केंद्र सरकार के नियम मप्र में दरकिनार, 1098 पर महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों की मनमानी जारी

- मप्र सरकार तमाम विवादों के बाद चाइल्‍ड लाइन इंडिया फाउंडेशन एनजीओस को फिर देने जा रही चाइल्‍ड हेल्‍पलाइन सेवा

Update: 2024-01-07 11:33 GMT

भोपाल/डॉ. मयंक चतुर्वेदी। मध्‍यप्रदेश की राजधानी में ईसाई संस्‍थान के ‘अवैध’ बालिका गृह से 26 बच्चियां गायब होने एवं सरकार के उनके मिलने के दावों से जुड़ा मामला जहां अभी थमा भी नहीं है कि फिर एक बार केंद्र की गाइड लाइन को धत्‍ता बनाते हुए 'चाइल्‍ड लाइन इंडिया फाउण्‍डेशन' से जुड़ी संस्‍थाओं को मप्र में महिला बाल विकास विभाग द्वारा फिर से ''1098 चाइल्‍ड हेल्‍पलाइन सेवा'' शुरू करने के काम को दिए जाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जबकि यह कई जगह साबित हो चुका है कि मिशनरी से सीधे तौर पर जुड़ी 'चाइल्‍ड लाइन इंडिया फाउंडेशन' एवं इसके साथ काम करनेवाली एनजीओ राज्‍य में बड़े स्‍तर पर ईसाई मतान्‍तरण के कार्य में जुड़ी हुई पाई जा चुकी हैं। इस संबंध में आए राज्‍य महिला बाल विकास विभाग के विज्ञापन की आर्हताएं उन्‍हें ही इस काम को आगे जारी रखने के लिए तैयार की गई हैं, ऐसा साफ दिखाई दे रहा है।

जारी विज्ञापन पुरानी संस्‍थाओं को आवेदन करने की अनुमति देता है


दरअसल, इस मामले में बड़वानी जिले के समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञप्ति कार्यालय कलेक्टर (महिला एवं बाल विकास) विभाग द्वारा रविवार को प्रकाशित की गई है। म.बा.वि.सीएचएल-1098,2023-24, 03 के जरिए बताया गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत संचालित जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा बाल आपात सेवा (चाइल्‍ड लाइन) का संचालन किया जा रहा है। बाल आपात सेवा के संचालन को सुगम बनाये जाने एवं कार्य दायित्वों का निर्वहन करने के लिए स्टाफ, कर्मचारियों की सेवाएँ प्राप्त करने हेतु अनुभवी एवं योग्य अशासकीय संस्था या संगठन से आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं। संस्था अथवा संगठन के चयन के लिए संस्था मध्यप्रदेश फर्म एंड सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1973 के तहत पंजीकृत हों एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने का कम से कम तीन वर्ष का अनुभव हो। बाल आपात सेवा (चाइल्‍डलाइन) के संचालन के‍ लिए कर्मचारियों की सेवाएँ प्रदान करने हेतु अशासकीय संस्था संगठन द्वारा निर्धारित प्रारूप में आवेदन कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग जिला बडवानी में दिनांक 15.जनवरी 2024 तक कार्यालयीन समय में जमा करने के लिए कहा गया है। यह आवेदन डाक से भी प्रेषित किये जा सकते हैं। इस प्रकाशित विज्ञप्‍ति के अंत में डॉ. राहुल हरिदास फटिंग, कलेक्टर जिला बड़वानी, मध्यप्रदेश लिखा हुआ है।

कई एनजीओ का देश विरोधी गतिविधियों में आता रहा है नाम

देखने में यह विज्ञप्‍ति एक दम सामान्‍य नजर आ रही है, लेकिन इसमें जो बड़ा खेल अधिकारियों ने कर दिया, वह यह है कि पुरानी एनजीओ जोकि इस क्षेत्र में पहले से कार्य कर रही हैं और जिनके पास पूर्व में चाइल्‍ड लाइन चलाने का अनुभव रहा है, वे आवेदन करेंगी और उन्‍हें ही फिर एक बार इस 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन संचालन कार्य को दे दिया जाएगा। जबकि अब तक देश के कई राज्‍यों में जिसमें कि मप्र भी शामिल है के तहत कई प्रकरण ऐसे पाए जा चुके हैं जिसमें देखा गया कि कैसे 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन संचालन करनेवाली मुख्‍य संस्‍था चाइल्‍डलाइन इंडिया फाउण्‍डेशन एवं इससे जुड़ी तमाम एनजीओ, देश विरोधी, केंद्र सरकार की योजनाओं का विरोध करनेवाली एवं मतान्‍तरण के खेल में संलिप्‍त पाई जा चुकी हैं।

