भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए राजमाता लाईं थीं प्रस्ताव

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यपरिषद में उठाया था मुद्दा, बनी थी सर्वसम्मति

Update: 2020-08-04 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। रामनगरी अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन की वह शुभ घड़ी आ गई है और पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर लोगों में हर्ष है। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन की नींव में आधी आबादी भी बेहद सक्रिय भूमिका में रही है। पर्दे के आगे के साथ पीछे भी इनकी भूमिका हमेशा चरम पर रही है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर आंदोलन में महिला ब्रिगेड को प्रेरित करने वाली स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने बड़ा किरदार अदा किया। वह राम मंदिर आंदोलन में भी प्रणेता की भूमिका में रहीं। यहां तक की भाजपा की राष्ट्रीय कार्यपरिषद में मंदिर के लिए पहला प्रस्ताव स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया लाई थी, जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। आज मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है और इस आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ आमजन के लिए बेहद सुखद पल है। शायद राजमाता स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया को भी इसी सुखद पल का इंतजार था।

श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन में राजमाता जहां संयम की प्रतिमूर्ति थीं, वहीं उमा भारती के साथ साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं। इनके खिलाफ विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप लगे थे। राजमाता ने महिला ब्रिगेड का नेतृत्व किया और पुरुषों के साथ ही देशभर में महिलाओं ने भी आंदोलन चलाया। राजमात स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया के भाई एवं पूर्व मंत्री ध्यानेन्द्र सिंह बताते हैं कि विवादित ढाचा जब कारसेवकों ने ढहाया था उस समय राजमाता, आचार्य गिर्राज सिंह, उमा भारती, प्रमोद महाजन सहित अन्य नेता मंच पर ही मौजूद थे। उनके सामने ही ढाचा ढहा दिया गया। बाद में राजमाता स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया सहित अन्य नेताओं को चिनार किला में नजरबंद कर दिया गया। बाद में माताटीला डैम के अतिथि गृह में राजामाता, लालकृष्ण आडवाणी आदि नेताओं को रखा गया। राजमाता ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी 1989 में जब रथयात्रा लेकर निकले, तो राजमाता सिंधिया ने उसे पूरा सहयोग दिया। राजमाता का संघर्ष हमेशा याद रखा जाएगा।

आंदोलन के लिए महिलाओं को किया प्रेरित

पूर्व मंत्री श्रीमती माया सिंह बताती हैं कि जिस दिन विवादित ढाचा ढहाया गया था उस दिन मैं वहीं पर थी। राम मंदिर निर्माण की पूरी लड़ाई में राजमाता एक योद्धा की तरह आगे रहीं। वह महिलाओं की टुकडिय़ां अलग से बनाकर उन्हें आगे आने के लिए हमेशा प्रेरित करती थीं। मुझे आज भी याद है कि एक बार राजमाता ने कहा था कि राम मंदिर निर्माण के लिए महिलाओं की भी बड़ी भूमिका होगी। इसलिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को प्रेरित करें, ताकि वे किसी न किसी रूप में सहयोग कर सकें।


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