इंदौर में सड़क हादसे में युवक ब्रेन डेड, परिजनों ने दान किए अंग, दो लोगों का मिला नया जीवन

Update: 2024-03-01 15:26 GMT

इंदौर। देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अंगदान के मामले में भी पीछे नहीं है। यहां शुक्रवार को एक बार फिर ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। सड़क हादसे में युवक की मौत के बाद परिजनों ने अंगदान का निर्णय लिया। इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंगों को प्रत्यारोपण के लिए दो अलग-अलग अस्पताल पहुंचाया गया, जिससे दो लोगों को नई जिंदगी मिली। इंदौर में पिछले आठ वर्षों यह 53वां ग्रीन कॉरिडोर था।

जानकारी के अनुसार देवास के रहने वाले देवांश जोशी गत 27 फरवरी को अपने दोस्तों के साथ अयोध्या राम मंदिर दर्शन के लिए निकला था लेकिन रास्ते में वह सड़क हादसे का शिकार हो गया। देवांश की असामयिक मौत के बाद परिजनों ने उसके लीवर एवं किडनी को दान करने का निर्णय लिया। इससे दो जिंदगियों को नया जीवन दिया। शुक्रवार दोपहर 12.36 बजे इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर देवांश के लीवर को चोइथराम अस्पताल भेजा गया और बाम्बे हास्पिटल में किडनी अन्य मरीज को प्रत्यारोपित की गई। तीन दिन में शहर में यह दूसरा ग्रीन कॉरिडोर बना। इससे पहले 27 फरवरी को यहां ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक ब्रेनडेथ महिला के अंगों को विभिन्न अस्पताल भेजा गया था। इससे तीन लोगों को नई जिंदगी मिली थी।

गौरतलब है कि देवास निवासी 21 वर्षीय देवांश पुत्र चंद्रमणि जोशी इंदौर के एसजीएसआईटीएस में इंजीनियरिंग कोर्स के द्वितीय वर्ष का छात्र था। वह अपने 11 दोस्तों के साथ 27 फरवरी को देवास से अयोध्या स्थित राम मंदिर दर्शन के लिए पैदल यात्रा पर निकला था। गत 28 फरवरी की रात सांची (भोपाल के समीप) के आगे अज्ञात वाहन ने देवांश को टक्कर मार दी। इसके बाद दोस्त उसे भोपाल के निजी अस्पताल लेकर गए और फिर वहां से इलाज के लिए उसे इंदौर के बांबे अस्पताल लेकर आए।

इंदौर के बाम्बे अस्पताल में चार सदस्यीय चिकित्सक दल ने देवांश का पहला ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन 29 फरवरी की रात 1.35 और दूसरा डेथ सर्टिफिकेट शुक्रवार सुबह 7.25 बजे जारी किया। मुस्कान ग्रुप पारमार्थिक ट्रस्ट के जीतू बगानी ने बताया कि ट्रस्ट के संदीपन आर्य के साथ परिजनों से अंगदान के लिए कहा गया। जिस पर मृतक देवांश की माता रश्मि जोशी व अन्य ने सहमति दी। इसके बाद दोपहर 12.36 बजे बांबे अस्पताल से चोइथराम अस्पताल के लिए ग्रीन कॉरिडोर बना। 16 मिनट में यह कॉरिडोर पूरा हुआ। इस दौरान डॉ. दिलीप सिंह चौहान, डॉ. अमित जोशी, डॉ. संतोष आहूजा आदि ने भूमिका निभाई। 

जीतू बगानी ने बताया कि मृतक देवांश को जन्म से एक ही किडनी थी, जिसे बांबे अस्पताल में पंजीकृत 42 वर्षीय महिला रोगी को प्रत्यारोपित की गई। वहीं लीवर चोइथराम अस्पताल में पंजीकृत रोगी को प्रत्यारोपित की गई। इसके साथ आंखों को शंकरा आई अस्पताल और त्वचा स्किन बैंक चोइथराम में दी गई। दिल भी दान किया जाना था लेकिन दिल 30 फीसदी ही काम कर रहा था, इसलिए दान नहीं हो सका। परिजन हाथ भी दान करना चाहते थे लेकिन तकनीकी कारणों से नहीं हो सका। 

एमजीएम मेडिकल कालेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि अंगदान की एक निश्चित प्रक्रिया है। सड़क हादसे में घायल युवक को 29 फरवरी को बॉम्बे अस्पताल लाया गया था। शुक्रवार को सुबह युवक को मृत घोषित करने के बाद परिजनों की स्वीकृति लेकर अंगदान की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद शहर में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंगों को अस्पताल पहुंचाया गया।

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