देश के अन्‍य राज्‍यों की तरह ही मप्र में संचालित तमाम एनजीओ जिनके पास रेलवे चाइल्‍ड लाइन एवं शहर के अंदर के भाग में चलाई जानेवाली चाइल्‍ड लाइन का काम सौंपा गया था, देखा गया कि यह भी मोदी सरकार से लाखों रुपए का फंड सेवा के नाम पर लेती हैं और फिर केंद्र की योजनाओं एवं कार्यों का सड़क पर आकर एवं संचार माध्‍यमों के जरिए विरोध करती हैं। जिसमें कि पिछले दिनों ये नागरिक कानून, किसान आन्‍दोलन, जम्‍मू-कश्‍मीर से धारा 370 हटाए जाने के विरोध में, कन्‍वर्जन कराती और करती हुईं जैसे अनेक सरकार के अच्‍छे कार्यों के विरोध में लगी हुईं पाई गईं। इतना ही नहीं जो केंद्र की मोदी सरकार की अच्‍छी योजनाओं का समर्थन करता दिखता, उसे ये संस्‍थाएं कमजोर करने तथा सिस्‍टम से कैसे बाहर का रास्‍ता दिखाया जा सकता है इसके लिए षड्यंत्र करती हुई भी देखी गईं। जिसमें कि पांच साल चले लम्‍बे प्रयासों एवं राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल के बाद केंद्र की सरकार इस निर्णय पर पहुंच सकी थी कि चाइल्‍ड लाइन इण्‍डिया फाउण्‍डेशन से 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन का काम वापिस ले लिया जाए।

केंद्र ने दिए हैं निर्देश, राज्‍य सरकार अपने स्‍तर पर चलाए सीधे 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन

आगे सरकार ने इस संबंध में नई गाइड लाइन जारी करते हुए इसे संचालन करने का कार्य राज्‍य महिला बाल विकास विभाग द्वारा सीधे तौर पर करने के लिए निर्देशित किया गया। इस तरह से एनजीओ के हाथों में 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन न रखते हुए राज्‍य सरकार इसका संचालन अपने से भर्ती कर नए सिरे से करे, यह कहा गया। इसके साथ ही व्‍यवस्‍था का संचालन सीधे राज्‍यों में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाए के निर्देश दिए गए लेकिन लगता है कि मध्‍यप्रदेश में इस विभाग के अधिकारी मोदी सरकार की इस संबंध में जारी किसी भी गाइडलाइन को मानने को तैयार नहीं है और फिर से वे एनजीओ आधारित इस कार्य को करना चाहते हैं, जिसमें कि इनकी पसंद वे पुरानी ही एनजीओ हैं जोकि पूर्व में अपने जिलों में चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन संचालित कर रहीं थीं।

मप्र के अधिकारी नहीं मानें तो एनसीपीसीआर जाएगा सक्षम न्‍यायालय

इस संपूर्ण मामले में जब राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो से बात की गई तो उन्‍होंने कहा, ''केंद्र सरकार की गाइडलाइन को दरकिनार कर कार्य करना राज्‍य सरकार के अधिकारियों के लिए ठीक नहीं है। यदि राज्‍य सरकार के अधिकारी इसी प्रकार से मनमानी करेंगे तो राष्‍ट्रीय बाल आयोग को सक्षम न्‍यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा''

