ग्वालियर। चंबल के भरके और बीहड़ के साथ डकैतों की कर्मभूमि के लिए विख्यात मुरैना जिला एक बार फिर सुर्खी में आ रहा है। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद अब भाजपा व कांग्रेस के योध्दाओं के नाम सामने आने के साथ ही चुनावी घमासान कैसा होगा, इसके संकेत मिलने लगे हैं। भाजपा के प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर के सामने भाजपा के परंपरागत गढ़ बने इस संसदीय क्षेत्र को बचाने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को इस सीट पर कांग्रेस के 35 साल के सूखे को खत्म करने का जिम्मा मिला है। यह सीट अब मप्र की हॉट सीट में तब्दील होती नजर आ रही है।
चंबल अंचल की यह श्योपुर- मुरैना सीट भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती पार्टी जनसंघ व जनता पार्टी के लिए मुफीद रही है । 1971 में यहां से जनसंघ के हुकुमचंद कछवाय विजयी हुए थे । वहीं 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर छबिराम अर्गल सांसद चुने गए थे। इस संसदीय क्षेत्र पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 6 दफा जीत का परचम फहराया तो एक बार 1967 में स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में बाबू आतमदास भी चुनाव जीते। भाजपा के छबिराम अर्गल 1972 में दिमनी सीट से जनसंघ के टिकट पर विधायक भी चुने गए थे। अर्गल बाद में श्योपुर- मुरैना सीट से 89 में भी सांसद चुने गए थे। वहीं उनके सुपुत्र अशोक अर्गल मुरैना- श्योपुर सीट से 96, 98, 99 व 2004 में सांसद निर्वाचित हुए थे और मुरैना नगर निगम में महापौर भी रहे। वहीं 2009 में भाजपा ने भिण्ड- दतिया सीट से उम्मीदवार बनाया तो वहां भी जीत का परचम फहराया था ।
मुरैना-श्योपुर सीट के अनारक्षित होने के साथ ही 2009 में भाजपा ने ग्वालियर के नरेन्द्र सिंह तोमर को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में तोमर ने कांग्रेस के रामनिवास रावत को एक लाख से अधिक मतों से पराजित कर भाजपा की सीट को बरकरार रखा था। जबकि 2014 में भाजपा ने नरेन्द्र सिंह तोमर को ग्वालियर से टिकट देकर पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को मुरैना-श्योपुर से टिकट थमाया। श्री मिश्रा के सामने कांग्रेस के तेजतर्रार नेता लहार विधायक डा. गोविंद सिंह थे। इस चुनाव में कांग्रेस छोड़ बसपा के टिकट पर वृन्दावन सिंह सिकरवार चुनाव मैदान में उतर गए। नतीजा यह हुआ कि अनूप मिश्रा 1,32, 981 मतों से जीत हासिल कर सांसद निर्वाचित हुए। बसपा के वृन्दावन सिंह 2,42, 586 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। वहीं तीसरे स्थान पर रहे गोविंद सिंह को 1,84,259 वोट मिले थे। वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने अपने नेता नरेन्द्र तोमर को फिर मुरैना- श्योपुर सीट जीतने का जिम्मा दिया। तोमर पार्टी नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा उतरे। तोमर ने कांग्रेस के रामनिवास रावत को 1,13,981मतों से पराजित किया था। इस चुनाव मे बसपा उम्मीदवार को 1, 29, 380 वोट मिले थे।
भाजपा का तोमर पर विश्वास
भारतीय जनता पार्टी ने दिमनी के पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर पर भरोसा कर उन्हें भाजपा की परंपरागत सीट को बरकरार रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। तोमर यहां 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट के प्रमुख दावेदार थे। वह इसके पहले 2008 में भाजपा के टिकट पर दिमनी से ही विधायक चुने गए थे। वह 2018 में कांग्रेस के गिर्राज डंडोतिया से पराजित हुए थे। वहीं 2013 के चुनाव में तीसरे नबंर पर रहे थे। यहां गिर्राज डंडोतिया के भाजपा में आने के बाद 2020 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के रविन्द्र सिंह विजयी हुए थे । भाजपा ने 2023 के चुनाव में तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा । वह निर्वाचित हुए और मप्र विधानसभा के अध्यक्ष बनाए गए हैं। भाजपा से शिवमंगल सिंह के टिकट की घोषणा के साथ ही तोमर नेत्र गांव-गांव तक दस्तक देकर मतदाताओं के बीच पहुंचने का अभियान शुरू कर दिया। करीब एक माह में वह काफी मतदाताओं से संपर्क कर चुके हैं। मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के सांसद रहते कराए विकास कार्यों की गति बनाए रखने का वह भरोसा मतदाताओं को दे रहे हैं। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन सिंह यादव सोमवार को उनके पक्ष में सबलगढ़ के मोमचोन गांव में सभा कर आए हैं। यहां सुमावली के पूर्व कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह को उनके समर्थकों केसाथ भाजपा में शामिल कराकर कांग्रेस को झटका दिया है। वहीं साफ संकेत भी कि भाजपा अपनी सीट बरकरार रखने कोई कसर छोडऩे वाली नहीं है।
