शासकीय चिकित्सकों को दी खुलेआम मरीजों को लूटने की छूट

नियम विरूद्ध क्लीनिकों के कराए पंजीयन, मामला जिला अस्पताल का

Update: 2024-04-12 01:15 GMT

ग्वालियर। शासकीय अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को बेहतर उपचार नसीब हो सके। इसके लिए शासन स्तर पर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अस्पताल में मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना तो दूर मरीजों को खुलेआम लूटने की छूट देने में लगे हुए हैं।

जिसका उदाहरण सीएमएचओ कार्यालय मे नियम विरूद्ध तरीके से किए गए क्लीनिकों के पंजीयन ही हैं।

दरअसल शासन के नियम अनुसार शासकीय चिकित्सक प्राइवेट क्लीनिक अपने निजी निवास पर संचालित कर सकते हैं। लेकिन जिला अस्पताल मुरार में पदस्थ अधिकांश चिकित्सकों ने बिना पंजीयन कराए अपनी क्लीनिकें अस्पताल के आस-पास ही खोल रखी हैं। जिसको लेकर जिलाधीश रुचिका चौहान के निर्देश पर जिला अस्पताल के चार चिकित्सकों को नोटिस भी जारी किए गए। लेकिन नोटिस जारी करने के कुछ दिनों में ही अधिकांश चिकित्सकों की क्लीनिकों के पंजीयन भी करा दिए गए। जिसको लेकर स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद ही मरीजों को लूटने की छूट प्रदान करने में लगे हुए हैं।

शपथ पत्र के आधार पर हुए पंजीयन

शासन के नियम है कि कोई भी शासकीय चिकित्सक अपनी प्राइवेट क्लीनिक निजी निवास पर संचालित कर सकते हैं। लेकिन अस्पताल के चिकित्सकों की क्लीनिकों के पंजीयन एक शपथ पत्र के आधार पर कर दिए गए। शपथ पत्र में चिकित्सकों द्वारा बताया गया कि जिस जगह उनकी क्लीनिक संचालित हो रही है, उस जगह वे किराए से रहते हैं। जबकि अधिकांश चिकित्सकों का निवासी अन्य जगह है। उसके बाद भी चिकित्सकों की क्लीनिकों के पंजीयन कर दिए गए।

निरीक्षण के बिना ही हुए पंजीयन

अगर कोई चिकित्सक अपनी क्लीनिक का पंजीयन कराता है तो पंजीयन से पहले क्लीनिक का निरीक्षण किया जाता है। अगर निरीक्षण के दौरान सारी व्यवस्थाए ठीक पाई जाती है तो क्लीनिक का पंजीयन कर दिया जाता है। लेकिन जिन चिकित्सकों की क्लीनिकों के पंजीयन किए गए। उनकी क्लीनिाकों का निरीक्षण तक नहीं किया गया। जिसको लेकर सीएमएचओ कार्यालय के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

अस्पताल के अधिकारियों का भी श्रेय

जिला अस्पताल में पहुचने वाले मरीजों को चिकित्सकों द्वारा अपनी क्लीनिक पर बुला कर फीस के नाम पर शुल्क वसूलने की शिकायतें अस्पताल के अधिकारियों के पास भी पहुंच चुकी हैं। लेकिन अस्पताल की व्यवस्थाओं का जिम्मा सम्भाल रहे अधिकारी चिकित्सकों पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें श्रेय देने में लगे हुए हैं।

निजी अस्पतालों में भी करते हैं भर्ती

अस्पताल के कुछ चिकित्सक तो ऐसे हैं जो क्लीनिकों पर तो मरीजों को लूटते ही हैं। साथ ही निजी अस्पतालों में भी भर्ती करते हैं। जिसकी पूर्व में कई शिकायतें भी सामने आ चुकी हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर जांच दल गठित कर सिर्फ खानापूर्ती कर दी जाती है।

अगर चिकित्सकों द्वारा लगत शपथ पत्र लगाए गए हैं तो इसकी जांच की जाएगी।

डॉ. आर.के. राजोरिया

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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