संकल्प से सिद्ध हुईं स्वयंसिद्धाएं, आंवला उत्पाद ने बनाई खास पहचान

Update: 2021-10-28 09:42 GMT

अत्यंत पारिवारिक वातावरण में समूह की महिलाएं उत्पाद का निर्माण भी करतीं हैं और उसका घर-घर, स्टाल के माध्यम से बिक्री भी करतीं हैं।

ग्वालियर/वेब डेस्क। संकल्प से सिद्धि यह एक सूत्र है।कोरोना काल की विभीषिका में ऐसा ही एक प्रयोग ने ग्वालियर में आकार लिया।राष्ट्रीय विचार से प्रेरित संगठन के विचार से प्रेरणा लेकर ऐसी महिलाएं जो स्वयं योग्य हैं, समर्थ हैं ,जिनके पास हुनर है पर कोई मंच नहीं है।ऐसी महिलाओं को स्वयंसिद्धा कहते हुए एक स्व सहायता समूह गठित किया शहर की सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमति महिमा तारे ने।आज यह समूह मात्र एक वर्ष का है पर इसकी उड़ान अब राजधानी तक है ।स्व सहायता समूह की महिलाओं ने न केवल घरेलू पारंपरिक व्यंजन बनाए उनकी घर घर जाकर बिक्री भी की।यहीं नहीं आँवले के विविध उत्पाद के निर्माण की प्रक्रिया भी स्वयं सीखी ओर सिखाई ।यही नही समूह केंचुआ खाद के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहन भी दे रहा है ।श्रीमती तारे ने कहा यात्रा अभी छोटी है पर इसमें अपार संभावनाएं हैं।

समूह द्वारा निर्मित आम का अचार 

उल्लेखनीय है कि स्वयंसिद्धा महिला स्व. सहायता समूह द्वारा आत्मनिर्भर हो भारत, देश व प्रदेश सरकार के सपने को साकार करते हुए कार्य कर रहा है।इसमें राज्य सरकार की ,केंद्र की योजनाओं का भी लाभ मिलेगा।यद्यपि समूह ने अभी कोई सरकारी सहायता नहीं ली है।पर जिलाधीश कौशलेंद्र विक्रम सिंह भी समूह की गतिविधियों से प्रभावित हैं।केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी एक प्रदर्शनी में समूह की गतिविधियों की सराहना कर चुके हैं। श्रीमति तारे ने बताया कि समूह में प्रमुख रूप से श्रीमती रेखा सबनीष, श्रीमती सारिका सप्रे और श्रीमती रंजना....कक्कड़ का विशेष सहयोग है। समूह में कई और महिलाएं भी सक्रिय हैं जो अपना योगदान देतीं हैं। समूह के सदस्य कहते हैं, रास्ता कठिन है पर उत्साह और विश्वास बना है। श्रीमती तारे के अनुसार यही हमारी उप्लाब्धि है।

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समूह राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत पंजीकृत है।समूह का प्रयास है कि जमीनी स्तर पर एक सार्थक कार्य खड़े किए जाएं ताकि महिलाएं स्वयं रोजगार सृजित कर सकें। समूह के सदस्य प्रतिदिन साथ में बैठते हैं और भविष्य की योजना पर विचार विमर्श करते हैं।यही कारण रहा कि गत वर्ष 5 किलो आँवला खरीद कर उत्पाद बनाने की शुरुवात की गई जो 500 किलो तक हुईं।इसके लिए समूह की महिलाओं ने कृषि विज्ञान केंद्र से विधिवत प्रशिक्षण लिया।केंद्र भी समूह के प्रयासों की प्रशंसा कर चुका है।

समूह के प्रमुख उत्पाद

पारम्परिक व्यंजन : कोल्हापुरी भाखरबडी, चकली, अनारसे, आइल फ्री नमकीन, अनारसे, गुजिया, मठरी, सेव

आँवला उत्पाद : आंवला बर्फी, आंबला सुपारी, आंबला का मुरब्बा, आंबला कैंडी, आँवला जूस, आँवला अचार


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