नियमों को तोडक़र हुआ प्लाट का आवंटन, सूचना आयोग के आदेश के बाद भी जीडीए ने नहीं दी जानकारी

3 सालों से जीडीए नहीं दे रहा था दस्तावेज, रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री पर लगा 10 हजार का जुर्माना

Update: 2024-03-20 00:45 GMT

ग्वालियर।  ग्वालियर डेवलपमेंट अथॉरिटी जीडीए में प्लॉटों की बंदरबांट का एक बड़ा खुलासा आरटीआई में हुआ है। बताया गया है की गड़बड़ी को दबाए रखने के लिये जीडीए के अधिकारी साल 2021 से कागज को दबाए हुए थे। इतना ही नहीं सूचना आयोग के आदेश के बाद भी जीडीए जानकारी नहीं दे रहा था। मामले में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह की सख्त कार्रवाई के बाद दस्तावेज सामने आने पर अब ये अनियमिताए उजागर हुई है।

अनुसार सूचना आयोग में सुनवाई मे आरटीआई आवेदक अधिवक्ता एच एस यादव के अनुसार उनके पिता की जमीन का अधिग्रहण ग्वालियर डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा किया गया था। यादव का आरोप है, कि अधिग्रहण करते समय जो अनुबंध था, जिसके तहत प्लॉट का अलॉटमेंट होना था, उसमें गंभीर भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली जिसके चलते यादव ने जुलाई 2021 में आरटीआई आवेदन दायर कर जीडीए से प्लॉट के अलॉटमेंट और नियमों की जानकारी मांगी।

2021 में मांगे कागज आयोग के डंडे के बाद 2024 में मिले

यादव 2021 से जानकारी के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे। जीडीए से आरटीआई में जानकारी नहीं मिलने पर यादव ने सूचना आयोग में अपील दायर की तो सूचना आयोग ने सितंबर 2022 में जानकारी 15 दिन मे देने के लिए जीडीए को निर्देशित किया। पर जीडीए ने सूचना आयोग के आदेश को भी ताक पर रख दिया और यादव को जानकारी नहीं दी। तब यादव ने सूचना आयोग में शिकायत दर्ज की। इस शिकायत की सुनवाई राहुल सिंह ने की। सिंह ने सूचना आयोग के आदेश की अवेहलना को गंभीर प्रकरण बताते हुए तत्काल इसमें जानकारी देने की निर्देश दिए। साथ ही सिंह ने अपने आदेश की कंप्लायंस रिपोर्ट भी मंगवा ली। साथ ही प्रकरण में जुर्माने और अनुशासनिक कार्रवाई का नोटिस भी जारी कर दिया। सुनवाई में राहुल सिंह सख्त कार्रवाई के चलते जीडीए में हडक़ंप मचा और आनन-फानन सारे दस्तावेज यादव को सौप दिए।

दोषी अधिकारी के रिटायर्ड होने के बाद भी हो गई कार्रवाई

वही इस जानकारी को गलत तरीके से रोकने वाले जिम्मेदार अधिकारी रिटायर्ड हो चुके तत्कालीन अधीक्षण यंत्री सुभाष सक्सेना को आयोग ने ढूंढ निकाला। आरटीआई में जानकारी छुपाने पर शासकीय सेवा में रहते हुए तो कार्रवाई होती है। लेकिन सेवानिवृत्त अधिकारी भी अब सूचना आयोग की सख्ती के चलते कार्रवाई की चपेट में आ रहे हैं। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सूचना आयोग के आदेश के बावजूद जानकारी छुपाने वाले सेवानिवृत्त अधीक्षण यंत्री ग्वालियर डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीडीए) के विरूद्ध 10 हजार का जुर्माना लगा दिया।

इस तरह हुई बंदरबांट प्लाटों की

एचएस यादव को मिले दस्तावेजों में जीडीए के प्लॉट एलॉटमेंट में गंभीर अनियमितता उजागर हुई है। यादव का कहना है कि जीडीए ने नियम कायदे कानून को ताक पर रखते हुए एक ही व्यक्ति जैसे श्री राम इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम 32 प्लॉट अलॉट किए हैं। इसके अलावा भी अन्य लोग भी है जिनके नाम छह से सात प्लॉट का अलॉटमेंट हो चुका है। यादव का आरोप है कि जीडीए में नियम की अनदेखी करते हुए प्लॉट एलॉटमेंट में जम के भ्रष्टाचार हुआ है।

आपके द्वारा मुझे यह मामला संंज्ञान में लाया गया है, मैं पता करके कल आपको पूरी जानकारी दूंगा

नरोत्तम भार्गव

मुख्य कार्यपालन अधिकारी

जीडीए 

जीडीए के अधिकारी साल 2021 से कागज को दबाए हुए थे, अब मुझे जो भी दस्तावेज उपलब्ध कराएं गए है वह भी अधूरे है, अधिकारी पूूरे दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं करवा पा रहे है।

एचएस यादव

आरटीआई आवेदक

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