LNIPE कुलपति की चयन प्रक्रिया विवादों के घेरे में

-आवेदकों द्वारा चयनकर्ता का नाम तय किए जाने पर उठे सवाल

Update: 2021-03-11 10:25 GMT

File Photo - LNIPE University 

ग्वालियर/नवीन सविता। लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान(एलएनआईपीई) में कुलपति चयन प्रक्रिया में सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि चयन समिति ने विशाल अनुसंधान परियोजना(मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट) की अनिवार्यता को धता बताते हुए कुछ ऐसे अभ्यर्थियों के आवेदनों को छटनी के बाद मान्य कर लिया, जिनके पास उक्त अनुसंधान ही नहीं है। वहीं संस्थान के प्रबंध मंडल द्वारा भेजे गए एक चयनकर्ता का नाम भी विवादों में आ गया है, क्योंकि उक्त मंडल में चार आवेदक भी बतौर सदस्य शामिल थे। ऐेसे में वे स्वयं ही अपना चयनकर्ता कैसे चुन सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि संस्थान के कुलपति पद के लिए उक्त आर्हता का होना अनिवार्य है लेकिन विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि तीन सदस्यीय चयन समिति ने सूची में ऐसे कुछ अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए हैं, जिनके पास एक भी बड़ा अनुसंधान परियोजना नहीं है। जबकि उक्त आर्हता का होना अनिवार्य है। उक्त सूची में संस्थान के तीन से चार प्राध्यापक व शिक्षक शामिल हैं। ये वही प्राध्यापक व अधिकारी हैं, जो प्रबंध मंडल की बैठक में बतौर अध्यक्ष, सचिव व सदस्य के रूप में शामिल थे। इन्हीं के द्वारा संस्थान की तरफ से एक चयनकर्ता का नाम तय करके मंत्रालय को भेजा गया। जबकि नियमानुसार अभ्यर्थी को स्वयं के चयन के लिए यह नाम तय करने का अधिकार नहीं है।

प्रो. शर्मा बैठक में नहीं हुए थे शामिल

छह नवंबर 2020 को हुई प्रबंध मंडल की बैठक में हिमाचल प्रदेश के प्रो. एसके शर्मा को भी बतौर सदस्य शामिल होना था, लेकिन वे इसलिए बैठक में शामिल नहीं हुए कि वे स्वयं कुलपति पद के लिए अभ्यर्थी थी। बाकायदा बैठक की कार्यविवरणी में भी इसका उल्लेख किया गया।

इस तरह समझे गड़बड़ी

-छह नवंबर 2020 को प्रबंध मण्डल के सदस्यों की बैठक हुई, जिसमें कुलपति की नियुक्ति के लिए एक चयनकर्ता का नाम प्रस्तावित कर खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय को देना था और इस बैठक में कुलपति पद के चार आवेदक प्रो. जेपी वर्मा, प्रो. दिलीप कुमार ढुरेहा, प्रो. वासुमतारी और प्रो. एस. मुखर्जी बतौर प्रबंध मंडल के सदस्य के रूप में उपस्थित थे।

-प्रो. जीडी शर्मा, पूर्व कुलपति अटल बिहारी वापजेयी विवि विलासपुर का नाम प्रबंध मंडल की ओर से कुलपति चयन समिति के सदस्य के रूप में तय कर मंत्रालय भेजा गया।

-जबकि कुलपति पद के लिए प्रो. दिलीप कुमार ढुरेहा, प्रो. वासुमतारी और प्रो. एस. मुखर्जी ने आवेदन किया है और यही प्रबंध मंडल में सदस्य के रूप में उपस्थित थे इसलिए यह नियम विरुद्ध है। क्योंकि किसी भी अभ्यर्थी को यह अधिकार नहीं होता कि वह अपना चयनकर्ता स्वयं ही चुन ले।

-कुलपति पद के लिए विज्ञापित विज्ञापन के बिंदु क्रमांक पांच में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि अभ्यर्थी के पास कम से कम एक विशाल अनुसंधान परियोजना(मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट) होना चाहिए। लेकिन स्क्रूटनी के बाद जिन नामों को अंतिम रूप दिया गया है उनमें से अधिकांश के पास यह अनुसंधान नहीं है। उसके बाद भी उन्हें सूची में कैसे शामिल कर लिया गया।

इनका कहना है

कुलपति की नियुक्ति के लिए एक चयनकर्ता का नाम प्रस्तावित करने का अधिकार प्रबंध मंडल का था। मैं बतौर प्रभारी कुलपति बैठक में शामिल हुआ। मुझे नाम तय करने का कोई अधिकार नहीं है। वैसे भी कुलपति की नियुक्ति मंत्रालय द्वारा की जाती है।

-प्रो. एस. मुखर्जी, प्रभारी कुलपति, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान

मैं उस समय बतौर सचिव प्रबंध मंडल बैठक में शामिल हुआ था। जिसमें कुलपति चयन समिति के सदस्य का नाम नियमानुसार ही तय किया गया। सदस्यों को यह अधिकार है कि वे नाम प्रस्तावित कर सकते हैंं। जहां तक अभ्यर्थियों के बैठक में शामिल होने की बात है तो इस संबंध में मैं कुछ नहीं कह सकता।

-प्रो. एम.के. सिंह, तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान

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