Navaratri 2024 Bhandara: नवरात्रि में भंडारा खाना चाहिए या नहीं? क्या कहते हैं शास्त्र
अगर आप काबिल हैं और भंडारा खाते हैं तो इसका मतलब है कि आप किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति का हिस्सा हड़प रहे हैं।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के अष्टमी या नवमी तिथि को भंडारा भी कराया जाता है, जिसे हम सभी भगवान का प्रसाद मानकर बड़े चाव से खाते हैं। यही नहीं कई लोग तो काम धाम छोड़कर भी भंडारा खाने पहुंच जाते हैं। लेकिन शायद आप ये जानकर हैरान होगें कि भंडारा खाना दूसरे के पाप में हिस्सेदारी के बराबर है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भंडारे का मतलब होता है गरीब लोगों का पेट भरना। ऐसे में अगर आप काबिल हैं और भंडारा खाते हैं तो इसका मतलब है कि आप किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति का हिस्सा हड़प रहे हैं। जो कि शास्त्रों में अशुभ माना गया है।
मंदिर में मिले प्रसाद का क्या करें?
प्रेमानंद महाराज के लाखों अनुयायी है, उनके पास विराट कोहली जैसे दिग्गज लोग भी जाते हैं। भंडारे को लेकर प्रेमानंद महाराज कहते हैं यदि आप गृहस्त जीवन में हैं तो भूलकर भी भंडारा न खाएं। यह उन लोगों के लिए होता है जो गरीब है खाने लायक नहीं हैं। मंदिर के अंदर से जो प्रसाद मिल रहा है तो उसे ले लीजिए लेकिन उससे किनका खा लीजिए बाकी वहां आसपास के लोगों में बांट दीजिए।
अन्न के साथ दूसरों के पाप के होते हैं हिस्सा
देविकीनंदन ठाकुर कहते हैं, किसी भी धार्मिक स्थान या कोई भी भंडारा कराए तो हमें नहीं खाना चाहिए। क्योंकि जो बांट रहा है वो अन्न के साथ - साथ अपने पाप भी बांट रहा है। ठाकुर कहते हैं ये बात नोट कर लो जब आप किसी के यहां भंडारा खाते हैं तो समझ लो उसके पाप भी आप ले रहे हो और अपने पुण्य उसे दे रहे हो।
कहां करना चाहिए भोजन?
देविकीनंदन ठाकुर कहते हैं "दो विद भोजन की जाए राजन विपत पड़े या प्रीत। तेरे प्रीत न मोह आपदा, यह बड़ी अनरीत।" मतलब भोजन दो स्थिति में ही बाहर किया जाता है या तो भोजन कराने वाले के मन में भाव हो या फिर भोजन करने वाले के ऊपर कोई विपत्ति हो।