नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत सबकी भलाई चाहता है और इसी मकसद से वह अन्य देशों की सहायता करता है। भारत अन्य देशों को विकास करने में सहयोग देते समय कोई शर्त नहीं रखता। वहीं इतिहास हमें सिखाता है कि कैसे एक देश दूसरे देश की सहायता कर उसे अपने ऊपर निर्भर करता है और इस प्रकार दूसरे देशों पर शासन करता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण जुगनाथ ने गुरुवार को मॉरीशस के नए सुप्रीम कोर्ट भवन का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। उद्घाटन मॉरीशस के न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों और दोनों देशों के अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया। भवन का निर्माण भारतीय सहायता से किया गया है। यह पोर्ट लुइस की राजधानी के भीतर प्रथम भारतीय सहायता से बनी बुनियादी ढांचा परियोजना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि महात्मा गांधी कहा करते थे कि उनकी राष्ट्रभक्ति में सारी मानव जाति के भले की कामना समाई हुई है। भारत की सेवा करने का उनका अर्थ असल में मानवता की सेवा करना है। भारत भी उन्हीं की सोच के अनुरुप खुद का विकास करने के साथ अन्य देशों को विकास में सहयोग देना चाहता है। भारत दूसरे देशों की सहायता करते समय अपने राजनीतिक और आर्थिक लाभ नहीं देखता।
मोदी ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए नेपाल, अफगानिस्तान, गुआना, श्रीलंका और मालदीव में भारत की ओर से किए जा रहे सहायता कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत नेपाल और श्रीलंका में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में काम कर रहा है। अफगानिस्तान में संसद भवन तैयार कराने में भारत ने योगदान दिया। मालदीव में स्वच्छ और शुद्ध जल मुहैया कराने में भारत मदद कर रहा है। क्रिकेट के माध्यम से खेलों को बढ़ावा देने के लिए भारत गुआना और अफगानिस्तान में स्टेडियम तैयार करने और प्रशिक्षण देने का काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानव की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने का विकास का मार्ग पर्यावरण के खिलाफ नहीं होना चाहिए। इसी क्रम में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस की शुरुआत की। साथ ही आपदा से निपटने के लिए मजबूत ढांचागत परियोजनाओं को विकसित करने में भारत अन्य देशों की सहायता कर रहा है।
मॉरीशस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश भारत के हिन्द महासागर क्षेत्र से जुड़ी सोच के केन्द्र में है। साथ ही विकास से जुड़े सहयोग में भी मॉरीशस भारत की सोच के केन्द्र में ही है। भारत और मॉरीशस का पारिवारिक और सांस्कृतिक संबंध है। भारत मॉरीशस मैत्री लम्बे समय तक कायम रहे, ऐसी वह कामना करते हैं।
विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार नई सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग परियोजना 2016 में भारत सरकार द्वारा मॉरिशस में 353 मिलियन अमरीकी डालर के 'विशेष आर्थिक पैकेज' के तहत कार्यान्वित पांच परियोजनाओं में से एक है। यह परियोजना निर्धारित समय के भीतर और अपेक्षित लागत से कम में पूरी हुई है। इमारत 4700 वर्गमीटर से अधिक के क्षेत्र में फैली हुई है जिसमें 10 मंजिल और लगभग 25,000 वर्गमीटर का निर्मित क्षेत्र है। इमारत थर्मल और ध्वनि इन्सुलेशन और उच्च ऊर्जा दक्षता पर ध्यान देने के साथ एक आधुनिक डिजाइन से बनी है। नई इमारत मॉरीशस के सुप्रीम कोर्ट के सभी डिवीजनों और कार्यालयों को एक छत के नीचे लाएगी जिससे वहां कार्यदक्षता में सुधार होगा।
अक्टूबर, 2019 में प्रधानमंत्री मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने संयुक्त रूप से मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना के चरण-I और मॉरीशस में नए ईएनटी अस्पताल परियोजना का उद्घाटन किया था, जिसे विशेष आर्थिक पैकेज के तहत भी बनाया गया था। मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना के चरण-1 के तहत मेट्रो लाइन के 12 किलोमीटर का निर्माण पिछले साल सितम्बर में पूरा हुआ था, जबकि इसके चरण-2 में 14 किलोमीटर मेट्रो लाइन की परिकल्पना पर काम चल रहा है। ईएनटी अस्पताल परियोजना के माध्यम से भारत ने मॉरीशस में 100 बिस्तर वाले ईएनटी अस्पताल के निर्माण में भी सहायता की है।
भारत की सहायता से मॉरीशस में उच्च गुणवत्ता वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के समय पर पूरा होने से मॉरीशस और इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे। नई सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी का प्रतीक बनेगी।