जिनको मिलना था अंगरक्षक वह जान हथेली पर रखकर जीने को मजबूर
चुनाव का समय है सुरक्षा किसको दी जाए समीक्षा की जाएगा
ग्वालियर। पुलिस का रुतवा दिखाकर भले ही कुछ लोगों ने अंगरक्षक साथ रखकर समाज में अपनी कॉलर ऊपर कर लिए हों लेकिन आज शहर में ऐसे भी लोग हैं जो हर दिन बदमाशों की धमकियों और उनके हमले का सामना कर रहे हैं। जिनको वास्तव में पुलिस पहरे की आवश्यकता है वह गुहार लगाते लगाते उनके जूते तक घिस गए लेेकिन पुलिस सुरक्षा तो क्या आश्वासन भी नहीं मिला। यह दोहरा बर्ताव क्यों है इसको लेकर अधिकारियों की अलग अलग राय है।
मुरार सदर बाजार के रहने वाले महावीर जैन सराफा व कपड़ा कारोबारी हैं। बड़ागांव में उनकी जमीन है। जमीन पर कब्जा करने के लिए महावीर जैन उनके बेटे आकाश पर राजेश यादव, सुभाष यादव और रामवरन ने प्राणघातक हमला किया था। उन्होंने विद्यालय में छिपकर बड़ी मुशिकल से अपनी जान बचाई थी। इसके बाद कारोबारी को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही है। पीडि़त कारोबारी पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक और मुख्यमंत्री तक से अपनी जान की रक्षा के लिए अंगरक्षक की गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी आजतक कोई सुनवाई नहीं हुई। तो वहीं शहर के चर्चित अक्षया यादव हत्याकांड के आरोपियों द्वारा अक्षया की हत्या में गवाह करुणा शर्मा पर लगातार हमले हो रहे हैं। 27 फरवरी को बदमाशों ने करुणा शर्मा पर उस समय गोलियां चलाई थीं जब वह विद्यालय जा रही थीं। करुणा और उनके परिवार को भी पुलिस अंगरक्षक की अति आवश्यकता थी लेकिन उनको एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था उसके बाद भी उनको अंगरक्षक नहीं मिल सके थे। जब पुलिस को लगने लगा कि वास्तव में जान का खतरा है तो मजबूरी में सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए। ऐसे शहर के अन्य लोग है जो पुलिस अधीक्षक कार्यालय के चक्कर लगाकर अंगरक्षक की मांग करते करते थक चुके हैं।
धमकिया मिल रही हैं
महावीर जैन का कहना है कि मैं और मेरा परिवार आज भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं। बदमाश अलग अलग नाम से जान से मारने की धमकियां देते हैं। मुख्यमंत्री तक से पुलिस अंगरक्षक देने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन आज तक हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जान हथेली पर रखकर काम करने के लिए मजबूर हैं।
लडक़र ली सुरक्षा, अब हर रोज पूछा जा रहा है जरुरत है
करुणा शर्मा का कहना है कि मेरे ऊपर न जाने कितने बार हमले हो चुके है। सुरक्षाकर्मी देने के लिए 15-20 आवेदन देेना पड़े, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई। लड़ लडक़र हमको अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षा लेनी पड़ी। कुछ आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं और गोलियां चलाने वाले भी घूूम रहे हैं। अब थाने से आकर हर रोज पूछा जा रहा है कि आपको सुरक्षा की आवश्यकता है। हम खतरों के बीच सांस लेते हैं और इधर सुरक्षा के लिए बार-बार पूछा जा रहा है।
चुनाव का समय है सुरक्षा किसको दी जाए समीक्षा की जाएगा
पुलिस महानिरीक्षक अरविंद कुमार सक्सेना का कहना है कि अभी चारों पुलिस अधीक्षक से जानकारी मंगवाई है कि कब से किसको किस आधार पर सुरक्षा दी गई है। जब सुरक्षा दी गई थी जब और अब क्या स्थिति में है और उसमें क्या परिवर्तन आए हैं। पुलिस सुरक्षा देने के मामले में अब पुलिस मुख्यालय आकलन कर रहा है और वहा ंपर रिपोर्ट भी भेजना है। जिनको पुलिस मुख्यालय से और जिन्हे पुलिस अधीक्षक ने सुरक्षा दी है उनका आकलन किया जाएगा कि सुरक्षा रखी जाना चाहिए है या नहीं। उसके बाद जो आवश्यक लग रहा है जिसने सुरक्षा की मांग की है उसे सुरक्षा दी जाए। वैसे अभी चुनाव का समय है और पुलिसकर्मियों की काफी आवश्यकता पड़ती है तो जिनके सुरक्षा में सुरक्षाकर्मी लगे थे उनको वापस बुलाया जा रहा है। जो लोग सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए सुरक्षाकर्मी रखते हैं उनसे अब सुरक्षा हटाई जा रही है।
न्यायालय की फटकार के बाद इनसे छीनी गई सुरक्षा
न्यायालय ने महलगांव निवासी संजय शर्मा उनके भाई दिलीप शर्मा को मिली सुरक्षा पर पुलिस को फटकार लगाई थी और उनके ऊपर दो करोड़ से ज्यादा राशि चुकाने का आदेश भी किया था। बाद में पुलिस ने संजय व दिलीन शर्मा, भाजपा नेता पप्पन शर्मा, कमल माखीजानी, विश्वनाथ सालुंके, डॉ. प्रमोद पहाडिय़ा, विक्रम रावत की पत्नी, गौरव महाराज, लाखनसिंह, आदि से सुरक्षा वापस ले ली है।