भोपाल/वेब डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पूज्य मोहनराव भागवत जी, सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबाले जी एवं प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक माननीय जे॰ नन्दकुमार जी की उपस्थिति में हुआ। इस चिंतन बैठक की प्रस्तावना रखते हुए संघ के सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबाले जी ने बताया कि अध्ययन, अवलोकन और संवाद से चिंतन प्रबल होता है तथा वर्तमान में हिन्दुत्व पर व्यापक विमर्श हो रहा है। इस विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा वह इस विमर्श को अधिक सकारात्मक व रचनात्मक बनाएगा। हिन्दुत्व गतिशील है, स्थितिशील नहीं – श्री रंगा हरि 'हिन्दुत्व का मूल विचार' विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ चिंतक व विचारक श्री रंगा हरि जी ने हिन्दुत्व के तात्पर्य, इतिहास, विधिक और राजनैतिक व्यखाएँ तथा हिन्दुत्व की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए उस पर संघ के विचार बताए। इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए शिक्षाविद् इन्दुमति काटदरे जी ने कहा कि अंग्रेजी को यदि अंग्रेज़ियत से मुक्त कर सको तो अंग्रेजी बोलने का साहस करो।
'हिन्दुत्व विकास कि धुरी' विषय पर प्रस्तुति देते हुए आईआईएम अहमदाबाद के प्रो॰ शैलेंद्र मेहता ने भारत के अतीत से विकास तथा शिक्षा की यात्रा के विषय में बताया और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान के क्रियान्वयन पर चर्चा की। 'वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हिन्दू अर्थशास्त्र' विषय पर अर्थशास्त्री श्री विनायक गोविलकर ने संवाद किया। वरिष्ठ मीडिया सलाहकार श्री उमेश उपाध्याय ने 'मीडिया विमर्श में हिन्दू फोबिया एवं हिन्दुत्व' विषय पर तथ्यात्मक व शोधपरक विमर्श किया। बैठक में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, ख्यातिलब्ध इतिहासकार, अर्थशास्त्री एवं अकादमिक जगत के कई बुद्धिजीवी भाग ले रहे हैं। ध्यातव्य है कि सामाजिक - सांस्कृतिक विषयों के विमर्श मंथन क्रम में प्रज्ञा प्रवाह द्वारा समय-समय पर ऐसी बैठकों का आयोजन किया जाता है।