लाइफस्टाइल डेस्क। कान छिदवाना भारतीय संस्कार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी शामिल है। इन दिनों पुरुष भी फैशन के चलते अपना एक या फिर दोनों कान में पियरसिंग कराने लगे है। भारत के कई राज्यों में आज भी कर्णवेध संस्कार होता है जिसमें बच्चों के कान छेदे जाते हंै। इसे भी एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लेकिन आज हम इसके फायदे जानेगे.....
कान के निचले हिस्से में एक प्वाइंट होता है, जो मस्तिष्क के बाएं और दाएं गोलार्द्ध से कनेक्ट होते हैं। जब इस प्वाइंट पर छेद किये जाते हैं तो, यह दिमाग के हिस्से को एक्टिव बनाते हैं। वहीँ पुरुषों के अंडकोष में भी कान छिदवाने से लाभ मिलता है।
• इसके अलावा जहां पर कानों को छेदा जाता है, वहां पर एक प्वाइंट होता है जो साफ सुनने में मदद करता है। एक्यूपंक्चर के अनुसार, कान के निचले हिस्से पर केंद्रीय बिंदु है, जहां से आंखों की नसें पास होती हैं। इसी बिंदु को दबाने पर आंखों की रौशनी में सुधार होता है।
• वैज्ञानिक दृष्टि से यह भी माना जाता है कि इससे लकवा नामक रोग से बचाव होता है। इयर लोब्स के बीच में कई ऐसे प्रेशर प्वाइंट्स हैं, जो आपके प्रजनन अंगों को स्वस्थ बनाने में मददगार साबित होते हैं।
• पुराने समय में गुरुकुल जाने से पहले बच्चे की मेधा शक्ति बढ़ाने और बेहतर ज्ञान अर्जित करवाने के लिये उसके कान छेदने की प्रथा थी। ऐसा इसलिये क्योंकि कान छिदने से ब्रेन की पावर बढती है।