युवाओं के सपनों को उड़ान देता Gurukul Dream Foundation
गुरूकुल ड्रीम फाउंडेशन के संस्थापक आकाश बरूआ विद्यार्थियों को स्टार्टअप का रास्ता यानि खुद के टैलेंट को समझकर जॉब करने वाला नहीं, जॉब देने वाला बनने का रास्ता दिखा रहे हैं।
अपना करियर बनाने की मश्क्कत स्कूल लाइफ से शुरू हो जाती है। जिसका दूसरा पड़ाव कॉलेज होता है जहां से भविष्य आकार लेना शुरू कर देता है। लेकिन वही समय होता है, जहां से भटकाव शुरू हो जाता है। विद्यार्थियों को अपने करियर के लिए नहीं भटकना पड़े इसके लिए गुरूकुल ड्रीम फाउंडेशन के संस्थापक आकाश बरूआ विद्यार्थियों को स्टार्टअप का रास्ता यानि खुद के टैलेंट को समझकर जॉब करने वाला नहीं, जॉब देने वाला बनने का रास्ता दिखा रहे हैं। वह बताते हैं कि स्टार्टअप से रोजगार बढ़ेंगे और बेरोजगारी को दूर किया जा सकेगा। आकाश शहर के प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों को स्टार्टअप करने की काउंसलिंग और अन्य मदद भी करते हैं। उनका यह प्रयास सफल भी हो रहा है। विभिन्न सेक्टर्स में विद्यार्थियों ने 6 स्टार्टअप शुरू किये जो अच्छा रेवन्यू जनरेट भी कर रहे हैं।
गुरूकुल ड्रीम फाउंडेशन से जुड़े 800 स्टूडेंट -
गुरूकुल ड्रीम फाउंडेशन की शुरूआत 12 लोग से हुई थी, वर्तमान में 800 से ज्यादा स्टूडेंट्स जुड़े हुए हैं। आकाश के नेतृत्व में फाउंडेशन 8 साल से काम कर रही है। जो स्टूडेंट्स को करियर के अवसर दिला रही है। समय-समय पर वर्कशॉप, सेमिनार, स्टार्टअप क्लासेस आदि आयोजित करते हैं, इन कार्यक्रमों से जुड़कर विद्यार्थी बड़े-बड़े बिजनेसमेन, स्टार्टअप ऑनर, ट्रेनिंग आदि बिजनेस करने के तरीके सीखते है। उन्हें बिजनेसमेन से जुड़ने के अवसर भी मिलते हैं। इसके साथ हर रविवार को वर्कशॉप करते हैं।
हेल्प मी भईया प्रोजेक्ट -
फाउंडेशन हेल्प मी भईया प्रोजेक्ट चला रहे हैं। जिसके माध्यम से स्टूडेंट्स मेंटल हेल्थ, करियर, स्टार्टअप का चुनाव, हेल्थ संबंधी अन्य शहर से आने वाले विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करते हैं। स्टूडेंट्स को करियर में कम से कम मुश्किलों का सामना करना पड़े इसका विशेष ध्यान रखते हैं।
इन प्रोजेक्ट्स से दिखा रहे राह -
बिजनेस मिंत्रा -
आकाश अनुसार स्टूडेंट्स को बिजनेस करने का तरीका नहीं पता होता है। इस वजह से अपने करियर के साथ रिस्क लेना नहीं चाहते हैं। इसलिए हम स्टूडेंट्स को शून्य से बिजनेस शुरू करने वालों से मिलवाते हैं। बिजनेस मिंत्रा कार्यक्रम में सफल बिजनेस होल्डर को इंवाइट करते हैं जो बिजनेस शुरू करने में आने वाली परेशानी से लेकर फायदा तक के बारे में स्टूडेंट्स को बताकर मोटिवेट करते हैं। जिससे स्टूडेंट्स अपने कौशल को समझकर आईटी,कला, शिक्षा, मेन्युफैक्चर आदि क्षेत्रों में बिना डरे बिजनेस कर सकें।
