता नीरज अरोड़ा ने उत्तरप्रदेश में दंगा फैलाने वाले पीएफए ने दिल्ली के दंगों को पैसा देकर हवा पानी देने का प्रयास किया। राजनीतिक पृष्ठभूमि के मुस्लिम कार्यकर्ताओं के नाम भी इसमें सामने आए। इन्होंने दिल्ली में दंगा फैलाने के लिए बैठकें भी की। घरों पर ईंट पत्थर एकत्रित किए। यह सब यही संकेत करते हैं कि यह सभी हमले लक्ष्य बनाकर ही किए गए।
ट्रम्प के दौरे के दिन ही दंगा क्यों?
श्री नीरज अरोड़ा कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के समय जो दंगे किए गए, वह भारत को विश्व में बदनाम करने का ही षड्यंत्र था। इस पूरे दंगे में ताहिर हुसैन का नाम सामने आया। इसका कारण यह था कि उन्होंने 23 फरवरी को भारत बंद करने का ऐलान किया और 24 फरवरी को दंगे कराने का बयान दिया। इसके लिए दंगे कराने वालों की बैठकें जनवरी से ही प्रारंभ हो गई थीं।
पीपीटी के माध्यम से दिखाए तथ्य
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री अरोड़ा ने अपने वक्तव्य से पूर्व पीपीटी के माध्यम से दिल्ली दंगों की आंकड़ों की कहानी प्रस्तुत की। यह प्रस्तुति इतनी प्रभावी थी कि जिसने भी देखा, वह एक गंभीर फिल्म की तरह इसे देखता ही रह गया। पीपीटी में दिल्ली के दंगों को एक सुनियोजित साजिश मानने को बल मिलता है। किस दिनांक और किस समय पर किसने क्या कहा यह सब इस पीपीटी में बताया गया।