150 देशों में क्राइम है मैरिटल रेप, भारत में लागू होने पर बढ़ सकते है तलाक-घरेलू हिंसा के मामले
वेब डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट में आज शादी के बाद पति -पत्नी के बीच जबरन संबंध बनाना गैर कानूनी है या नहीं (मेरिटल रेप ) मामले में सुनवाई हुई। जिसमें हाईकोर्ट के जजों के अलग-अलग निर्णय दिए। जस्टिस राजीव शकधर ने जहां भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को असंवैधानिक करार दिया है वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने इसे सही करार दिया है। दो सदस्यीय बेंच के इस विभाजित फैसले के बाद इस मामले को तीन सदस्यीय बेंच को रेफर कर दिया गया है।
वैवाहिक दुष्कर्म का यह मुद्दा केवल भारत का नहीं बल्कि वैश्विक है। विश्व के 150 देशों में इसे अपराध माना गया है। वहीँ भारत समेत 32 देश ऐसे जहां वैवाहिक दुष्कर्म (मेरिटल रेप )अपराध नहीं है।
अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, जर्मनी,ग्रीस, फ्रांस, फिनलैंड आदि प्रमुख देशों में मेरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अमेरीका के सभी राज्यों में इसे अपराध माना जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में हर साल 10 से 14 फीसदी महिलाओं के साथ मेरिटल रेप की घटना होती है। वहीं ऑस्ट्रिया में इसे स्टेट ऑफेंस माना गया है। यहां सरकार पीड़िता की ओर से केस लड़ती है। बेल्जियम में 1979 में ब्रुसेल्स की अदालत ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित किया था।
इन देशों में नहीं है अपराध -
दुनिया के विभिन्न देशों में जहां इसे लेकर अलग-अलग सजा और कानून है। वहीँ भारत समेत पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, अफगानिस्तान, मलयेशिया, सिंगापुर, ओमान, यमन, बहरीन, कुवैत समेत 32 देशों में वैवाहिक दुष्कर्म अपराध नहीं है।
आइए जानते है की मेरिटल रेप ओर रेप में क्या अंतर है -
रेप या दुष्कर्म -
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत यदि कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुष या जबरन उसके साथ संबंध बनाता है तो वह रेप (दुष्कर्म) माना जाता है। महिला को शादी का झांसा देकर, उसे या उसके परिवार के सदस्य को नुकसान पहुंचाने का डर दिखाकर बनाया संबंध भी दुष्कर्म होता है। इसके अलावा महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो, तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना बनाया गया संबंध रेप है।
मेरिटल रेप (वैवाहिक दुष्कर्म ) -
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में मेरिटल रेप को परिभाषित नहीं किया गया है। आईपीसी की धारा 376 रेप के लिए सजा का प्रावधान करती है। आईपीसी की इस धारा में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है, बशर्ते पत्नी 18 साल से कम उम्र की हो। इसमें कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर संबंध बनाता है तो दुष्कर्म की धारा के तहत सजा का प्रावधान है। वहीं, घर के अंदर महिलाओं के यौन शोषण के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून लाया गया था। यह कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है। इसमें घर के भीतर यौन शोषण को परिभाषित किया गया है।
हिन्दू विवाह अधिनियम -
हिंदू विवह अधिनियम में पति-पत्नी के बीच कई जिम्मेदारियां तय की गई है। जिसमें संबंध बनाने का अधिकार भी शामिल है। वर्तमान में पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध बनाने मना करना क्रूरता माना जाता है। इस आधार पर तलाक भी मांगा जा सकता है।
भारत में इसका असर -
कानून और सामाजिक विषयों के जानकारों मानना है की भारत में मेरिटल रेप (वैवाहिक दुष्कर्म) के अपराध बनने से हमारी सामाजिक व्यवस्था को नुकसान होगा। भारत में इस कानून के लागू होने के बाद पति -पत्नी के बीच मामूली विवाद पर भी झूठे इस कानून के तहत झूठे मुकदमे दर्ज हो सकते है। जिससे तलाक के मामले भी बढ़ेंगे। इसलिए कई विशेषज्ञ इस कानून को भारतीय सभ्यता के अनुकूल नहीं मानते है।