अभयारण्य हैं पर खरमोर का पता नहीं: सरदारपुर, सैलाना में बीते 2 वर्षों से नहीं आया दुर्लभ पक्षी…

बंद होने की कगार पर दुर्लभ पक्षी के संरक्षण के सरकारी प्रयास;

Update: 2025-03-20 07:26 GMT

भोपाल। विलुप्तता की कगार पर पहुंचे खरमोर पक्षी के संरक्षण के सरकारी प्रयास बंद होने की कगार पर है। प्रदेश के सरदारपुर और सैलाना में इनके लिये बनाये गये अभयारण्य तो हैं लेकिन बीते 2 वर्षों से इन पक्षियों का पता नहीं है।

प्रबंधन जहां इसके लिये प्राकृतिक परिवर्तनों को, वहीं पक्षी विशेषज्ञ लंबी घास के मैदानों की कमी को जिम्मेदार मान रहे हैं।

दरअसल, विधायक प्रताप ग्रेवाल के एक सवाल में सरकार ने विधानसभा को बताया है कि बेहद शर्मीले स्वभाव का यह पक्षी फिलहाल अभयारण्योंं में नहीं है। सरदारपुर अभयारण्य में यह 2023 के बाद से नहीं दिखा है। सैलाना के मामले में यही हाल 2021 से बने हुए हैं।

इस बीच दोनों ही अभयारण्यों पर बीते 2 सालों में 104.65 लाख रूपये सरकार खर्च कर चुकी है। मजेदार बात यह कि इन अभयारण्यों से सटे पड़ोसी राज्य राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति बनी हुई है।

ऐसे में सवाल खड़े होने लगे हैं कि 2020-2021 से 2024-25 के बीच 230.16 लाख रूपये खर्च करने के बाद भी यह मप्र स्थित अभयारण्यों से क्यों दूरी बनाये हुए हैं? बता दें कि खरमोर पक्षी प्रजनन के लिए जुलाई से अक्टूबर के मध्य जोड़े के रूप में आते हैं।

मौसम का परिवर्तन बड़ी वजह

खरमोर पक्षियों के सरदारपुर अभयारण्य से मोहभंग के पीछे धार डीएफओ अशोक सोलंकी मौसम परिवर्तन को बड़ी वजह बताते हैं। उनका कहना है कि 80 के दशक की परिस्थितियां और परिवेश इनके अनुकूल था। समय के साथ आये परिवर्तन को शर्मिले स्वभाव का यह पक्षी पर्यावास के अनुकूल नहीं मान रहा है।

कम हो गये ऊंची घास और लंबे मैदान

पूर्व वन अधिकारी और पक्षी विशेषज्ञ सुदेश वाघमारे का कहना है कि खरमोर ऊंची घास और लंबे मैदान की जरूरत महसूस करता है। यह अब रहे नहीं। पूरा अभयारण्य किसानों की भूमि पर है। दुर्लभ पक्षियों की चिंता से दूर इनको घास काटने से कौन मना कर सकता है?

1983 से जारी है संरक्षण के प्रयास

खरमोर को बचाने के प्रयास प्रदेश में 80 के दशक से ही शुरू हैं। 4 जून 1983 को तत्कालीन सरकार ने धार के सरदारपुर के पानपुरा में खरमोर अभयारण्य बनाया। तब इसमें 14 गांवों को अधिसूचित किया था। प्रदेश में सरदारपुर, सैलाना व पेटलावद जैसे क्षेत्रों में खरमोर पक्षी नियमित रूप से दिखाई देते रहे। सरदारपुर में 2020-21 में 6, 2021-22 में 6 और 2022-23 में आखिरी बार सिर्फ 5 पक्षी दिखाई दिये थे।

कम होगा रकबा

खरमोर पक्षी शून्य होने के बाद सरकार अभयारण्य का रकबा कम करने की तैयारी में है। इसके बाद 14 गावों में से अधिसूचित गांवों में जमीन की खरीद-फरोख्त का रास्ता खुल जाएगा। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिला प्रबंधन द्वारा इसको लेकर प्रस्ताव सरकार के पास भेज दिया है। 

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