लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामला: यूपी में 16 आरोपियों को कोर्ट ने सुनाई सजा, उमर गौतम समेत 12 दोषियों को उम्रकैद

Update: 2024-09-11 12:18 GMT

लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामला

Illegal Conversion Case : उत्तर प्रदेश । लखनऊ की स्पेशल एनआईए-एटीएस (NIA-ATS) कोर्ट ने बुधवार को अवैध धर्मांतरण के मामले में मौलाना उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी और अन्य 12 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा 4 आरोपियों को - राहुल भोला, मन्नू यादव, कुणाल अशोक चौधरी, और सलीम - को 10 साल की सजा और जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को मंगलवार को दोषी करार दिया था और बुधवार को सजा का ऐलान किया है।

कोर्ट का फैसला

एनआईए-एटीएस कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी (judge Vivekanand Sharan Tripathi) ने इन आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 417, 120B, 153A, 153B, 295A, 121A, 123 और अवैध धर्मांतरण कानून की धारा 3, 4, और 5 के तहत दोषी करार दिया। इन धाराओं के तहत 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। कुल 17 आरोपियों में से 16 को दोषी ठहराया गया है, जबकि एक आरोपी इदरीस कुरैशी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से स्टे मिल गया है।

मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी

मौलाना कलीम सिद्दीकी (Maulana Kalim Siddiqui) को 22 सितंबर 2021 की रात उत्तर प्रदेश एटीएस ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर दौराला-मटौर के बीच गिरफ्तार किया था। मौलाना कलीम, जो मुजफ्फरनगर के गांव फुलत का निवासी है, ने पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं और मेरठ कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की थी। इसके बाद, उसने दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर इस्लामिक स्कॉलर बनने का निर्णय लिया और शाहीन बाग, दिल्ली में रह रहा था।

जमानत और कोर्ट की शर्तें

कलीम को 562 दिनों तक जेल में रखने के बाद, अप्रैल 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहाँ जमानत की शर्तों में कलीम की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया। उसे एनसीआर क्षेत्र से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई और कोर्ट ने उसे अपने फोन का लोकेशन हमेशा ऑन रखने का निर्देश दिया।

धर्मांतरण सिंडिकेट

मौलाना कलीम सिद्दीकी ने 1991 में जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसा की स्थापना की थी और बाद में इसे केरल की एक संस्था को सौंप दिया था। वह ग्लोबल पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। आरोप है कि मौलाना उमर गौतम और मुफ्ती काजी समेत अन्य सहयोगी विदेशी फंडिंग की मदद से अवैध धर्मांतरण का सिंडिकेट चला रहे थे। उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस मामले में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की हैं और विदेशी फंडिंग के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

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