महिला बाल विकास: 810 रुपए में चम्मच, 1348 का पलटा खरीदने की फिर तैयारी….!
बिजली नहीं लेकिन खरीद रहे हैं टीव्ही;
मप्र महिला बाल विकास द्वारा आंगनवाड़ियों में करोड़ों की सामग्री खरीदी विवादों में आ गई है। इस मामले की शिकायत सरकार के पास पहुँच गईं हैं। पिछले दिनों संयक्त आयुक्त कार्यालय द्वारा अलग अलग टेंडर जारी किए गए हैं जिनमें 97329 आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए, प्री स्कूल किट, रंगीन टीव्ही, बर्तन और योगा मैट खरीदे जा रहे हैं।
खास बात यह है कि इन टेंडर में ऐसी शर्तें अधिकारियों ने जोड़ दी है जिसके चलते केवल चार पांच सप्लायर ही इन टेंडर में भाग ले पायेंगे। प्रदेश के कुछ अन्य कारोबारियों ने शासन स्तर पर इस मामले शिकायत की हैं।
810 की चम्मच, 1248 का जग
खरीदने की जांच नहीं हुई
सिंगरौली जिले में विभाग ने आंगनवाड़ी के लिए जो बर्तन खरीदे थे उसमें बड़ा घोटाला हुआ था।एक स्टील की चम्मच 810, पलटा/कड़छी 1348 और जग 1248 रुपए में जैम पोर्टल से खरीदा गया है। करीब पांच करोड़ की राशि से सिंगरोली में 1500 आंगनवाड़ी के लिए यह सामग्री खरीदी गई है।
आयुक्त कार्यालय ने इस घोटाले की जांच कर दोषी अधिकारी को दंडित करने की जगह पूरे प्रदेश में उसी व्यवस्था से करीब 78 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए करोड़ों की खरीदी प्रक्रिया शुरू कर दी।जैम पोर्टल के जरिये यह सामग्री अब फिर से खरीदी जा रही है।
बिजली नहीं लेकिन एलईडी खरीदी
प्रदेश के करीब 40 फीसदी आंगनवाड़ी भवनों में बिजली की मानक व्यवस्था ही नही है।आधे से ज्यादा में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नही लेकिन आयुक्त कार्यालय के अफसर 11706 टीव्ही खरीदने के ऑर्डर दे रहे हैं। टेंडर टीव्ही के लिए लगाया गया लेकिन कौन सी ब्रांड का यह भी स्पष्ट नही।
67727 केंद्रों में योगा दरी
प्रदेश के आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति और वहां उपलब्ध भौतिक संरचना किसी से छिपी नही है लेकिन विभाग योगासन के लिए करोड़ों की कार्पेट/मैट खरीदने जा रहा है।
चिन्हित सप्लायर का विभाग पर एकाधिकार
पिछले 15 साल का डेटा स्वदेश के पास उपलब्ध है जो यह बताता है कि विभाग से होने वाली सालाना करोड़ों की खरीदी भोपाल,इंदौर,खण्डवा की फर्म ही करती हैं।जैम पर इन्ही फर्मों ने अपने आइटम रेट सैट कर रखे हैं जो बाजार दर से सैकड़ों गुना हैं।
मसलन एक स्टील की एक चम्मच 810 रुपए की है जो बाजार में ब्रांडेड कम्पनी की भी 40 से 50 रुपए की आती है।चारों फर्म आपस में टेंडर मैनेज कर आइटम वार करोड़ों के खेल में शामिल हैं।
टेंडर की शर्तें और स्टार्टअप नीति
मौजूदा टेंडर प्रक्रिया की शर्तें विशुद्ध रूप से कुछ अफसरों की दुषित प्रक्रिया को साबित करती हैं क्योंकि टेंडर में सप्लाई/ मैन्युफैक्चरिंग का पिछले तीन बर्ष में कुल लागत के मूल्य के बराबर का अनुभव मांगा गया है।टीव्ही के टेंडर में धरोहर राशि 49 लाख से ज्यादा मांगी गई है।
प्री स्कूल किट के टेंडर में भाग लेने के लिए पिछले तीन साल का मैन्युफैक्चरिंग टर्नओवर करोड़ों में होना प्रमुख शर्त है। साथ ही पिछले एक साल का कारोबार करीब 12 करोड़ का होना अनिवार्य है।एक और शर्त यह है कि यह टर्नओवर केवल उसी समान कार्य,उत्पादन का होना चाहिए यानी इन्ही आइटम की सप्लाई, उत्पादन का।
जाहिर है मप्र में किसी भी नई फर्म के पास ऐसे अनुभव संभव ही नहीं है। दूसरी तरफ भारत सरकार और मप्र सरकार द्वारा घोषित स्टार्टअप नीति में स्पष्ट कहा गया है कि नए स्टार्टअप के लिए सभी सरकारी टेंडर अनुभव और टर्न ओवर की शर्त से मुक्त रखे जायेंगे।
इसके बाबजूद महिला बाल विकास के कुछ अफसर इन चार पांच सप्लायर के इशारों पर सरकार की नीति को ठेंगा दिखाते आ रहे हैं।
सभी ताजा टेंडर्स में स्टार्टअप के लिए कोई ऐसे प्रावधान नहीं है जो नए लोगों को अवसर देते हों। शर्तों से स्पष्ट है कि करोड़ो की यह खरीदी कई गुना दरों पर इन्हीं चिन्हित फर्मो से की जानी है।
यह भी स्पष्ट है कि यह खरीदी ब्रांडेड नही होगी क्योंकि टेंडर में इसका उल्लेख ही नही है। यानी न केवल खरीदी में घोटाला बल्कि सप्लाई भी घटिया होगी। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर के चार सप्लायर विजय सोमानी, अतुल अग्रवाल, रमण जैन ने इस मामले की शिकायत शासन से की है।
क्या होना चाहिए…
स्टार्ट अप और मेक इन इंडिया को कम से कम साठ प्रतिशत ख़रीदी के टेंडर मिलने चाहिए। इन्हें ये टेंडर एल वन अर्थात् जो सर्वाधिक अनुकूल व कम क़ीमत का टेंडर है उसमें उल्लिखित मूल्य पर ही मिले ताकि विभाग व शासन को कोई हानि न हो।