कॉरपोरेट क्लासेस -
इन क्लासेस में स्टूडेंट्स एमएनसी कंपनी में नौकरी करने वाले एम्प्लॉयी से एमएनसी कंपनी के वर्किंग कल्चर और कांसेप्ट को समझते हैं। कंपनी में कई विभाग काम करते हैं, किसका क्या काम है और कैसे होता है, यह नए बिजनेस करने वाले को उसकी बारिकियां पता होना जरूरी है।
सफर नामा प्रोग्राम -
इस प्रोग्राम में स्टूडेंट्स स्वंय सवाल करके आईएएस,आईपीएस,बिग स्टार्टअप होल्डर,फेमस पर्सनलटी से उनसे उनकी सफल होने के यात्रा को सुनते हैं। उनसे न हार मानने की सीख लेते हैं। उनसे सफल होने के मंत्र लेते हैं। जिसका उपयोग वह अपने करियर को संवारने में करते हैं।
52 लोगों की टीम सपने कर रही पूरे -
52 लोगों की टीम इस फाउंडेशन को चला रही है। वह अपने खर्चों को कम कर, टीम का हर मेंबर प्रतिवर्ष हजार-हजार रूपए देकर स्टूडेंट्स के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं। जिससे स्टूडेंट्स शामिल होकर अपने कौशल को और भी निखार सकें। यह फाउंडेशन फिल्हाल ग्वालियर सहित इंदौर, भोपाल में कार्य कर रहे हैं। फाउंडेशन के 300 से ज्यादा बोर्ड मेंबर हैं। रतलाम, भोपाल, इंदौर, लखनऊ आदि जिलों में स्वंय का स्टार्टअप कर रहे लगभग 1500 स्टूडेंट्स गुरूकुल से जुडे़ हैं।
गुरूकुल से जुड़कर स्टूडेंट ने शुरू किए 5 स्टार्टअप -
बीटेक, बीबीए, बीएससी और बीकॉम स्ट्रीम के स्टूडेंट्स ने गुरूकुल से जुड़कर 5 स्टार्टअप शुरू किए हैं। गुरूकुल के प्लेटफार्म से जुड़कर अपने विजन को क्लियर कर हायर यू,ओ एंड अमेज इवेंट, मार्केटीजो, टीचिंग हब और ग्रेंड कम्पेनियन नाम से स्टार्टअप चल रहे हैं।
ऐसे जाने स्टार्टअप के काम -
हायर यूं - स्टूडेंट्स और अन्य की किसी भी संस्थान में छोटे से छोटे और बड़े से बड़े संस्थानों में नौकरी दिलवाना।
ओ एंड अमेज ईवेंट - कार्यक्रमों की व्यवस्था देखना यानि ईवेंट मैनेज करना।
टीचिंग हब - ऑनालाइन एजुकेशन प्रोवाइड कराना।
ग्रेंड कम्पेनियन - पैरेंट केयरिंग
मार्केटीजो - पीआर एजेंसी
शहर में 10 प्रतिशत स्टूडेंट का रूझान स्टार्टअप में -
फाउंडेशन संस्थापक आकाश बरूआ ने बताया कि,
स्टूडेंट्स को बचपन से ही सरकारी नौकरी की तैयारी करने की सलाह दी जाती है। इसलिए उसका नजरिया बिजनेस का नहीं बन पाता है। साथ ही जो स्टार्टअप करना चाहते हैं उन्हें बिजनेस का माहौल नहीं मिलता है। बिजनेस की सलाह लेने पर लोग रोक देते हैं। और रिस्क लेने के लिए फंड और ऑप्शन की कमी होती है। बैंक से लोन लेकर स्टार्टअप करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इसलिए स्टूडेंट नौकरी करना बेहतर समझता है।
स्टार्टअप के लिए नहीं लेना चाहते रिस्क, इसलिए ग्वालियर से 10 प्रतिशत स्टूडेंट स्टार्टअप करने के फेवर में