नीटू को भेदना है भाजपा का गढ़
कांग्रेस ने तमाम किंतु- परंतु के बाद आखिर पूर्व विधायक और जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सत्यपाल सिंह सिकरवार ‘नीटू’ को भाजपा के इस गढ़ को भेदने का जिम्मा सौंपा है। नीटू 2013 में भाजपा के टिकट पर यहां से विधायक चुने गए थे। वहीं उनके पिताश्री गजराज सिंह सिकरवार 1990 में जनता दल और 2003 में भाजपा के टिकट पर सुमावली से विधायक रह चुके हैं। नीटू के बड़े भाई सतीश सिंह सिकरवार 2020 में हुए उपचुनाव में और 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में ग्वालियर पूर्व से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए हैं। वहीं उनकी भाभी डा.शोभा सिकरवार ग्वालियर की महापौर हैं। सिकरवार परिवार मुरैना की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव रखता है। नीटू के चाचा वृन्दावन सिंह सिकरवार 2014 में कांग्रेस छोड़ बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वह इस चुनाव में 2,42, 586 वोट हासिल करने में सफल हुए थे। इन्हीं के सुपुत्र मानवेन्द्र सिंह गांधी भी राजनीति में दखल रख चुनाव लड़ चुके हैं। कुल मिलाकर चुनाव कैसे लड़ा जाता है और चुनाव मैनेजमेंट कैसे किया जाता है, इस का अच्छा अनुभव नीटू के परिवारजनों को है। अपने क्षेत्र के मतदाताओं के सुख- दुख में शामिल होना और सभी की मदद को तत्पर रहना और हरसंभव मदद करना इस परिवार की खासियत भी है। खैर , कांग्रेस ने देर से ही सही नीटू सिकरवार को टिकट देकर चुनाव को संघर्षपूर्ण और रोचक बना दिया है। शनिवार को टिकट का एलान होते ही रविवार को नीटू ने पूरे लाव लश्कर के साथ मुरैना कूच कर चुनाव कैसा होगा, इसके संकेत दे दिए। रविवार व सोमवार को उन्होंने क्षेत्र में अपनी आमद से राजनीतिक गलियारे को गर्मा दिया है। हालांकि पार्टी में उनको लेकर असंतोष के भी कुछ स्वर उभरे हैं। विधायक रामनिवास रावत ने अपनी नाखुशी जाहिर की है तो पूर्व विधायक अजब सिंह कुशवाह भाजपा में चले गए हैं। इस सबके बीच नीटू और उनकी टीम आत्मविश्वास से लवरेज है और इस बार भाजपा के गढ़ को भेदने का दावा कर रही है।
बसपा पर नजर
मुरैना- श्योपुर लोकसभा सीट पर बसपा का भी अपना वोट बैंक है। यहां से बसपा के टिकट पर विधायक भी निर्वाचित हुए हैं। वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार बलवीर सिंह दंडोतिया 1, 42, 707 मत हासिल कर चुके हैं। वर्ष 2014 में वृन्दावन सिंह सिकरवार 2,42, 586 वोट प्राप्त कर चुके हैं। वहीं 2019 में बसपा उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना 1,29 , 380 वोट प्राप्त कर चुके हैं। वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में 8 सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने डेढ़ से लाख से अधिक वोट हासिल किए हैं। दिमनी विधानसभा क्षेत्र में ही बसपा उम्मीदवार बलवीर सिंह दंडोतिया ने भाजपा के नरेन्द्र सिंह तोमर का मुकाबला करते हुए 54, 676 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे ये। भाजपा- कांग्रेस से क्षत्रीय उम्मीदवार मैदान में आने के बाद अब बसपा यहां ब्राह्मण या गुर्जर उम्मीदवार पर दांव लगाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है। अभी सभी की निगाहें बसपा पर लगी हुई हैं।
... और अंत में
मुरैना-श्योपुर सीट पर भाजपा को अपने नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राम मंदिर लहर के चलते जीत का भरोसा है। वहीं कांग्रेस को अपने युवा और संघर्षशील उम्मीदवार नीटू सिकरवार पर अपनी रणनीति और व्यवहार से भाजपा के गढ़ को भेदने का विश्वास है। इस बीच बसपा भी दो क्षत्रियों की लडा़ई में अपनी संभावनाओं को लेकर उम्मीद लगा रही है। फिलहाल राजनीतिक गलियारे में यह अटकलें शुरू हो गई हैं कि यहां का परिणाम चौंकाने वाला होगा।