मोदी ने UNGA को किया संबोधित, कहा - अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो

Update: 2021-09-25 13:00 GMT

न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन शुरू हो गया है।  उन्होने कहा गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व, 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं और परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जिसे mother of democracy का गौरव हासिल है। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा ने इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश में प्रवेश किया।

उन्होंने कहा हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है। एक ऐसा देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन-सहन, खानपान हैं। ये Vibrant Democracy का बेहतरीन उदाहरण है।प्रदूषित पानी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए, हम पूरे भारत में 17 करोड़ से अधिक घरों को स्वच्छ, पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं।

दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय - 

उन्होंने कहा की दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। भारत की प्रगति से वैश्विक विकास में तेजी आएगी। जब भारत बढ़ेगा तो दुनिया बढ़ेगी। जब भारत सुधार करता है, तो दुनिया बदल जाती है।बीते 7 वर्षों में भारत में 43 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया है।36 करोड़ से अधिक ऐसे लोगों को बीमा कवच मिला है जो पहले इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे।50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज का लाभ देकर उन्हें क्वालिटी हेल्थ से जोड़ा है।  

आओ, भारत में वैक्सीन बनाओ- 

भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ टीकों के विकास और निर्माण के लिए पूरे जोरों पर काम कर रहा है। भारत ने दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन विकसित किया है, जिसे 12 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को दिया जा सकता है। भारत ने मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए उन देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है, जिन्हें इसकी जरूरत है। मैं दुनिया भर के देशों का स्वागत करता हूं - 'आओ, भारत में वैक्सीन बनाओ'।

आत्मानिर्भर भारत - 

कोरोना ने दुनिया को सिखाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को और भी विविधतापूर्ण बनाने की जरूरत है। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का विकास इसके लिए महत्वपूर्ण है। आत्मानिर्भर भारत का हमारा मिशन उसी सिद्धांत पर आधारित है।आज, 360 मिलियन से अधिक लोगों के पास बीमा कवरेज है। इससे पहले, वे इस स्तर के सुरक्षा कवर की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। 500 मिलियन से अधिक लोगों को अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा देकर, भारत ने उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान की है।

अफगानिस्तान का इस्तेमाल

कोरोना महामारी ने विश्व को ये भी सबक दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब और अधिक Diversify किया जाए। इसके लिए Global Value Chains का विस्तार आवश्यक है। हमारा आत्मनिर्भर भारत अभियान इसी भावना से प्रेरित है।जो देश प्रतिगामी सोच के साथ-साथ आतंकवाद को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो।

अफगानिस्तान के लोगों को मदद की जरूरत - 

हमारे समुद्र हमारी साझा संपत्ति हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इन संसाधनों का उपयोग करें और उनका दुरुपयोग न करें। समुद्र अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा भी हैं। हमें उन्हें विस्तार और बहिष्कार की दौड़ से दूर रखना चाहिए।हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थिति का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। इस समय अफगानिस्तान के लोगों को मदद की जरूरत है, इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।

संयुक्रत राष्ट्र की प्रभावशीलता में सुधार - 

यूएन पर आज कई सवाल उठ रहे हैं। हमने इन सवालों को जलवायु संकट के दौरान और अब हाल ही में COVID के दौरान देखा था। दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे छद्म युद्ध और मौजूदा अफगान संकट ने इन सवालों को और बढ़ा दिया है।एक महान भारतीय रणनीतिकार चाणक्य ने कहा था - जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता है, तो समय ही उस काम की सफलता को नष्ट कर देता है। अगर संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है, तो उसे अपनी प्रभावशीलता में सुधार करना होगा और अपनी विश्वसनीयता बढ़ानी होगी।


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