युरोप के वृद्ध संत की कहानी Old Monk Rum की जुबानी

  • बेनेडिक्टिन संतों से प्रभावित होकर ही बनाई ओल्ड मंक रम
  • जितेंद्र सिंह राजावत

Update: 2023-01-12 13:04 GMT

वेबडेस्क। भारत देश में भी शराब का प्रचलन आज एक आम बात हो गई है। जिसमे कई किस्म की शराब जैसे की व्हिस्की,वोदका,स्कॉच ,रम आदि इन सभी का प्रचलन एक आम बात हो गयी है। जो की खास तौर पर एक नई युवा पीढ़ी में देखने को मिलता है। लेकिन हम अगर बात करते हैं रम की तो उसने हम भारतीयों के बीच में एक अलग ही जगह बना रखी है। RUM (REGULAR USED MEDICINE) जिसका उपयोग हम लोग आम तौर पर दवा के रूप में भी करते हैं।अन्य ब्रांडेड रम की अपेक्षा इसमें एलकोहॉल की 42.8% रहती है। भारतीय सेना के जवानों की पोस्टिंग जब बर्फीले क्षेत्र में की जाती है। तब उन्हें भी रम को दवा के रूप में ठंडीले क्षेत्रों में उपयोग करने के लिए "ओल्ड मंक" नामक रम दी जाती है। जानकारी के अनुसार रम पीने वाले लोगों में "ओल्ड मंक" रम अतिप्रिय मानी जाती है.हैरान कर देने वाली बात तो ये है की कुछ लोगों के द्वारा इसे मुँह से ही चर्चित करके काफी मशहूर कर दिया गया है। जिसके चलते लोगों के द्वारा इसे "बूढ़ा साधु" की भी उपाधि दी गयी है।

जानिये पूरी कहानी


भारतीयों में ओल्ड मंक रम इतनी लोकप्रिय हो चुकी है की इसे आज हर वर्ग के लोगों के द्वारा पसंद किया जाने लगा है। काफी समय से बाजार में उपलब्ध इस रम की लोकप्रियता के चलते कई दशकों पुरानी इस रम को आज भी गरीब,मध्यम,अमीर सभी प्रकार के लोगों में इसके मसाले और ड्राईफ्रूट के स्वाद का आनंद लेते देखा जा सकता है। सन 1954 से लेकर आज तक इसे बनाने वाली कंपनी ने कभी आज तक इसका विज्ञापन तक भी जारी नहीं किया ,जिसके बावजूद भी सिर्फ लोगों के द्वारा मुँह से चर्चित कर इसने कई दशकों पुराने रम के ब्रांड हरक्यूलिस को भी पीछे छोड़ दिया। जिसके बाद इसने बाजार में अपने ऐसे कदम जमाये की इसे नेशनल ड्रिंक की उपाधि मिलने लगी। इसके बाजार में आने के बाद यह सीएसडी कैंटीन में भीं उपलब्ध होने लगी,जिसके बाद सेना में इसकी लोकप्रियता बढ़ने से यह काफी चर्चित हो होती चली गयी ,फिर इसे बनाने वाली कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आमतौर पर इसका उपयोग सर्दियों के मौसम में अधिक बढ़ जाता है। 

जानिये  कैसे मिला नाम 


सन 1969 में उ.प्र. से राजयसभा संसद रहे कर्नल वेद रतन मोहन ने साल 1954 में ओल्ड मॉन्क रम रिलीज की थी। इस रम का नाम यूरोप के बेनडिक्टिन भिक्षुओं से लिया गया था, जो यूरोप के पहाड़ों में ऊंचे स्थान पर रह कर इस प्रकार के पेयजल का निर्माण करते थे। वेद रतन मोहन ने बेनेडिक्टिन संतों से प्रभावित होकर ही ओल्ड मंक रम बनाई. जब वो युरोप दौरे पर गए थे तो उन्होंने उनके शराब बनाने के नायाब तरीक को देखा था. बेनेडिक्टिन संतों के पास वाइन बनाने का नायाब तरीका था. साथ ही उस समय पोषण का मुख्य स्त्रोत भी बीयर ही थी. कहा जाता है यूरोप में वाइन की बादशाहत में बेनेडिक्टिन मंक्स का बहुत बड़ा हाथ है. वहीं से प्रेरित होकर ही उन्होंने ओल्ड मंक रम बनायीं। ओल्ड मोंक रम को प्रतिष्ठित स्वाद देने के लिए ओक केस में इसे 7 साल के लिए रख दिया गया था , जिसने इस रम को भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली रम बना दिया। कर्नल वेद रतन मोहन का 1973 में निधन हो गया और वह विरासत और एक ब्रांड को पीछे छोड़ गए। उनके छोटे भाई कपिल मोहन ने शराब की भठ्ठी का कार्यभार संभाला और ओल्ड मोंक के इतिहास में सुनहरे दौर का निरीक्षण किया। भारतीय सशस्त्र बलों की कैंटीन ओल्ड मॉन्क रम के सबसे बड़े विक्रेताओं में से एक थी। किसी कारण से, भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुरों को इस ब्रांड से प्यार हो गया था। जब ये सैनिक छुट्टी पर घर आते थे तो अपने साथ ओल्ड मॉन्क रम की कुछ बोतलें लेकर आते थे। वे अपने दोस्तों और परिवारों के साथ ओल्ड मॉन्क की कुछ ड्रिंक्स शेयर करते थे। इसका स्वाद और पेय सभी को पसंद आया।

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