विवादों का खरीदार बिगबॉस नया सामान लेकर आया है। बाजार से पैसा कूटने के लिए अब सुखविंदर कौर को आगे किया है। अब राधे मां का नाम धरके जब सुखविंदर बिगबॉस में तमाशा करेगी तो मीडिया में राधेमां के नाम से उसके चर्चे होंगे। आप और हममें से करोड़ों कलर्स पर चले जाएंगे और बस बिगबॉस को टीआरपी मिल जाएगी। कलर्स ये बेचकर बाजार से माल कमा लेगा तो माल कमाने राधे मां के नाम पर अब तमाशा शुरु हो गया है।
वास्तव में मनोरंजन चैनल और सलमान खान जैसे अभिनेता बिग बॉस के नाम पर भारतीय समाज का दोहन कर रहे हैं। हर विवाद चर्चा में आता है और बिगबॉस सिर्फ इसी थ्योरी पर चलने वाला शो है। जरा बताइए उसमें क्या अच्छा और रोचक दिखाया जाता है। आपको कुछ नजर नहीं आएगा। केवल आपसी लड़ाई झगड़े, अश्लीलता गालियां और इसी तरह का बहुत कुछ। दरअसल ये सेलीब्रिटी से ओछी हरकत कराता है और इसके बदले उन्हें जमकर पैसा देता है। पहले पैसा देता है फिर उसी विवाद को बेचकर फिर हजारों गुना पैसा विज्ञापनों से कमाता है। वो तो अगर भारत में विज्ञापनों और फिल्मों पर मौजूदा कानून काम न कर रहे होते तो सिनेमा और टीवी के पर्दे पर वो सब कुछ दिखा दिया जाता जो अभी तक प्रतिबंधित है।
असल में बाजार और बाजार जनित चैनल और उसके कर्ताधर्ता इसी तरह निरंकुश होते जा रहे हैं। वे पहले अनूप जलोटा की हिन्दू भजन सम्राट की छवि नीलाम करने आए थे। याद कीजिए प्रौढ़ अनूप जलोटा और युवा जसलीन मथुरा की प्रेम कहानियां रचकर किस कदर विवाद रचा गया था और विवाद के चलते लोगों में बिगबॉस देखने की सनसनी लायी गयी थी। आज कहां अनूप जलोटा हैं और कहां जसलीन मथारु हैं क्या कलर्स को पता है और क्या बिगबॉस को पता है। असल में न हमे पता है और इन्हें पता है। टीवी पर बेचने ये विवाद करोड़ों देकर खरीदे गए थे और उन्हें मुनाफे के साथ बाजार को बेच दिया गया। पैसा कलर्स ने कमाया, बिगबॉस ने कमाया, सलमान ने कमाया मगर दिमाग फिर हमने क्यों खपाया। हां हमने खपाया क्योंकि विवाद के प्रति कौतुहल की हमारी भावना पर कलर्स व्यापार कर रहा है। मानवीय जीवन में जिज्ञासाओं के साथ दमित इच्छाओं और कामनाओं का भी किसी कोने में वास होता है। विचार और संस्कार से इनका नियंत्रण बना रहता है। हमारी संस्कृति क्या करें और क्या न करें इसका ज्ञान हमें हमेशा कराती रहती है। जिस साधु संत और भगवावेश में ज्ञानी लोग हमारा मार्गदर्शन करते आए हैं आज उन्हें सुखविन्दर कौर जैसे लोगों ने पहल लिया है। ये भगवा पहनकर उसकी मर्यादा को छलनी कर रहे हैं। संतों सरीखे राधे मां नाम रखकर हम सबको ठग रहे हैं इसलिए सुखविन्दर कौर को राधे मां नहीं सुखविन्दर कौर ही बोलिए। ये माता की चुनरी ओड़कर तरह तरह के रुप रखने वाले मनोरंजक कलाकार से ज्यादा कुछ नहीं है। इन्हे कार्य और विचार साधु संतों से एकदम अलग हैं इसलिए इन्हें राधे मां का संबोधन देकर न खुद ठगिए और दूसरों को भी ठगने से बचाइए।