
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाने का संकल्प पूरा करने के लिए निरंतर जुटे हैं। इसके परिणाम स्वरूप प्रदेश ने गत 1 वर्ष में सिंचाई क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने दो दशक पहले देश की नदियों को जोड़कर हर खेत तक पानी पहुंचाने का सपना देखा था परंतु वह राज्यों के बीच जल विवाद के चलते दो दशकों से अधिक समय से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था।
केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल जैसी महत्वाकांक्षी अंतरराज्यीय नदी जोड़ो परियोजनाएं मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के बीच सहमति न बन पाने के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थीं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र सरकार और राज्यों से निरंतर चर्चा कर इन परियोजनाओं के गतिरोध को समाप्त किया और प्रदेश ने दो बड़ी परियोजनाओं के रूप में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी की 100वीं जयंती पर मध्यप्रदेश आकर देश की पहली नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना केन बेतवा का शिलान्यास किया।
डॉ. मोहन यादव के अथक प्रयासों से महाराष्ट्र सरकार के साथ वार्ता के बाद विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज अंतर्राज्यीय संयुक्त परियोजना "ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना" का अवरोध दूर हो गया है। जल्द ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भोपाल आमंत्रित कर करार की कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री का कहना है "ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना के जरिए हम महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर राष्ट्रहित में नदी जल की बूंद-बूंद का उपयोग सुनिश्चित कर कृषि भूमि का कोना-कोना सिंचित करेंगे।"
44 हजार 605 करोड़ लागत की केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश के सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा तथा प्रदेश की 44 लाख आबादी को पेयजल सुविधा प्राप्त होगी, साथ ही परियोजना से 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा, जिसका पूर्ण उपयोग मध्यप्रदेश करेगा। इससे प्रदेश के 10 जिले-छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा एवं सागर के लगभग 2 हजार ग्रामों के 7 लाख 25 हजार किसान परिवार लाभान्वित होंगे। औद्योगीकरण, निवेश एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भरता आने से लोगों का पलायन रुकेगा।
संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना से मध्यप्रदेश में मालवा एवं चंबल क्षेत्र के 11 जिले गुना, शिवपुरी, मुरैना, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, देवास, इंदौर, आगर-मालवा, शाजापुर एवं राजगढ़ जिले लाभान्वित होंगे। इससे 3.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी और 3 हजार 150 गांवों की 40 लाख आबादी को लाभ मिलेगा।
शिप्रा को स्वच्छ और निरंतर प्रवाहमान बनाने और सिंहस्थ 2028 के दौरान श्रद्धालुओं को शिप्रा जल से स्नान कराने की सुविधा के लिए 900 करोड़ रुपये की लागत की "कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना'' तैयार की गई है। सिंहस्थ में स्नान सुविधा हेतु शिप्रा नदी के दोनों तटों पर लगभग 29 किलोमीटर लंबाई में घाटों का निर्माण किया जायेगा।
मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने, पेयजल संकट को दूर करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘अटल भू-जल योजना’ प्रारंभ की गई है। 6 जिलों के 9 विकासखण्डों में क्रियान्वित होने वाली इस परियोजना से चयनित क्षेत्रों में भू-जल स्तर में सुधार होगा जिससे स्थानीय किसानों किसानों की आय बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त बांधों की सुरक्षा को लेकर मध्यप्रदेश सरकार पूरी सजगता के साथ काम कर रही है। आने वाले 5 वर्षों में प्रदेश के 27 बांधों की सुरक्षा एवं मरम्मत की जावेगी। इसके लिये विश्व बैंक के सहयोग से 551 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है।