Swadesh Exclusive : 'हां, एंटी इनकम्बेंसी है... लेकिन कांग्रेस के खिलाफ'
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्वदेश से विशेष चर्चा
चन्द्रवेश पाण्डे
ग्वालियर। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भारत की राजनीति में अपना एक अलग ही वैशिष्ट्य है। सिर्फ इसलिए नहीं कि वे एक बड़े राजघराने से आते हैं। उनका वैशिष्ट्य इसलिए है कि वे राजनीति में समवेत विकास की बात करते हैं। अपनी बात को बगैर लाग-लपेट के स्पष्टता से कहने वाले सिंधिया खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर रखते हैं और कहते हैं कि मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं और कार्यकर्ता ही रहना चाहता हूं। भाजपा में आने के बाद से सिंधिया के व्यवहार में जबर्दस्त परिवर्तन यह देखा जा रहा है कि उनका 'पब्लिक कनेक्ट' और पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं से हेल-मेल बढ़ा है। उनके व्यवहार में सहजता-सरलता और संवेदनशीलता उदात्त रूप में देखी जा रही है। लेकिन चुनावी बेला में वे विपक्ष के प्रति खासे आक्रमक दिखते हैं। वे दावा करते हैं कि भाजपा एकजुट है और कांग्रेस बिखरी हुई है। हम पांचवीं बार सरकार बनाने जा रहे हैं, इसे लेकर किसी को भ्रम नहीं रहना चाहिए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया आज दतिया-भिण्ड के चुनावी दौरे पर थे। इसी दौरान उनसे 'स्वदेश की विशेष बातचीत हुई।
प्रस्तुत है प्रमुख अंश-
प्रश्न : ग्वालियर-चंबल से मालवा व विंध्य महाकौशल में आप दौरे कर रहे हैं। वर्तमान में भाजपा को किस स्थिति में पाते हैं?
सिंधिया : भाजपा पूरे प्रदेश में बेहद मजबूत स्थिति में है और लगातार मजबूत होती जा रही है। भाजपा को लेकर आम मतदाता में उत्साह है। शिवराज सरकार के कामकाज को लेकर प्रदेश की जनता संतुष्ट है। जनता का आशीर्वाद और भरोसा हमारे साथ है। भाजपा पांचवीं बार सरकार बनाने जा रही है।
प्रश्न : लेकिन कमलनाथ-दिग्विजय सिंह तो कांग्रेस की लहर चलने और भाजपा के विरुद्ध एंटी इनकम्बैसी की बात कह रहे हैं?
सिंधिया : हां, एंटी इनकम्बेंसी है, लेकिन भाजपा के विरुद्ध नहीं, उन्हीं कमलनाथ व कांग्रेस की पन्द्रह महीनों की सरकार के विरुद्ध है, जब उन्होंने सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। जनता से वादाखिलाफी की। एंटी इनकम्बेंसी 2003 से पहले की दिग्विजय सरकार के विरुद्ध आज भी है, जब कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई थी। इस दौर की सड़कों व अंधकारयुक्त युग को याद करके आज भी लोग सिहर जाते हैं। हमारे विरुद्ध ऐसा कुछ भी नहीं। जबरन का यह नैरेटिव बनाया जा रहा है।
प्रश्न : ऐसा लगता है कि भाजपा के दिग्गजों ने मप्र की खास चिंता करते हुए पूरा जोर लगा दिया है। बड़े नेताओं को चुनावी समर में उतार दिया है। क्या ये पार्टी की घबराहट को जाहिर नहीं करता?
सिंधिया : ये कतई सच नहीं है कि हम घबराए हुए हैं। चुनाव में हम पूरी तैयारी से गए हैं। डरे तो वह जिसने काम न किया हो। हरेक दल की अपनी रणनीति होती है। कौन चुनाव लड़ेगा कौन नहीं, यह निर्णय रणनीतिक आधार पर होते हैं। चुनाव को लेकर पूरी पार्टी एकजुट हैं। हम सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं।
प्रश्न : आप खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर बताते हैं, दूसरे बड़े नेता भी ऐसा ही कहते हैं। आखिर क्या वजह है कि इस बार भाजपा ने कोई चेहरा सामने नहीं रखा?
सिंधिया : देखिए, हमारा लक्ष्य चुनाव जीतना है। शिवराज सिंह हमारे मुख्यमंत्री हैं। वे भी कार्यकर्ता हैं और बाकी तमाम लोग भी। हम सब मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। शिवराज जी का तो बड़ा योगदान है। उन्हीं के नेतृत्व में यह प्रदेश बीमारू प्रदेश के 'टैग से बाहर आया और आज प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ रहा है। हम सब मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और देखना भाजपा की सरकार फिर बनने जा रही है।
प्रश्न : जब शिवराज जी ने इतनी मेहनत की है तो पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं बनाया?
सिंधिया : ये सब पार्टी की रणनीति का हिस्सा है। अलग-अलग राज्यों में पार्टी एक 'स्ट्रेटजी ' को लेकर चुनाव लड़ती है। हम सब मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रश्न : आप अगला लोकसभा चुनाव कहां से लड़ेंगे, ग्वालियर या गुना?
सिंधिया : मैं पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता हूं पार्टी का नेतृत्व मेरा जहां भी उपयोग करना चाहेगा, करेगा। भाजपा में किसी की मर्जी नहीं चलती है।
प्रश्न : नाराज, महाराज और शिवराज भाजपा के नैरेटिव को कैसे लेते हैं?
सिंधिया : सब फिजूल की बातें हैं। भाजपा एक माला है और हम सब कार्यकर्ता उसके मोती। विपक्ष इस तरह के नैरेटिव गढ़ने के प्रयास में है। लेकिन वह कभी सफल नहीं होगा।
प्रश्न : प्रधानमंत्री द्वारा आपको सार्वजनिक रूप से अपना 'दामाद ' कहा गया है। संभवत: पहली बार प्रधानमंत्री ने किसी नेता को इस तरह पारिवारिक रिश्ते के साथ जोड़ा है। क्या ये निजी 'कैमिस्ट्री' है? इसके क्या राजनीतिक निर्हितार्थ है?
सिंधिया : मैं प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का कृतज्ञ हूं। वे पिछले दिनों सिंधिया स्कूल के 125वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में पधारे। ये स्वर्णिम अवसर था और हमारे लिए गौरव की बात। उन्होंने महादजी सिंधिया से लेकर मेरी आजी, पिताजी के कार्यों का जिक्र किया और एक भावनात्मक लगाव प्रदर्शित किया। मैं उनका ऋणी हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि उनके नेतृत्व व दिशा-निर्देशन में मुझे कार्य करने का अवसर मिला है।