भारत ने अंतरिक्ष में लहराया परचम

Update: 2019-03-27 17:13 GMT

यह तकनीक सिर्फ अमेरिका रूस और चीन के पास ही थी

नई दिल्ली/स्व.स.से.। भारत ने अंतरिक्ष में अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए मिशन शक्ति के जरिए बुधवार को अंतरिक्ष में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया। इस सफल परीक्षण के साथ ही भारत उन चार देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता रखते हैं। भारत ने यह परीक्षण ऐसे समय पर किया है जब चीन लगातार अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ा रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत ने सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर ए-सैट का परीक्षण किया। ए-सैट ने 300 किमी की ऊंचाई पर एक पुराने सैटेलाइट को निशाना बनाया जो अब सेवा से हटा दिया गया है। यह पूरा अभियान मात्र 3 मिनट में पूरा हो गया। इस सैटेलाइट मारक मिसाइल के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ ही समय पहले भारत ने एक अभूतपूर्व सिद्धि प्राप्त की है। भारत ने दुनिया में अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर नाम दर्ज करा दिया है। अब तक अमेरिका, रूस और चीन को ही यह उपलब्धि थी। अब भारत इस क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश है। भारत ने आज ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप लॉन्च कॉम्प्लेक्स से ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल का परीक्षण किया। यह डीआरडीओ की ओर से एक तरह का तकनीकी मिशन था। मिसाइल के परीक्षण के लिए जिस सैटलाइट को निशाना बनाया गया, वह भारत के उन उपग्रहों में से है, जो पहले ही पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद हैं। इस परीक्षण के तहत डीआरडीओ ने अपने सभी तय लक्ष्यों को हासिल किया।

क्या है लो आर्बिट सेटेलाइट

रुस्तम जी प्रौद्योगिकी संस्थान टेकनपुर में भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक डा. उमाशंकर शर्मा का कहना है कि कहना है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए यह सबसे बड़ी सफलता है। श्री पाठक के अनुसार लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट टेलिकम्युनिकेशन सेटेलाइट सिस्टम होता है। लो अर्थ ऑर्बिट का तात्पर्य पृथ्वी की निचली कक्षा से है। पृथ्वी के सबसे नजदीक उसका ऑर्बिट ही (कक्षा) होता है। यह पृथ्वी की सतह से 160 किलोमीटर और 2,000 किलोमीटर के बीच ऊंचाई पर स्थित है। लो अर्थ आर्बिट में गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव पृथ्वी की सतह की तुलना में थोड़ा कम होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी की सतह से लो अर्थ आर्बिट की दूरी पृथ्वी की त्रिज्या का लगभग एक तिहाई है। इस दायरे में मौसम और निगरानी करने वाले उपग्रहों को स्थापित किया जाता है। जासूसी उपग्रहों को भी इसी ऑर्बिट में तैनात किया जाता है। इस ऑर्बिट में सैटेलाइट को स्थापित करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है और एक उपग्रह को सफल संचरण के लिए कम शक्तिशाली एम्पलीफायरों की आवश्यकता होती है. स्म्व् का उपयोग कई संचार अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है,यह उच्च बैंडविड्थ और कम संचार विलंबता प्रदान करता है.और इस कक्षा में ज्यादा शक्ति वाले संचार प्रणाली को स्थापित किया जा सकता है। कुछ संचार उपग्रह बहुत अधिक भूस्थिर कक्षाओं का उपयोग करते हैं, और पृथ्वी पर उसी कोणीय वेग पर चलते हैं जैसे कि ग्रह पर एक स्थान के ऊपर स्थिर दिखाई देते हैं ये उपग्रह जिस गति से अपनी कक्षा में घूमते हैं उनका व्यवहार भू-स्थिर (जिओ-स्टैशनरी) की तरह ही होता है।

पिछली सरकार के पास नहीं थी इच्छाशक्ति

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने कहा कि भारत के पास एक दशक से भी पहले ऐंटी सैटलाइट मिसाइल क्षमता थी, लेकिन उस समय राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण इसे सफलतापूर्वक अंजाम नहीं दिया जा सका। उन्होंने कहा कि जिस समय चीन ने 2007 में यह परीक्षण किया और अपने मौसम उपग्रह को मार गिराया, उस समय भी भारत के पासे ऐसा ही मिशन पूरा करने की तकनीक थी। नायर ने कहा, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी पहल की है। उनके पास राजनीतिक इच्छा शक्ति है और साहस है।

युद्ध के दौरान बनेगा सबसे बड़ा हथियार

 डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी के अनुसार हमने दुनिया को बता दिया है कि हम सैटेलाइट को कुछ सेंटीमीटर पास जाकर भी गिरा सकते हैं।

 डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख डॉ. वीके सारस्वत के अनुसार अगर विरोधी देशों ने अंतरिक्ष में हथियार तैनात किए, तो भारत उनका मुकाबला करने की स्थिति में होगा।

♦ रक्षा विशेषज्ञ कर्नल (सेवानिवृत) यूएस राठौड़ के अनुसार युद्ध की स्थिति में यह मिसाइल तकनीक दुश्मन देश में ब्लैक आउट जैसी स्थिति पैदा कर सकती है।

भारत का उद्देश्य आंतरिक विकास और प्रगति

मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में शांति-सुरक्षा के लिए मजबूत भारत आवश्यक है। भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जो काम किया है, उसका मूल उद्देश्य भारत की सुरक्षा, भारत का आंतरिक विकास और प्रगति है। आज का यह मिशन शक्ति इन सपनों को सुरक्षित करने की ओर एक अहम कदम है, जो इन तीनों स्तंभों की सुरक्षा के लिए आवश्यक था।

पाकिस्तान और चीन में खलबली

भारत की इस सफलता पर चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई है। पाकिस्तान ने इसे लेकर जहां कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है वहीं उसने उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर इस पर मंथन किया है। भारत के मिशन शक्ति पर पाकिस्तान ने कहा कि ऐसे कदमों से बचने की जरूरत है जो हमें युद्ध की ओर ले जाए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में वैश्विक समुदाय से कहा गया है कि वो भारत के इस कदम की ओर ध्यान दें। प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। वहीं चीन ने भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण पर बुधवार को सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया जताते हुए उम्मीद जताई कि सभी देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत द्वारा उपग्रह रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण को लेकर पूछे गए उन्होंने कहा हम उम्मीद करते हैं कि प्रत्येक देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे।' 

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