ग्वालियर में बीस साल से सांसदी की चाह :कांग्रेस की गुटबाजी में उलझा प्रत्याशी का नाम

Update: 2024-03-16 01:30 GMT

ग्वालियर। कांग्रेस ने लगभग बीस साल पहले भाजपा से ग्वालियर की लोकसभा सीट छीनी थी लेकिन उसके बाद वह यहां से अपना सांसद नहीं चुन पाई है। ग्वालियर से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा के सामने कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी का नाम तय नहीं किया है जबकि आचार संहिता शनिवार को लगने की संभावना है। बताया गया है कि कांग्रेस में गुटबाजी सिर चढक़र बोल रही है इसीलिए एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।

उल्लेखनीय है कि पहले जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में हुआ करते थे, तब उन्हीं की सिफारिश पर प्रत्याशियों के नाम तय हो जाते थे और उस समय दिग्विजय सिंह खेमा अलग-थलग पड़ जाता था लेकिन श्री सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के बाद कांग्रेस में गुटबाजी और भी ज्यादा बढ़ गई है। जिससे प्रत्याशी चयन में बिलंब हो रहा है।

बाबूजी के बाद नहीं चुना सांसद

लगभग बीस वर्ष पूर्व यहां से रामसेवक सिंह गुर्जर बाबूजी कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। वैसे वह सीधे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीकी हैं लेकिन उस समय श्री सिंधिया की सहमति से ही उन्हें टिकट मिल सका था लेकिन दुर्भाग्य से वह कुछ ही समय सांसद रह सके क्योंकि रिश्वत लेकर सवाल पूछे जाने के मामले में उनकी सांसदी चली गई।

अशोक सिंह को नकारा

बाबूजी के बाद कांग्रेस ने गांधीवादी विचारधारा से जुड़े कक्का डोंगर सिंह एवं पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह के सुपुत्र अशोक सिंह को वर्ष 2007 में लोकसभा का टिकट दिया। वे भी कट्टर दिग्विजय सिंह समर्थक हैं लेकिन श्री सिंधिया से तालमेल बिठाने से उन्हें टिकट मिलता रहा, पर जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और लगातार पराजय हाथ लगी। इस बार पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया है इसलिए नए चेहरे की खोज करना पड़ रही है

अब चला लाखन कुशवाहा का नाम

कांग्रेस में प्रत्याशी के लिए प्रतिदिन नाम बदलकर सामने आ रहे हैं।अब तक आधा दर्जन से अधिक नाम उभर चुके हैं। इनमें डॉ गोविंद सिंह, रामसेवक बाबूजी, प्रवीण पाठक,लाखन सिंह यादव, देवेंद्र शर्मा, सतीश सिकरवार, सुनील शर्मा, मितेन्द्र सिंह,प्रयाग सिंह गुर्जर व केदार कंसाना के नाम शामिल हैं।अब नया नाम करैरा से विधायक रहे लाखन सिंह कुशवाहा का उभरा है। दरअसल गुटबाजी के चलते अशोक सिंह खेमा रामसेवक बाबूजी, केदार और लाखन कुशवाहा के नाम बढ़ा रहा है, वहीं सतीश, देवेंद्र एवं साहब सिंह की तिकड़ी देवेंद्र शर्मा या सत्यपाल सिकरवार के नाम आगे कर रही है। देवेन्द्र का विरोध सुनील शर्मा खेमा कर रहा है जबकि पूर्व विधायक प्रवीण पाठक की अपनी अलग शैली है वे दूर बैठकर ही राजनीतिक आंकलन कर रहे हैं। यही कारण है कि हाईकमान अभी तक एक नाम पर सहमति नहीं बना पाया है।

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