वर्ल्ड होम्योपैथी डे : जर्मनी से भारत तक होम्योपैथी का सफर

Update: 2020-04-10 07:21 GMT

वेबडेस्क। विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुअल हैनीमैन का जन्म हुआ था।  उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस दिन विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है।  डॉ हैनिमेन एक जर्मन चिकित्सक थे, जिनका जन्म फ़्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ था। वह एक चिकित्सक होने के साथ एक प्रशंसित वैज्ञानिक, एक महान विद्वान और भाषाविद थे। 2 जुलाई, 1843 को उनका निधन हो गया। होम्योपैथी जागरूकता सप्ताह 10 अप्रैल से 16 अप्रैल, 2020 तक है।  

होम्योपैथी क्या है?

डॉ सैमुअल हैनीमैन ने  सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरान्टुर 'के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। जोकी होम्योपैथी का प्रमुख सिद्धांत है, इस सिद्धांत के अनुसार जिस दवाई से जिस बीमारी के लक्षण शरीर में उत्पन्न होते है, उसी दवा से उस बीमारी का इलाज संभव है।  

 होमियोपैथी का इतिहास -

होमियोपैथी पद्धति की खोज की खोज डॉ सैमहुल हैनीमैन ने की थी जो एक महान वैज्ञानिक और एक चिकित्सक थे। हैनिमैन के पास एमडी की डिग्री थी। बाद में, शमूएल ने अनुवादक के रूप में काम करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। फिर उन्होंने कई भाषाओं जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच, इतालवी, ग्रीक और लैटिन में चिकित्सा, वैज्ञानिक पाठ्यपुस्तकों को लिखा।उन्होंने इस पद्धति की खोज के लिए  अपने ऊपर प्रयोग किया। उन्होंने सबसे पहले सिनकोना दवा के प्रभावों का अध्ययन करना शुरू कर दिया। अध्ययन के बाद, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि सिनकोना दवा एक स्वस्थ मानव शरीर में मलेरिया के लक्षणों को उत्पन्न कर सकती है।  इसी प्रयोग से होम्योपैथी के सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरान्टुर सिद्धांत उतपन्न हुआ जिसके अनुसार जो दवा जिस बीमारी के लक्षण शरीर में देती है वह उस बीमारी का इलाज करती है। इसी प्रयोग के सफल होने के साथ वैकल्पिक प्रणाली होम्योपैथी का जन्म हुआ।  

भारत में होम्योपैथी- 

होम्योपैथी भारत में सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के इलाज के लिये भारत में सबसे पहले होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का प्रयोग भारत में हुआ। इसकी सफलता देखकर पश्चिम बंगाल में इस पद्धति पर व्यवस्थित काम शुरू हुआ। धीरे-धीरे अब पूरे भारत में इस पद्धति का फैलाव हुआ। भारत में 1971 में होम्योपैथिक फार्माकोपिया बना और भारत सरकार ने होम्योपैथी को 1972 में मान्यता दे दी। उसके बाद केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद और केन्द्रीय अनुसंधान परिषद की भी स्थापना की गई।2020 का विषय "सार्वजनिक स्वास्थ्य में होम्योपैथी के दायरे को बढ़ाना" है। यह आयुष में औषधि प्रणालियों में से एक है- 'आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी मंत्रालय।

कोरोना संक्रमण के लिए- 

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इस पद्धति ने आर्सेनिक अल्बम 30 दवा लेने के सुझाव दिया था। होमियोपैथी चिकित्स्कों के अनुसार इस दवा की दस बूंदे तीन दिन तक लेने से कोरोना संक्रमण का खतरा काम हो जाता है। 


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