Maladevi Temple Madhya Pradesh: मध्‍यप्रदेश के माला देवी मंदिर के बारे में ये बातें आपके कर देंगी हैरान...

Update: 2024-05-16 12:34 GMT

Maladevi Temple Madhya Pradesh:  मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के गढ़ा ब्राह्मण मोहल्ला में मालादेवी की प्रतिमा 14 सौ साल से है। वैसे तो इस पावन धरती पर भक्तों का तांता हमेशा से लगा रहता है लेकिन सबसे ज्यादा श्रद्धालु नवरात्र के दिनों में उमड़ते हैं। भक्तों के मुताबिक, इस मंदिर की खास बात यह है कि मां दिनभर में तीन बार अपना रंग बदलती हैं।

क्या है मालादेवी मंदिर का तिहास? History of Maladevi Temple

कहा जाता है कि मालादेवी की पूजा छठी शताब्दी से की जा रही है। वह कल्चुरी हैहय चंदेल क्षत्रिय वंश की कुल देवी हैं। माला देवी भगवती महालक्ष्मी का स्वरूप हैं। यह भी कहा जाता है कि गोंडवंश की रानी वीरांगना दुर्गावती नियमित रूप से पूजा-अर्चना कर अपने वैभव का आशीर्वाद लेती थीं। वर्तमान स्थल के सामने राजा शंकर शाह का महल था, राजा शंकर शाह सुबह सबसे पहले भगवती के दर्शन करने जाते थे। पहले मढ़िया में केवल एक पत्थर और वहां बानों को ही लोग पूजते थे, लेकिन 10वीं शताब्दी में पत्थर की मूर्ति मढ़ा दी गई थी। अभी भी वही मूर्ति पूजी जा रही हैं। मालादेवी गढ़ा राजवंश की आराध्या थी अब जनसाधारण की पूज्य देवी हैं।

देवी, तीन रंगों में देती हैं दर्शन

माला देवी की मूर्ति में सूर्योदय से सूर्यास्त तक तीन रंगों में दर्शन होते हैं। देवी माई सुबह नारंगी, दोपहर लाल और शाम को पीत वर्ण में दर्शन देती हैं। अद्भुत अलौकिक स्वरूप में सूर्य घड़ी के अनुसार रंग बदलकर दर्शन आज भी विज्ञान के लिए पहेली है। एक पत्थर पर बने श्रीविगृह में सात प्रतिमाएं हैं। भगवती माला देवी महालक्ष्मी का एकमात्र श्रीविगृह है, भगवती के नीचे कुबेर, ऋषि जाबलि, देव कन्या, गणिका उत्कीर्ण है, भगवती महामाया अष्ट कमल पर विराजित हैं।

भगवती पराम्बा का अलौकिक सौंदर्य है। स्थानीय लोग ब्रम्ह मुहूर्त में जल चढ़ाने आते हैं। नवरात्र में कलश स्थापित कर जवारे बोए जाते हैं। साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है।

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