अपनों से परहेज, बरैया को राज्यसभा का टिकट!

निष्ठावान दलित कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहा यह निर्णय

Update: 2020-05-31 01:00 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। कहने को कांग्रेस सबसे पुराना राजनीतिक दल है और दलित कार्ड खेलकर ही वह राजनीति करता आया है। किंतु मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा टिकट की बारी आने पर कांग्रेस ने अपने ही दल के दलित नेताओं से परहेज करते हुए कई दल-बदल चुके फूलसिंह बरैया को पसंद किया। इससे अंदर ही अंदर कांग्रेस के दलित नेता अपने आप को बेचैन महसूस कर रहे हैं। यहां एक और बात महत्वपूर्ण है, वह यह कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश से दो नाम राज्यसभा के लिए तय किए हैं, जिसमें एक नाम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी है। अब यहां सवाल यह उठ रहे हैं कि दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया में से किस नेता को प्रथम वरीयता में रखा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज पार्टी से राजनीति शुरू करने वाले फूलसिंह बरैया ने ग्वालियर-चंबल अंचल के बाद प्रदेश में अपना नाम किया था। इस दौरान वर्ष 1998 में भांडेर विधानसभा चुनाव में वह विधायक चुने गए। किंतु वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनकी पत्ती कट कर दी। इसके बाद से ही बरैया हाशिए पर आ गए। इस दौरान उन्होंने स्वयं की पार्टी बनाई और रामविलास पासवान की पार्टी में भी शामिल हुए। किंतु सफल नहीं होने पर भाजपा का दामन भी थामा। यहां भी नाकाम होने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव के समय वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के जरिए कांग्रेस में आ गए। इस तरह कांग्रेस में शामिल हुए उन्हें मात्र एक वर्ष ही हुआ होगा कि कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया। जिससे दलित वर्ग के कांग्रेस नेता अपने आपको बेहद हीन और बेचैन महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस के एक दलित नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कांग्रेस गांधीजी की विचारधारा पर चलती है,वहीं बसपा ऐसा दल रहा है, जिसने गांधीजी की प्रतिमा पर जूते-चप्पल पहनकर उनका अपमान किया था। उस समय बरैया बसपा में ही थे। ऐसे में बरैया को आगे लाना पार्टी के लिए हानिकारक साबित होगा। इससे सामान्य वर्ग का मत भी हाथ से जा सकता है।

दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह को राजनीति का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। वह प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रहे और पिछले दरवाजे से राज्यसभा से सांसद बनते रहे। ऐसे में कांग्रेस के अंदरखाने यह सवाल उठ रहे हैं कि राज्यसभा के लिए दिग्विजय सिंह और बरैया में से किसे प्रथम वरीयता में रखा जाए। क्योंकि कांग्रेस के पास इस समय जितने मत हैं, उससे वह सिर्फ एक ही नेता को राज्यसभा में पहुंचाने की स्थिति में है।

कांग्रेस के यह हैं दलित नेता-

भिंड से लोकसभा चुनाव लडऩे वाले देवाशीष जरारिया, कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, पूर्व सांसद बाबूलाल सोलंकी, बारेलाल जाटव, पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध, ग्वालियर विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष अमर सिंह माहौर, गोपीलाल भारती, कमलापति आर्य आदि।

वरिष्ठ नेता फूल सिंह बरैया कांग्रेस से लंबे समय से संपर्क में थे। विधानसभा चुनाव के समय कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह से मिले, तब उन्हें कांग्रेस में प्रवेश कराया गया। उनके आने से पार्टी को दलित वर्ग का सहयोग मिलेगा इसी दृष्टि से उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया है।

-देवाशीष जरारिया

प्रत्याशी भिंड लोकसभा

मैं पार्टी के फैसले के साथ हूं। इस मामले में और कुछ नहीं बोलूंगा।

-अमर सिंह माहौर

पूर्व उपाध्यक्ष जीडीए

फूलसिंह बरैया को राज्यसभा से टिकट देने का निर्णय हाईकमान का है, इसलिए मैं इस बारे में कुछ नहीं बोल सकता।

-गोपीलाल भारती

पूर्व उपाध्यक्ष जीडीए

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