ग्वालियर- चंबल अंचल में हिट विकेट होती कांग्रेस

डीके जैन

Update: 2024-04-03 23:30 GMT

 ग्वालियर। देश की 18 वीं लोकसभा के लिए चुनावी घमासान शुरू हो गया है। मप्र में भाजपा ने पहले अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए और उसके उम्मीदवारों ने अपना-अपना चुनावी अभियान प्रारंभ कर कांग्रेस पर कहीं बढ़त बना ली है। ग्वालियर-चंबल संभाग की लोकसभा की 4 सीटों में से 3 पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार तय करने में पिछड़ गई। चारों सीटों के अंतर्गत 32 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। करीब 4 माह पूर्व हुए विधानसभा के चुनाव के आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस, भाजपा को कहीं अच्छी टक्कर देकर मुकाबले को कड़ा बना सकती थी। लेकिन विधानसभा चुनाव की तरह चुनावी तैयारियों और उम्मीदवारों के एलान में वह लोकसभा चुनाव में भी पिछड़ गई। अभी तक की राजनीतिक गतिविधियां तो साफ संकेत दे रहीं हैं कि कांग्रेस ग्वालियर- चंबल संभाग में हिट विकेट की स्थिति में पहुंच गई है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर- चंबल संभाग की चारों सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने शानदार जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव के करीब 4 साल बाद मप्र विधानसभा के चुनाव हुए। इस चुनाव में पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा था। नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में अंचल की 34 सीटों में से त्रभाजपा 18 सीटें जीतने में सफल हुई और कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं थीं। विधानसभा चुनाव के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो गुना-शिवपुरी सीट पर भाजपा अच्छी बढ़त बनाने में सफल हुई थी। जबकि ग्वालियर, भिण्ड-दतिया व श्योपुर- मुरैना सीट पर कांग्रेस अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा पर बढ़त बनाने में कामयाब रही थी।

लोकसभा चुनाव की तैयारियां यूं तो 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने शुरू कर दीं थीं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के फार्मूले कोमिली सफलता से प्रभावित हो लोकसभा के लिए भी सबसे पहले उम्मीदवारों का ऐलान कर दूसरे दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली तो एनडीए गठबंधन में कई नए दलों को शामिल कर 400 पार की ओर कदम बढा़ दिए। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का इंडी गठबंधन में अपनी ढपली अपना राग की स्थिति चल रही है। आप से लेकर राजद, तृणमूल कांग्रेस एनसीपी तक ने आंखे तरैर अपने हिहाब से चल कांग्रेस को संकट में डाल रखा है। इसका सीधा असर यह रहा कि कांग्रेस में जहां एक तरफ भगदड़ मच गई तो दूसरी ओर वह उम्मीदवारों की घोषणा में भी पिछड़ गई।

भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने उम्मीदवारों कि एलान कर चुनाव अभियान को गति देकर पहले चरण की बढ़त बना ली है। मप्र के ग्वालियर- घंबल संभाग की ग्वालियर सीट पर विधानसभा चुनाव में 26 हजार से अधिक की बढ़त को कांग्रेस अपने लिए प्लस प्वाइंट मानकर चल रही थी। लेकिन अपने उम्मीदवार की घोषणा में वह पिछड़ गई और एक अच्छी स्थिति उसके हाथ से निकलती दिख रही है। भाजपा के उम्मीदवार को करीब एक माह का समय अधिक मिल गया और उसका अभियान वार्ड स्तर तक पहुंच गया है। मुरैना सीट की भी संभावनाओं को कांग्रेस अपने हाथों खोती गई। यहां विधानसभा चुनाव में भाजपा विपक्षी कांग्रेस व बसपा से संयुक्त रूप से करीब डेढ़ लाख वोटों से पीछे थी। लेकिन कांग्रेस यहां भी टिकट को लेकर पिछडी़ और क्षत्रिय, गुर्जर व ब्राह्मण उम्मीदवार को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी और भाजपा उम्मीदवार को आगे निकलने एक माह का समय दे दिया।

भाजपा उम्मीदवार ने समय का सदुपयोग कर गांव- गांव तक दस्तक दे रखी है। भिण्ड सीट पर भी विधानसभा चुनाव में लाभ की सिथ्ति में कांग्रेस थी। यहां 8 में से 4 सीटें उसने जीतीं थीं। यहां उसकी बढ़त 6904 मतों की थी, लेकिन बसपा के साथ यह बढ़त 90 हजार की थी। यहां भाजपा ने वर्तमान सांसद संध्या राय पर फिर भरोसा किया । उम्मीदवारी घोषित होने के पूर्व ही वह अपने क्षेत्र में पूरी तरह उतर ग्ईं थीं। कांग्रेस ने यहां भाण्डेर विधायक फूलसिंह बरैया को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रहे देवाशीष टिकट नहीं मिलने से खफा हैं तो बरैया की सवर्ण वर्ग के प्रति समय- समय पर की गईं अभद्र टिप्पणियां भी उनके लिए आत्मघाती ही बनेंगी। गुना सीट पर भाजपा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से करीब 1लाख 86 हजार मतों से आगे थी।

केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां उम्मीदवारी की घोषणा से पूर्व ही अपनी खोई जमीन वापस हासिल करने बिसात बिछाने में जुट गए थे। सिंधिया के साथ उनका परिवार भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहता, फलस्वरूप पूरे परिवार ने यहां मोर्चा संभाल लिया है। कांग्रेस भले ही दावा केपी सिंह यादव जैसा सशक्त उम्मीदवार उतारने का दावा करती रही। लेकिन उसे उम्मीदवार ढूंढ़े नहीं मिल रहे थे।कांग्रेस ने आखिर यादव कार्ड खेला और राव यादवेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है।वह मुंगावली से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। उनकी मां और भाई चुनाव के पूर्व ही सिंधिया के समक्ष कमल का पट्टा ओढ़ चुके हैं। ऐसे में यादवेन्द्र सिंह भाजपा उम्मीदवार को कितनी टक्कर देंगे, वह चुनाव परिणाम बताएंगे। कुल मिलाकर राजनीतिक बीथिकाओं में जहां कांग्रेस के ग्वालियर- चंबल संभाग में हिट विकेट होने की चर्चाएं चल निकली हैं तो राजनीतिक विश्लेषकों की जुगाली में भी कांग्रेस की अंचल में संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं।

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