Bhopal News: भोपाल में 13 साल के बच्चे की मौत के लिए क्या 'सिस्टम' पर चलेगा हत्या का प्रकरण? DJ की तेज आवाज में थम गई थी धड़कनें
Bhopal News : भोपाल। सरकारी 'सिस्टम' के लिए आम आदमी के बच्चे की मौत, सिर्फ एक मौत का आंकड़ा है लेकिन राजधानी में बीते दिन जिस तरह से 13 साल के बच्चे की डीजे की तेज आवाज में नाचते समय दिल की धड़कनें बंद हुईं, यह घटना पूरे सिस्टम को झकझोरने वाली है। सर्वोच्च न्यायालय से लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार तक ने लाउडस्पीकर की आवाज नियंत्रण के लिए तमाम आदेश-निर्देश जारी कर रखे हैं। बावजूद इसके नियमों, आदेश-निर्देश सभी को ताक पर रखकर आम आदमी की जान से खिलवाड़ किया जाता है। राजधानी में सिस्टम की घनघोर लापरवाही से ये सभी आदेश हवा में है।
नियमानुसार प्रशासन को ध्वनि प्रदूषण के लिए शहर को औद्योगिक, व्यावयासिक, आवासीय एवं शांत क्षेत्र में बांटकर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के लिए गति तय करनी थी। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद इसकी जिम्मेदारी पुलिस की है। पर पुलिस और प्रशासन दोनों को ही इसका अता-पता नहीं है।
राजधानी में प्रतिमा विर्सजन के लिए डीजे की धुन पर चल समारोह निकल रहा था। तभी 13 साल का बच्चा समर बिल्लोरे घर से निकलकर समारेाह में शामिल हो गया। डीजे के तेज शोर में नाचते-नाचते उसकी सांसें थम गईं। परिजनों का आरोप है कि बच्चे के गिरने के बाद भी डीजे बंद नहीं किया गया।
मृतक के भाई अमन बिल्लौरे ने बताया कि जब डीजे दूर था, तब आवाज कम थी। जब पास आया तब डीजे वाले ने आवाज और तेज कर दी। बच्चे की मां क्षमा बिल्लौर ने बताया कि बेटे को हार्ट की समस्या पहले से थी लेकिन अभी वह एकदम फिट था। यदि डीजे की तेज आवाज में नहीं जाता तो शायद वह जिंदा होता। खास बात यह है कि डीजे की तेज आवाज में बच्चे की मौत की खबर को 'मध्य स्वदेश' ने सबसे पहले प्रमुखता से उठाया था।
सिस्टम की बड़ी लापरवाही, न पीएम न एफआईआर :
बच्चे की मौत के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर सिस्टम की लापरवाही जिम्मेदार है। मौत के बाद भी सिस्टम ने जमकर लेतलाली की। न तो पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया और न ही बच्चे का पीएम कराया। अब बच्चे की मौत का असल कारण कैसे सामने आएगा। डीजे की आवाज में बच्चे की मौत के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों का पालन करने के संबंध में जिलाधीश भोपाल और पुलिस आयुक्त भोपाल दूरभाष पर उपलब्ध नहीं हुए।
ध्वनि नियंत्रण के लिए यह है सिस्टम की जिम्मेदारी :
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार ध्वनि विस्तारण यंत्रों के मापदंड है। ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए औद्योगिक क्षेत्र में ध्वनि दिन में 75 और रात में 70 डेसीमल से अधिक न हो। व्यावयासिक क्षेत्रों में 65 और 55, आवासीय क्षेत्रों में 55 और 45, जबकि शांत क्षेत्रों के लिए 50 और 40 डेसीमल की सीमा निर्धारित है। राजधानी में इसका कोई चिन्हांकन ही नहीं किया गया। क्योंकि ग्राम एवं नगर निवेश तथा स्थानीय निकायों द्वारा आवासीय क्षेत्रों में ही व्यावसायिक भवनों के निर्माण एवं गतिविविधियों की अनुमति दी जा रही है।