नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'विश्व जल दिवस' के अवसर पर सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'जल शक्ति अभियान' का शुभारंभ किया। इस अभियान को 'जल शक्ति अभियान : कैच द रेन' नाम दिया गया है। नदियों को आपस में जोड़ने वाली पहली राष्ट्रव्यापी परियोजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई जिलों को सूखे से राहत मिलेगी।
जल शक्ति अभियान के शुभारम्भ से पूर्व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवाराज सिंह चौहान ने केन-बेतवा सम्पर्क परियोजना के लिए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। नदियों को आपस में जोड़ने की यह पहली राष्ट्रव्यापी परियोजना है।
प्रधानमंत्री ने कहा मुझे खुशी है कि जलशक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और प्रयास भी बढ़ रहे हैं। आज पूरी दुनिया जल के महत्व को उजागर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय जल दिवस मना रही है।आज भारत में पानी की समस्या के समाधान के लिए 'कैच द रैन' की शुरुआत के साथ ही केन बेतवा लिंक नहर के लिए भी बहुत बड़ा कदम उठाया गया है। अटल जी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लाखों परिवारों के हित में जो सपना देखा था, उसे साकार करने के लिए ये समझौता अहम है।
आज जब हम जब तेज़ विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो ये Water Security के बिना, प्रभावी Water Management के बिना संभव ही नहीं है। भारत के विकास का विजन, भारत की आत्मनिर्भरता का विजन, हमारे जल स्रोतों पर निर्भर है, हमारी Water Connectivity पर निर्भर है।प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हो या हर खेत को पानी अभियान, 'Per Drop More Crop' अभियान हो या नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन हो या अटल भूजल योजना, सभी पर तेजी से काम हो रहा है।भारत वर्षा जल का जितना बेहतर प्रबंधन करेगा उतना ही Groundwater पर देश की निर्भरता कम होगी। इसलिए 'Catch the Rain' जैसे अभियान चलाए जाने और सफल होने बहुत जरूरी हैं।
उन्होंने कहा 1.5 साल पहले तक, 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.5 करोड़ घरों में ही नल का जल कनेक्शन था। जल जीवन मिशन की शुरुआत के बाद से, लगभग 4 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नए नल के पानी के कनेक्शन मिले हैं।आजादी के बाद से पहली बार कोई सरकार पानी की गुणवत्ता की जांच में इस तरह के समर्पण के साथ काम कर रही है। यह परीक्षण पहल हमारी ग्रामीण महिलाओं को जोड़ रही है। COVID के दौरान, 4.5 लाख से अधिक महिलाओं को जल परीक्षण का प्रशिक्षण दिया गया था।