कांग्रेस ने 8 साल स्वामीनाथन रिपोर्ट को दबाये रखा, यह पहले ही लागू होना थी : पीएम

मप्र के किसानों से किया संवाद

Update: 2020-12-18 09:15 GMT

नईदिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के बीच आज प्रधानमंत्री मोदी ने मप्र के किसानों को संबोधित किया। प्रदेश के किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कृषि कानून के लाभ समझाते हुए भ्रम की स्थिति को दूर किया। उन्होंने कहा मेहनती किसान भाइयों-बहनों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम! बीते समय में प्राकृतिक आपदा के कारण मध्यप्रदेश के किसानों का नुकसान हुआ। प्रदेश के ऐसे 35 लाख किसानों के खाते में 1600 करोड़ रुपये आज जमा किये जा रहे हैं।  

विपक्षी दलों के नेता जो कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं, दरअसल उनके मन में यह चल रहा है कि जो काम हम कहते थे लेकिन कभी करते नहीं थे, वह काम मोदी ने कैसे किया और क्यों किया! मैं तो केवल अपने किसान भाइयों का कल्याण चाहता हूँ।आज प्रदेश के 35.50 लाख किसानों के खातों में रु. 1,600 करोड़ की मदद सीधे पहुँच रही है। कोई बिचौलिया नहीं, कोई कमीशन नहीं, कोई कट नहीं, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर लाभ सीधा किसानों को मिल रहा है।आज यहां कार्यक्रम में कई किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। पहले हर किसान को ये कार्ड नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने देश के हर किसान को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा देने के लिए नियमों में बदलाव किए हैं।

ये बदलाव 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए-

किसान कितनी भी मेहनत कर ले लेकिन उसके उत्पाद का भंडारण सही तरीके से न हो तो उसे नुकसान होता है। यह किसान का नहीं, पूरे देश का नुकसान है! पहले इसे लेकर उदासीनता थी लेकिन अब हमारी सरकार की प्राथमिकता भंडारण के नए केंद्र बनाना है।तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती। पहले ही बहुत देर हो चुकी है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं।भारत की कृषि और किसान अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता। दुनियाभर में किसानों को आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध है, भारत के किसानों को भी वह मिलना चाहिए। अब इसमें और देर नहीं होना चाहिए। हमारी सरकार ने इसकी पहल की है।

हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की -

भारत का किसान आधुनिक सुविधाओं और टेक्नोलॉजी के अभाव में पिछड़ता जाये, यह स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती है।ऐसे प्रयासों को हमने बढ़ाने का काम किया है, जिस पर वर्षों से पिछली सरकारें केवल विचार-विमर्श करती रही हैं। बीते दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है। ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए। पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है। कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है।सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं। सिर्फ इन मांगों को टालते रहे और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा।  

 मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए-

विपक्षी दलों के नेता जो कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं, दरअसल उनके मन में यह चल रहा है कि जो काम हम कहते थे लेकिन कभी करते नहीं थे, वह काम मोदी ने कैसे किया और क्यों किया!मैं तो केवल अपने किसान भाइयों का कल्याण चाहता हूँ। मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं कि आप अपना क्रेडिट अपने पास रखिए। मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए। मुझे किसान के जीवन में आसानी चाहिए, समृद्धि चाहिए, किसानी में आधुनिकता चाहिए। कृपा करके किसानों को बरगलाना, उन्हें भ्रमित करना छोड़ दीजिए।

स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट पहले लागू होना चाहिए -

जिनकी अपनी राजनीतिक जमीन चली गई है, वे ही भ्रमित कर रहे हैं कि किसानों की जमीन चली जायेगी।स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट जो पहले ही लागू हो जानी चाहिए थी, उसे वे 8 साल तक दबाये बैठे रहे, मैंने कदम उठाये, तो इन्हें दर्द हो रहा।  हर चुनाव से पहले कांग्रेस के नेता कर्ज़माफी की बात करते हैं लेकिन जितनी घोषणा करते हैं, उसका लाभ किसानों को कभी मिलता ही नहीं है। किसानों को मिलता है तो बैंक का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट।  

सरकार किसानों से सवाल पूछ रही -

सरकार बार-बार पूछ रही है, पब्लिक में, मीटिंग में पूछ रही है कि आपको कानून के किस क्लोज में दिक्कत है, तो उन राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता, यही इन दलो की सच्चाई है।हमारे देश में किसानों के साथ धोखाधड़ी का बहुत ही बड़ा उदाहरण है, कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई कर्जमाफी। जब 2 साल पहले मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले थे तो 10 दिन के भीतर कर्जमाफी का वादा किया गया था। कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ? मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद क्या-क्या बहाने बताए गए। ये मध्य प्रदेश के किसान मुझसे भी ज्यादा अच्छी तरह जानते हैं। राजस्थान के लाखों किसान भी आज तक कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं।किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट।कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था?इन लोगों के करीबियों को।

पीएम-किसान योजना शुरू की -

हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे।यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपये।किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर। कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं।देश के किसानों को याद दिलाऊंगा यूरिया की।याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं?  कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं?आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं।

हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया।अगर पुरानी सरकारों को चिंता होती तो देश में 100 के करीब बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट दशकों तक नहीं लटकते। सोचिए, बांध बनना शुरू हुआ तो पच्चीसों साल तक बन ही रहा है। बांध बन गया तो नहरें नहीं बनी, नहरे बन गई तो नहरों को आपस में जोड़ा नहीं गया।

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