चांद का माइनस 253 डिग्री तापमान, यूं सोता दिखा चंद्रयान-3 का व‍िक्रम लैंडर

Update: 2023-09-13 20:35 GMT

नई दिल्ली। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित शिव शक्ति पॉइंट की सतह पर सोते हुए भारत के चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की एक नई तस्वीर सामने आई है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तस्वीर दक्षिण कोरिया के डेनुरी ऑर्बिटर ने खींची है। इस तस्वीर में विक्रम लैंडर एक छोटे से बिंदु की तरह दिखाई दे रहा है। दक्षिण कोरिया के पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर को आधिकारिक तौर पर डेनुरी के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण कोरिया का पृथ्वी के बाहर पहला अंतरिक्ष मिशन है। इस ऑर्बिटर को एलन मस्क के रॉकेट से 4 अगस्त 2022 को भेजा गया था।

नासा के अनुसार, दक्षिण कोरियाई रॉकेट अब चंद्रमा की सतह की जांच कर रहा है और भविष्य के मिशनों के लिए संभावित लैंडिंग स्थलों की पहचान कर रहा है। इस दक्षिण कोरियाई ऑर्बिटर, डेनुरी से एकत्र किया जा रहा डेटा नासा के आर्टेमिस मिशन की योजना बनाने में मदद करेगा। नासा इस मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर भेजने जा रहा है। नासा का इरादा चंद्रमा पर बर्फ का पता लगाने और वहां बस्तियां बसाने की संभावना तलाशने का है। डेनुरी ऑर्बिटर ने भारत के चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तस्वीर खींची है।

विक्रम को चंद्रमा पर 'हीटर' की जरूरत थी

चंद्रमा पर रात होने के कारण विक्रम लैंडर पूरी तरह अंधेरे में चुपचाप पड़ा हुआ है। इसरो वैज्ञानिकों समेत दुनिया को उम्मीद है कि चंद्रमा पर दिन शुरू होने के बाद चंद्रयान 3 को एक बार फिर जगाया जा सकेगा। इसरो वैज्ञानिक जल्द ही इसे जागृत करने का प्रयास करेंगे। इस वक्त चांद पर तापमान माइनस 253 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। न तो विक्रम लैंडर और न ही प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर जीवित रहने के लिए आवश्यक हीटर से सुसज्जित हैं, जिसके कारण उन्हें कठोर ठंड सहनी पड़ती है। ये हीटर अंदर गर्मी प्रदान करते रहते हैं ताकि इसमें लगा हार्डवेयर काम करता रहे। इसके लिए वे प्लूटोनियम या पोलोनियम का उपयोग करते हैं।

यह अंतरिक्ष यान के हार्डवेयर की सुरक्षा करता है और अत्यधिक ठंड में भी यह सुरक्षित रहता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस हीटर के बिना विक्रम लैंडर के जीवित रहने की संभावना अब केवल किस्मत पर निर्भर करेगी। इससे पहले लूनोखोद 1 रोवर चंद्रमा पर 10 महीने तक सक्रिय रहा था और 10 किमी तक की यात्रा भी की थी। यह सौर ऊर्जा से चलता था। पोलोनियम 210 रेडियोआइसोटोप हीटर की मदद से इसे रात में भी ऊर्जा की आपूर्ति की जाती थी।

जब प्रज्ञान जीवित था तो इसरो वैज्ञानिकों ने क्या कहा था?

ऐसा ही हीटर चीन के रोवर चांग ई3 पर भी लगाया गया है। सोने से पहले चंद्रयान 3 के रोवर प्रज्ञान की बैटरी फुल चार्ज हो गई थी। इसरो वैज्ञानिक अरुण सिन्हा के मुताबिक, इस बात की बहुत कम संभावना है कि प्रज्ञान की बैटरी बची रहेगी और वह अगले 14 दिनों तक काम कर सकेगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो प्रज्ञान भारत के दूत के रूप में चंद्रमा की सतह पर मौजूद रहेगा।

जब प्रज्ञान जीवित था तो इसरो वैज्ञानिकों ने क्या कहा था?

ऐसा ही हीटर चीन के रोवर चांग ई3 पर भी लगाया गया है। सोने से पहले चंद्रयान 3 के रोवर प्रज्ञान की बैटरी फुल चार्ज हो गई थी. इसरो वैज्ञानिक अरुण सिन्हा के मुताबिक, इस बात की बहुत कम संभावना है कि प्रज्ञान की बैटरी बची रहेगी और वह अगले 14 दिनों तक काम कर सकेगी. यदि ऐसा नहीं हुआ तो प्रज्ञान भारत के दूत के रूप में चंद्रमा की सतह पर मौजूद रहेगा।

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