रतलाम में SCPCR: भेंड़ बकरियों की तरह ठूंसी गई बच्चियां, सोने के लिए नहीं था बिस्तर, रतलाम अवैध मदरसे में बुरी हालत में मिलीं सैकड़ों लड़कियां

मदरसे के पास कोई जानकारी नहीं थी उसे फंडिंग कहां से हो रही है। बच्चियों को एक कमरे में ठूस-ठूस कर भरा गया था, जैसे मानो वो इंसान नहीं भेंड़ बकरियां हों, हालांकि जानवरों को भी सुख- सुविधाएं समुचित दी जाती हैं।

Update: 2024-08-02 12:25 GMT

रतलाम में SCPCR: रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम में SCPCR ने बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में एक अवैध मदरसे में बुरी हालत में सैकड़ों लड़कियां मिली हैं। बच्चियों को ना रहने की, ना सोने की उत्तम व्यवस्था थी और साथ ही वहां पर कई बच्चियों को तो बेहद तेज़ बुख़ार भी था।

जानकारी के मुताबिक, ये मदरसा महाराष्‍ट्र की ‘जामिया इस्‍लामिया इशाअतुल उलूम अक्‍कलकुआ’ संस्‍था से जुड़कर संचालित था। SCPCR (State Commission for Protection of Child Rights) को सूत्रों के आधार पर ख़बर मिली थी कि यहां अवैध रूप से मदरसा संचालित है और यहां पर रह रही बच्चियों की स्थिति बेहद खराब है। एक कमरे में सैंकड़ों बच्चियों को ठूस ठूस कर रखा गया है कई बच्चियों को तो बेहद तेज़ बुख़ार भी है। इसके बाद जब (State Commission for Protection of Child Rights) की टीम ने छापामार कार्रवाई की तो बात सत्य निकली।

SCPCR की टीम जब मदरसे के अंदर घुसी तो उनके आंखों के सामने का दृश्य विचलित करने वाला था। टीम के सामने एक कमरा, नीचे दरी बिछी हुई है और कहीं-कहीं पर वह भी नहीं, सफेद संगमरमर का फर्श, उस खुले पत्‍थर पर सो रही हैं 30 से 35 छोटी-छोटी बच्चि‍यां। वो कमरा किसी दरबे से कम नजर नहीं आ रहा था। टीम अपनी आंखों के सामने ये नजारा नहीं देख पा रही थी। SCPCR की टीम इस छापामार कार्रवाई के बाद मदरसे का पूरा सिस्टम इधर उधर हो गया, लोग वहां तितर-बितर होने लगे।

किसी को नहीं पता कहां से हो रही है फंडिंग

इस छापामार कार्रवाई के बाद मदरसे के अनुबंध और मान्‍यता को लेकर जब मप्र बाल संरक्षण आयोग ने कागजात मांगे तो मदरसा संचालक के पास समुचित कागजात नहीं थे। आगे पूछताछ में पता चला कि इस मदरसे को संचालित करने के लिए मप्र शासन से कोई मान्‍यता नहीं ली है। इसके बाद फंडिंग की बारी थी तो इस पर मदरसा संचालक ने ये कहा कि हमारे पास सही जानकारी उपलब्‍ध नहीं है। मदरसे के पास कोई जानकारी नहीं थी उसे फंडिग कहां से हो रही है। बच्चियां एक कमरे में ठूस-ठूस कर भरी गई थीं, जैसे मानो वो इंसान नहीं भेंड़ बकरियां हो, हालांकि जानवरों को भी सुख- सुविधाएं समुचित दी जाती हैं। आयोग को शक है इसकी फंडिग या तो लोकल हो सकती या तो फॉरेन से की जा रही है।

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