मोदी कैबिनेट ने आज युवाओं, किसानों के लिए दी बड़ी खुशखबरी, ये हुए फैसले

Update: 2020-08-19 11:01 GMT

नई दिल्ली। केन्द्र में मोदी सरकार ने बुधवार को गन्ने का उचित एवं लाभकारी दाम 10 रुपये से बढ़ाकर 285 रुपये क्विंटल करने को मंजूरी दे दी। एक करोड़ गन्ना किसानों के लिए इस साल भी परंपरा के मुताबिक ही लाभकारी मूल्य बढ़ाकर दिया है। 285 रुपये प्रति क्विंटल तय हुआ है। यह दर 10% की रिकवरी के आधार पर तय की गई है, लेकिन अगर 1% रिकवरी बढ़ेगी यानी अगर 11% रिकवरी हुई तो प्रति क्विंटल 28.50 रुपये ज्यादा मिलेंगे। वहीं, 9.5% या उससे कम भी रिकवरी रहने पर भी गन्ना किसानों को संरक्षण देते हुए 270.75 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कीमत मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार एथनॉल भी खरीदती है। पिछले साल सरकार ने करीब 60 रुपये प्रति लीटर की दर से 190 करोड़ लीटर एथनॉल खरीद की थी।

केंद्र सरकार ने नौकरी ढूंढ रहे युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी दी है। मोदी कैबिनेट ने आज हुई बैठक में नैशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, 'अब नैशनल रिक्रूटमेंट एंजेसी (राष्ट्रीय भर्ती परीक्षा) कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट लेगी। इससे करोड़ों युवाओं को लाभ मिलेगा।'

अब नैशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के गठने से उनकी परेशानी दूर होगी, उनका पैसा भी बचेगा और मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। बहुत दौड़-धूप नहीं करनी होगी और एक ही परीक्षा से युवाओं को आगे जाने का मौका मिलेगा।

देश में पीपीपी मोड पर प्राइवेट एयरपोर्ट्स बन गए हैं। फिलहाल छह हवाई अड्डों का संचालन, प्रबंधन और विकास का ठेका प्राइवेट कंपनियों को दिए जाने का फैसला किया गया है। इसके लिए नीलामी के जरिए टेंडर मंगाया गया था। सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को जयपुर, गुवाहाटी और तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डे देने का फैसला आज किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इससे सरकार को तुरंत 1,070 करोड़ रुपये मिलेंगे।

कोविड-19 महामारी के कारण पावर सेक्टर दिक्कत में है। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण एक तो बिजली की मांग कम हो गई है और दूसरे बिल का भुगतान भी नहीं हो रहा है। ऐसे में राज्यों के डिस्कॉम्स को राहत देने के लिए पावर फाइनैंश कॉर्पोरेशन (PFC) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (REC) को लोन देने के अधिकार की सीमा बढ़ा दी गई है। अब वो डिस्कॉम्स को उनके वर्किंग कैपिटल के 25% तक की रकम से ज्यादा लोन दे सकते हैं। इससे डिस्कॉम्स से लिक्विडिटी बढ़ेगी और डिस्कॉम्स को बिजली वितरण में परेशानी नहीं होगी।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) के बिल का भुगतान उनके काम पूरा होने के 90 दिनों के बाद होता है। बिल पेमेंट में देरी से उन्हें लिक्विडिटी की समस्या होती है। उनको तुरंत पैसा मिले, इसके लिए डिस्काउंट्स की व्यवस्था TREDS एक्सचेंज में होती है। इस व्यवस्था में पहले केवल बैंक और कुछ नॉन-बैकिंग फाइनैंस कंपनियां (NBFCs) शामिल होते थे। अब सरकार ने सारे एनबीएफसी को इस व्यवस्था में शामिल होने की अनुमति दे दी है। इससे एमएसएमई को लिक्विडिटी बढ़ाने में ज्यादा आसानी होगी।

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