ग्वालियर में सालों से जमे हैं एपीटीओ व कर संग्रहक, जबकि 5 साल में सरकार और 3 साल में बदल जाते हैं अधिकारी
कर संग्रहको की लापरवाही से संपत्ति कर वसूली का लक्ष्य नहीं हो पाता है पूरा
ग्वालियर। । देश में भले ही 5 साल में सरकार बदल जाती है और एक ही स्थान पर काम करने वाले अधिकारी भी 3 साल में बदल दिए जाते हैं, लेकिन शहर की नगर निगम में एपीटीओ (सहायक सम्पत्तिकर अधिकारी) व कर संग्रहक पर आला अधिकारियों की ऐसी कृपा है कि वह बरसों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं ।जिसके चलते संपत्ति कर वसूली का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाता है ।नगर निगम कर संग्रहक अपनी जेबे भरने के लिए संपत्ति कर धारकों से सांठगांठ कर संपत्तिकर की गणना में भी गड़बड़ी कर रहे हैं । शहर के मलाईदार वाले वार्ड में नियुक्ति के लिए एपीटीओ व कर संग्रहक अपनी नियुक्ति के लिए आला अधिकारियों को भी खुश रखते हैं । वैसे शहर में करीब ढाई लाख संपत्तियां हैं, लेकिन नगर निगम के खाते में महज डेढ़ लाख के आसपास ही दर्ज हैं। नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कई संपत्तियों का तो नामांतरण भी नहीं हो रहा है। ऐसे संपत्तिकर धारकों से नगर निगम के कर संग्रहक सांठगांठ कर ऊपरी कमाई करने में लगे हैं। कई संपत्तियां ऐसी हैं जिन का
व्यवसायिक उपयोग हो रहा है या छोटे कारखाने चल रहे हैं, लेकिन ऐसी संपत्तियों से भी संपत्तिकर घरेलू लिया जा रहा है । यह सब एपीटीओ व कर संग्रहक की कृपा से हो रहा है । पूर्व में संपत्तिकर घोटाले के कई मामले भी उजागर हो चुके हैं और दिखावे के लिए दोषी कर संग्रहक पर कार्यवाही भी की गई। लेकिन बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया।
यह एपीटीओ जमे है
-प्रमोद माहेश्वरी
-महेश कुशवाह
ये करसंग्रहक
-उम्मेद सिंह-वार्ड 61
-दौलतराम शर्मा वार्ड 62(दोनों के अभी वाड्र बदले है लेकिन जोन एक)
-वृन्दावन माहौर- वार्ड 46
-राघवेन्द्र भदौरिया-वार्ड 60
-रघुवीर गुर्जर-वार्ड 30
-विनीत शर्मा-वार्ड 57
-भूपेश श्रीवास- वार्ड 22
-नाथू बाथम-वार्ड 5
-मनीष शर्मा-वार्ड 32
तबादला न होने से निरंकुश हो रहे अधिकारी और कर्मचारी
नगर निगम में ऐसे कई विभाग है जहां लंबे समय से अधिकारी कर्मचारी जमे बैठे हैं। अधिकारी व कर्मचारियों के एक ही जगह जमा रहने के कारण विभागीय कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। हैरत वाली बात तो यह है कि कई ऐसे अधिकारी कर्मचारी ऐसे हैं जो 3 वर्षों से एक ही टेबल पर जमे हैं। जिससे शासन के योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी गंभीर लापरवाही साफ देखी जा सकती है।
कुल वार्ड-66
-हर वार्ड में एक-एक कर संग्रहक तैनात है।
-साथ ही 12 एपीटीओं की तैनाती है।
यह रहा वसूली का गणित
संपत्ति कर वसूली के आंकड़े
़ेसाल 2015 -16 मिला लक्ष्य-438269778
वसूली -233032611
साल 2017 -18 मिला लक्ष्य - 852855089
वसूली - 517923652
साल 2019 - 20 मिला लक्ष्य - 75000000
वसूली - 579459053
-2020-2021 मिला 104 करोड़ रुपए
वसूली 55 करोड़
-2021-2022- मिला लक्ष्य 200
वसूली-81.26 करोड़
-2022-23- मिला लक्ष्य 242 करोड़
-वसूली 73.10 करोड़
निजी लोग करते हैं वसूली
क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक एक पर सनसनी खेज मामला उभरा था। जिसमें 65 लाख की वसूली कर संग्रहकों ने बाहरी तत्वों से करा ली थी। इन तत्वों को टैबलेट ऑपरेट करने के लिए अपने हिसाब से करसंग्रहक बगल बैठा लेते है फिर यही तत्व घर-घर जाकर वसूली करके पैसा अपने पास रखते है। इस कांड में छह कर संग्रहक निलंबित हुए थे तब अपनी नौकरी बचाने के लिए इन्हें अपनी जेब से 65 लाख की राशि निगम कोष में जमा करवाना पड़ी थी।
इनसे नहीं होती वसूली
नारकोटिक्स, एलएनआईपीई, रेलवे, ट्रिपल आईटीएम जैसे संस्थान शामिल हैं। सेना के किसी संस्थान से किसी प्रकार की कोई वसूली नहीं की जाती। रेलवे पर नगर निगम का लगभग 12 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है।
कुर्की की कार्रवाई होगी
जिन बकाएदारों ने समय रहते टैक्स की राशि जमा नहीं की, तो उनकी संपत्ति सील करने से लेकर कुर्की तक की कार्रवाई की जाएगी। निगमायुक्त ने अधीनस्थों को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द लिस्ट तैयार कर कार्रवाई करें। उसके लिए फिर से एक बार नोटिस दें, अगर उसके बाद भी कोई अगर कोई भुगतान नहीं करता है तो संपत्ति को सील कर दिया जाए। फिर भी वसूली नहीं हो पाती है तो कुर्की की कार्रवाई की जाए। इससे पहले नगर निगम ने मार्च 2022 में शिंदे की छावनी स्थित शांति देवी भार्गव के मकान पर 31 लाख 38 हजार 670 रुपये की वसूली निकाली गई थी। राशि जमा नहीं करने के कारण नोटिस दिए गए। फिर भी राशि नहीं मिली तो मकान को कुर्क कर लिया गया और एक करोड़ 20 लाख पांच हजार रुपये में नीलाम कर दिया गया था।
रोज 1 करोड़ 60 लाख की वसूली हो तभी पूरा होगा लक्ष्य
निगमायुक्त हर्ष सिंह ने संपत्ति कर वसूली की वार्ड वार समीक्षा करते हुए कहा था कि सभी कर संग्रहकों एवं वसूली प्रभारियों को निर्देश दिए कि प्रतिदिन लक्ष्य बनाकर कम से कम 1 करोड़ 60 लाख रुपये की वसूली करना है। तभी हम निर्धारित लक्ष्य 242 करोड़ को पूर्ण कर पाएंगे।
इनका कहना है
सम्पत्तिकर वसूली के लक्ष्य को पूरा करने 31 मार्च तक का समय दिया है। जो अपने लक्ष्य को पूरा नहीं करेंगे उन्हें नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनसे पूछा जाएगा कि लक्ष्य को वह पूरा क्यों नहीं कर पाए। एक अप्रैल के बाद हम नई टीम को जिम्मेदारी भी देंगे।
हर्ष सिंह
निगमायुक्त