कैसे भ्रष्टाचार मुक्त होगा ग्वालियर नगर निगम ? अगर रिश्वत नहीं दो तो अटका दी जाती है फाइलें
नामांतरण के दस हजार, कर्मचारी के ट्रांसफर व लगवाने के 20 हजार
ग्वालियर। नगर निगम में बिल पास कराना, फाइल पास कराना, कर्मचारियों के इधर से उधर तबादले कराना, जन्म मृत्यू प्रमाण पत्र,फाइले करने का खेल अब सामान्य प्रक्रिया बन चुका है। बिल पास करनेे के बदले सामान्यत: 7 प्रतिशत राशि मांगी जाती है, जो कुछ मामलों में ज्यादा भी हो जाती है। यह राशि ऊपर से नीचे तक बंटती है। निगम का कोई भी विभाग कमीशन के इस संक्रमण से बचा नहीं है। इसी ऊपरी कमाई के चक्कर में निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की जनसमस्याएं हल करने में ज्यादा रुचि नहीं रहती। वे अपने बगल में ठेकेदारों की फाइलें दबाए घूमते रहते हैं।
इतना ही नहीं नगर निगम सीमा क्षेत्र के सभी 25 क्षेत्रीय कार्यालय,निगम मुख्यालय व जनमित्र केंद्रों पर यही स्थिति बनी हुई है। जिसमें यदि कोई आवेदन कर्ता नामांतरण के लिए क्षेत्रीय कार्यालय पर जाता है संबंधित कर संग्रहक उसे निगम के विज्ञापन शुल्क के ढाई हजार और एपीटीओ सहित अन्य अधिकारी के मिलाकर 10 हजार रुपए में नामंतरण बनाने की बात कहता हैं। यदि कोई रुपए नहीं देता है तो उसकी फाइल को महीनों तक लटकाए रखा जाता है। यही हाल जनमित्र केंद्र व निगम के कार्यालय में भी जहां आने वाले लोगों से बेधडक़ होकर रुपए ले लिए जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर लोगों का कहना था कि तत्कालीन अनय द्विवेदी के कार्याकाल में भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगी थी। वहीं वर्तमान निगमायुक्त को लेकर लोगों का कहना है कि जब हर्ष सिंह आए थे उस समय निगम कर्मचारियों में डर था,लेकिन वह अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। ऐसे में निगम आयुक्त हर्ष सिंह को कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि बीते तीन वर्ष में तत्कालीन नगर निवेशक प्रदीप वर्मा 5 लाख रुपए और क्षेत्राधिकारी मनीष कन्नौजिया व टाई कीपर इंदर सिहं 50 हजार रुपए, पार्क विभाग की कार्यपालन यंत्री वर्षा मिश्रा की रिश्वत लेते पकड़े गए थे। इसके साथ ही निगम के कई अफसरों-कर्मचरियों के खिलाफ लोकायुक्त और इओडब्ल्यू में जांच के नाम पर मामला लंबित चल रहे हैं। उसके बाद भी निगम में भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है।
इन कामों के निगम में यह रेट है फिक्स
-भवन अनुमति के लिए-20 से 28 हजार कम से कम
-पेंशन के लिए 500 से 750 रुपए
-जन्ममृत्यू प्रमाण पत्र-1500 रुपए
-फाइलों में-8 से 10 प्रतिशत कमिशन
-ट्रांसफर सफाई कर्मचारियों के-15000 रुपए
-निगम में आउस सोर्स नौकरी के लिए-20 से 25 हजार
-फायर एनओसी-15 से 20 हजार कम से कम
-कार्यशाला में-10 से 15 प्रतिशत कमिशन
-नामांतरण-8 से 10 हजार रुपए
-विधवा पेंशन-500 से 1000 रुपए
अंगद की तरह जमे हुए है अधिकारी
भ्रष्टाचार कम होने की जगह बढऩे का मुख्य कारण है कि अधिकतर कर्मचारी एक ही सीट पर काफी लंबे समय से जमे हुए है और अधिकतर कर्मचारियों को निगम के सभी बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है। यही कारण है कि वह बिना किसी डर के निगम में आने वाले हितगा्रही से खुलकर रुपए की मांग करते हैं। कई बार यदि कोई हितग्राही शिकायत भी कर दें तो कार्रवाई होने में ही काफी समय लग जाता है। वहीं निगम के जिम्मेदार भी देखने-दिखावे की कार्रवाई करते हैं।
कमिशन दो और ले जाओ फाइल का भुगतान
जानकारों ने बताया कि कार्यशाला,भंडार कक्ष,वित्त विभाग और विद्युत में 10 से 15 प्रतिशत कमिशन देने पर ही फाइलों का भुगतान किया जाता है। यदि कोई कमिशन नहीं देता है उसकी फाइल रोक ली जाती है।
पार्क विभाग में वर्षो से जमे है बाबू
कुछ माह पहले पार्क विभाग की सब इंजीनियर को ईओडब्ल्यू ने रंगे हाथों पकड़ा था। इसी विभाग में कई लोग ऐसे है तो वर्षो से एक ही जगह पर जमे हुए है। बताया जाता है कि 15 साल से भी ज्यादा समय से निगम में कार्यरत है और उसे लेन-देन के मामले में अच्छा खिलाड़ी माना जाता है।
जनता के काम भी नहीं करते
निगम की हालत यह है कि ठेकेदारों के साथ जनता से भी विभिन्ना कार्यों के लिए पैसा वसूला जाता है। अलग-अलग प्रमाण पत्र बनवाने या एनओसी लेने के काम सीधे तरीके से नहीं होते, तो मजबूरन आम जनता को दलालों से संपर्क कर काम कराने पड़ते हैं। आला स्तर पर कड़ी निगरानी नहीं होने का फायदा निचले स्तर के कर्मचारी खूब उठाते हैं और जनता को परेशान करते हैं।