निर्मला सीतारमण से लेकर सावित्री ठाकुर तक, जानिए उन महिला सांसदों को जिन्होंने ली मंत्री पद की शपथ

मोदी सरकार 3.0 में सात महिला सांसदों को मिला मौका। पिछली बार 6 महिलाओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी।

Update: 2024-06-09 19:39 GMT

Women Minister : मोदी सरकार 3.0 में सात महिला सांसदों को मौका

दिल्ली। मोदी सरकार 3.0 में सात महिला सांसदों को मौका मिला है। इनमें निर्मला सीतारमण, अन्नपूर्णा देवी, अनुप्रिया सिंह पटेल, शोभा कारनदलाजे, रक्षा खडसे, सावित्री ठाकुर, निमुबेन बंभानिया का नाम शामिल है। निर्मला सीतारमण का नाम तो सभी जानते हैं लेकिन उनके अलावा भी जिन महिला सांसदों को मौका मिला है उनके संघर्ष की अपनी कहानी है। आएये जानते हैं इन महिलाओं के बारे में।

निर्मला सीतारमण :

पिछली सरकार में वित्त मंत्री रहीं निर्मला सीतारमण को मोदी सरकार 3.0 में दोबारा मौका मिला है। वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ी थीं, वर्तमान में वे राज्यसभा से सांसद हैं। निर्मला सीतारमण तमिलनाडु से आतीं हैं। उन्होंने राजनीती की शुरुआत छात्र रहते हुए ही की थी। साल 2006 में वे भाजपा में शामिल हुई। तमिलनाडु में भाजपा के लिए काम किया। फिर 2010 में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। निर्मला सीतारमण की शिक्षा पर नजर डालें तो उन्होंने 1980 में सीतालक्ष्मी कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने जेएनयू और लंदन स्कुल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाई की। 2014 में सीतारमण ने मोदी कैबिनेट में जूनियर मंत्री के रूप में काम किया फिर उन्हें वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी गई।

अन्नपूर्णा देवी :

मोदी सरकार 3.0 में अन्नपूर्णा देवी का शामिल होना झारखंड में चर्चा का विषय है। पिछली सरकार में उन्हें शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया था इस बार भी मंत्री बनाया गया है। उन्हें क्या जिम्मेदारी मिलेगी जल्द ही यह भी साफ हो जायेगा। अन्नपूर्णा देवी झारखंड से आतीं हैं। पति की मौत के बाद उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुईं। उनके पति आरजेडी के नेता थे। अन्नपूर्णा देवी पहली बार आरजेडी के टिकट से ही चुनाव लड़ीं थीं। अब वो झारखंड में भाजपा के लिए एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं। उन्हें दोबारा मंत्री बनाकर भाजपा झारखंड में ओबीसी और महिला वोटर्स को साधने के प्रयास में है।

अनुप्रिया सिंह पटेल :

अनुप्रिया पटेल 'अपना दल' की नेता हैं। मिर्जापुर सीट से साल 2014 से सांसद हैं। इनकी कहानी भी बहुत ही रोचक है। मां के साथ राजनीतिक विवाद के बावजूद वे पार्टी और मिर्जापुर में वर्चस्व बनाई हुई हैं। उनकी पार्टी के दो धड़े हैं एक अन्नपूर्णा के सपोर्ट में है तो दूसरा उनकी मां के। पिछली सरकार में उन्‍हे राज्‍य मंत्री का दर्जा मिला था। भाजपा को समर्थन देकर वे लगातार दूसरी बार मंत्री बनी हैं।

शोभा कारनदलाजे :

आरएसएस की पृष्‍ठभूमी से आने वाली शोभा कारनदलाजे भाजपा नेता वायएस येदुरप्‍पा की करीबी मानी जाती हैं। हिंदुत्‍‍तव के मुद्दे पर प्रखर बोलतीं हैं। पिछली सरकार में उन्‍हे केन्‍द्रीय मंत्री बनाया गया था। इस बार भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। वे तीसरे बार सांसद चुन कर आई हैं।

रक्षा खडसे :

उत्तर महाराष्ट्र की रावेर लोकसभा सीट से तीन बार की सांसद रक्षा को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। ये मोदी कैबिनेट की युवा मंत्रियों में से एक हैं। रक्षा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पति की मौत के बाद शुरू की थी। 37 साल की रक्षा खडसे, एकनाथ खडसे की बहु हैं। वे महाराष्ट्र में भाजपा का जाना माना नाम हैं। रक्षा खडसे उन नेताओं में से हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सरपंच का चुनाव जीतकर की। 2013 में उनके पति निखिल खडसे ने आत्महत्या कर ली थी। निखिल एनसीपी नेता मनीष जैन के सामने चुनाव हार गए थे। इसके बाद रक्षा मैदान में उतरीं और साल 2014 में मात्र 26 साल की उम्र में सांसद चुनी गई। उन्होंने मनीष जैन को हराकर अपने पति बदला भी ले लिया।

सावित्री ठाकुर :

मध्यप्रदेश की धार लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर आई सावित्री ठाकुर को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की शपथ दिलाई गई है। यह सीट एसटी सीट है। इस तरह 46 वर्षीय सावित्री मध्यप्रदेश में भाजपा का प्रमुख आदिवासी चेहरा हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पंचायत से की थी। 2003 में वे डिस्ट्रिक्ट पंचायत की मेंबर थीं। इसके बाद उन्होंने भाजपा में संगठन के स्तर पर भी काम किया। 2014 में जब उन्हें टिकट मिला तो वे विजयी हुई थीं बावजूद इसके 2019 में उन्हें टिकट नहीं मिला था। 2024 में पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका दिया तो वे रिकॉर्ड मत से जीतकर सांसद बनी।

निमुबेन बंभानिया :

निमुबेन बंभानिया, गुजरात में प्रमुख ओबीसी नेता हैं। सामाजिक कार्यों में भी एक्टिव हैं इसके चलते अपने क्षेत्र में काफी पॉपुलर हैं। भावनगर लोकसभा सीट से उन्हें मौका दिया गया था। उन्होंने आप उम्मीदवार उमेश मकवाना को अच्छे खासे मार्जिन से हराया है। राज्य मंत्री के रूप में उन्होंने शपथ ली है। इसके पहले वे मेयर भी रह चुकी हैं। भाजपा महिला मोर्चा की वाईस प्रेसिडेंट के रूप में भी उन्होंने काम किया है। पेशे से शिक्षिका निमुबेन बंभानिया ने साल 2004 में ही भाजपा ज्वाइन की थी। उनके पति एक स्कूल चलाते हैं।

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