पिछली शिवराज सरकार में बड़ी चतुराई से कैबिनेट में पास कराया गया निर्णय

इससे जुड़ी मजेदार बात यह है कि केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और मप्र में भी भाजपा की सरकार है, उसके बाद भी पिछली शिवराज सरकार में 1098 के संचालन के लिए महिला एवं विकास विभाग के अधिकारियों ने एक ऐसी नीति बनाई जिसमें कि वे उन्‍हें फिर से उपकृत कर पाएं जिन एनजीओ को वे इसका काम सौंपना चाहते हैं, जिसमें कि उन्‍होंने कैबिनेट द्वारा इस नीति को पास भी करा लिया, जो यह अधिकार देती है कि प्रत्‍येक जिले में कलेक्‍टर अपने हिसाब से 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन संचालन के लिए एनजीओ का निर्धारण करेगा ।

आश्‍चर्य इस बात का भी है कि डॉ. मोहन यादव सरकार में भी महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री को भी इस बारे में अवगत कराया जाना प्रमुख सचिव एवं आयुक्‍त द्वारा अब तक जरूरी नहीं समझा गया है, न ही सीएम यादव को इस बात की कोई भनक संभवत: है कि आखिर ये महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी उनकी भाजपा सरकार के खिलाफ ही किस तरह से एनजीओ की मदद करने का प्रयास कर रहे हैं।

तमाम शिकायते मिलने के बाद भी केंद्र के निर्देशों का पालन न करना समझ से परे

मामले में मध्‍यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग(एससीपीसीआर) की सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना है कि अभी हाल ही में भोपाल से सामने आई अवैध चिल्‍ड्रन्‍स होम संचालन की घटना ने बताया है कि कैसे पूर्व में चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन संचालित करनेवाली संस्‍था सभी नियमों को जानते हुए भी अपने अधिकार क्षेत्र का उल्‍लंघन करते हुए मतान्‍तरण में लिप्‍त पाई गई है। यह सिर्फ भोपाल की घटना हो ऐसा भी नहीं है, प्रदेश के कई जिलों से पूर्व में इस प्रकार की कई शिकायतें मिलती रही हैं, इसके बाद भी केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करना समझ के परे है।

उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जब तय किया है कि संस्‍थाओं के माध्‍यम से 1098 चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन संचालित न करके ऐसे व्‍यक्‍ति जिनको बच्‍चों के क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव है, उनको शासन की जिम्‍मेदारी के अंतर्गत नियुक्‍त करके चाइल्‍ड लाइन का संचालन किया जाना चाहिए तो इसका राज्‍य में पालन होना जरूरी है। संस्‍थाओं के माध्‍यम से फिर संचालित करने का मतलब है जो अभी तक इस क्षेत्र में एकछत्र राज स्‍थापित किए हुए हैं, उन्‍हीं एनजीओ के हाथों में फिर से इसकी बागडोर सौंप देना जोकि कहीं से भी उचित जान नहीं पड़ता। इस मामले में केंद्र सरकार एवं एनसीपीआर अध्‍यक्ष श्री कानूनगो द्वारा दिए निर्देशों का पालन राज्‍य सरकार के अधिकारियों को करना चाहिए, जोकि उचित भी है।

महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का मोदी विरोधी एवं राष्‍ट्र विरोधी गतिविधियों में संलग्‍न एनजीओ प्रेम का यह प्रमाण है कि इस संबंध में दिनांक 26 दिसम्‍बर को आयुक्‍त द्वारा जिला कलेक्‍टर को पत्र लिखकर 1098 के संचालन के लिए एनजीओ सिलेक्‍ट करने को कहा गया, जिसके बाद अब जिलावार विज्ञप्‍ति का कलेक्‍टर द्वारा प्रकाशन भी शुरू करा दिया गया है। जबकि इस संबंध में केंद्र सरकार ने स्‍पष्‍ट एनजीओ को बाहर रखने के निर्देश दिए हैं और इन निर्देशों के पालन के लिए एक पत्र एनसीपीसीआर के अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो द्वारा दिनांक 02 जनवरी लिखकर विभाग को चेताया भी गया था कि मप्र में जो किया जा रहा है वह केंद्र सरकार के दिए निर्देशों के विरुद्ध है। बावजूद इसके मप्र महिला बाल विकास विभाग के अधि‍कारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और विज्ञप्‍तियों का प्रकाशन शुरू कर दिया गया है ।

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