ज्ञानवापी की तरह भोपाल की जामा मस्जिद में भी शिव मंदिर होने का दावा

भोपाल की शासिका की आत्मकथा में भी उल्लेख, शिव मंदिर तोड़कर हुआ था मस्जिद का निर्माण

Update: 2022-05-19 14:47 GMT
संस्कृति बताओ मंच ने गृहमंत्री को सौंपे दस्तावेज, सर्वे की मांग, शुक्रवार को न्यायालय में दायर होगी याचिका

भोपाल/वेब डेस्क। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित जामा मस्जिद को लेकर भी बड़ा दावा किया गया है। संस्कृति बचाओ मंच का दावा है कि मंदिर को तोड़कर वहां जामा मस्जिद बनाई गई थी। पहले वहां पर भगवान शिव का मंदिर था। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह अगर इसका भी सर्वे कराया जाए तो सच सामने आ जाएगा। मंच ने प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन सौंपकर इसकी पुरातत्व विभाग से जांच कराने की मांग की है। इस संबंध में शुक्रवार को न्यायालय में एक याचिका भी दायर की जाएगी। मंच के इस दावे से एक बड़ी बहस छिड़ गई है और समस्त हिंदू समाज सर्वेक्षण की मांग कर रहा है।


संस्कृति बचाओ मंच के पदाधिकारियों ने गृहमंत्री को मंदिर होने के दावों से जुड़े दस्तावेज सौंपे हैं, जिसमें बताया गया है कि भोपाल की 8वीं शासिका ने अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है कि जामा मस्जिद के निर्माण से पहले यहां शिव मंदिर था, जिसे सवा मंडप के नाम से जाना जाता था। इसे तोड़कर ही यहां पर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। पुरातत्व विभाग को इसकी जांच करना चाहिए। जांच में पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी।

भोपाल की शासिका ने 'हयाते कुदसी' में किया मंदिर होने का दावा


संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक भोपाल की 8वीं शासिका नवाब कुदासिया बेगम ने अपनी आत्मकथा हयाते कुदसी में दावा किया है कि जामा मस्जिद भोपाल के चौक क्षेत्र में है, जो आकर्षक लाल रंग के पत्थरों से बनी है। इसका निर्माण स्वयं उन्होंने यानि कुदसिया बेगम ने 1832 में प्रारंभ कराया था, जो 1857 में बनकर तैयार हुई थी। इसकी वास्तुकला दिल्ली की जामा मस्जिद के समान ही है। अंदर बड़ा आंगन है, तीन दिशाओं से प्रवेश द्वार और चारों कोनों पर हुजरे बने हुए हैं। परिसर का प्रार्थना स्थल अद्र्ध स्तंभ व स्वतंत्र स्तंभों पर आधारित है। प्रार्थना स्थल के दोनों ओर पांच मंजिली विशाल गंगनचुंबी मीनारें भी हैं। किताब में इस बात का भी जिक्र है कि यहां पहले शिव मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।

इनका कहना है -

भोपाल की शासिका ने अपनी आत्मकथा में दावा किया है कि जामा मस्जिद का निर्माण शिव मंदिर तोड़कर 1832 ईसवीं में कराया गया है। इस स्थान को सवा मंडप के नाम से जाना जाता था। यहां पर मंदिर होने के हमारे पास पूरे साक्ष्य हैं, पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने के लिए गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। शुक्रवार को न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी। मुस्लिम धर्मावलंबियों से मांग करते हैं कि वे बड़ा दिल करके यह धर्म स्थल हिंदू समाज को सौंप दें, जिसका हम स्वागत करेंगे।

चन्द्रशेखर तिवारी, अध्यक्ष, संस्कृति बचाओ मंच

संस्कृति बचाओ मंच ने जामा मस्जिद को लेकर ज्ञापन सौंपा है, जिसका अध्ययन कराया जा रहा है, उसके बाद कुछ निर्णय लिया जाएगा।

डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गृहमंत्री, मध्य प्रदेश शासन

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