खनन माफियाओं की मनमानी: स्वदेश के साथ हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत से खास बातचीत में जबरदस्त खुलासा…
पर्यावरण और ज़िंदगियों पर संकट;

अनिता चौधरी, नई दिल्ली: उत्तराखंड के हरिद्वार से बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को संसद के पटल पर उत्तराखंड में खनन माफियाओं की मनमानी का मुद्दा उठाया था और इस पर कारवाई की मांग की थी।
इस मुद्दे पर शुक्रवार को स्वदेश के साथ अपनी विशेष बात चीत में उन्होंने खहन कि माफियाओं की उत्तराखंड में मनमानी और प्रशासन और अधिकारियों की मिलीभगत न सिर्फ राज्य के लिए बल्कि पर्यावरण और मासूम ज़िंदगियों के लिए भी खतरा है। यह मुद्दा उत्तराखंड के लिए एक ज्वलंत और संवेदनशील मुद्दा बनाता जा रहा है।
सांसद रावत ने अपनी बात-चीत में इस भ्रष्टाचार पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, "यह बेहद संवेदनशील मसला है, क्योंकि यह सीधे पर्यावरण से जुड़ा है। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने का हक किसी को नहीं है।" सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले कुछ सालों के अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि खनन वाहनों की वजह से अनगिनत मौतें हुई हैं।
उन्होंने हाल ही की एक दिल दहला देने वाली घटना का जिक्र किया,और कहा कि "चार दिन पहले ही एक घर के दो मुखिया खनन वाहनों की चपेट में आकर मारे गए। ये वो लोग थे, जो अपने परिवार की रोजी-रोटी का इकलौता सहारा थे।"
हमसे बात करते हुए उन्होंने अधिकारियों और प्रशासन से सवाल किया कि खनह के लिए दिन की एक समय सीमा निर्धारित है जो शाम ढलने के बाद खनन कि अनुमति नहीं देती है लेकिन रात भर ये कौन सि खनन उत्तरखंड में हो रही है जिसकी जानकारी आम लोगों को तो है मगर अधिकारियों को नहीं है ?
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक और दुखद घटना का उल्लेख किया। हरिद्वार में खनन के लिए खोदे गए गड्ढे में बारिश का पानी भर गया, जिसमें एक 15 साल के इकलौते बेटे की डूबकर मौत हो गई। उन्होंने कहा कि ये माफिया नदियों के साथ साथ खेतों तक को खोद दे रहे हैं जिससे खेतों में नदी के पानी के साथ मगरमच्छ तक आ जा रहे हैं और हाँड़पम्प में पानी की बंद तक नहीं आ रही है । 15 साल के उस बच्चे कि मौत यह हादसा इतना दर्दनाक था कि लड़के के माता-पिता ने हरिद्वार में अपना घर-कारोबार सब छोड़ दिया और बाहर चले गए।
रावत ने कहा, "ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। गंगा और उसकी सहायक नदियों में अवैध खनन की वजह से हालात बेकाबू हो रहे हैं। खनन माफिया बेखौफ होकर प्रकृति और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं । इसी वजह से मजबूर हो कर यह मामला सदन में जनता की आवाज बन कर हमने उठाई।"
हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किसानों की पीड़ा को भी सामने रखा। उन्होंने बताया कि किसानों ने उनसे व्यक्तिगत शिकायत की है कि खनन माफिया उनकी निजी और सामुदायिक जमीन को बिना अनुमति के खोद ले जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के सदन में उठाए गए इस मुद्दे के बाद उत्तराखंड के कई अधिकारियों का बयान आ चुका है और वो किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इनकार कर रहे हैं । उनका कहाँ है कि खनन क्षेत्र में उत्तराखंड में जो भी हो रहा है वो सब कानून के अंतर्गत हो रहा है।
हमने अधिकारियों के इस बयान पर जब त्रिवेंद्र सिंह रावत से सवाल पूछे तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, उनके पास ये बोलने के अलावा कोई विलकल्प नहीं है उन्होंने साफ कहा, कि "निश्चित रूप से, अधिकारियों की मिलीभगत के बिना खनन माफिया इतने बेखौफ नहीं हो सकते।"इस पूरे मामले में प्रशासन पूरी तरह से दोषी है ।
उन्होंने ये भी कहा कि उनकी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात हुई। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि अवैध खनन पर रोक लगेगी, लेकिन रावत के मुताबिक, जितनी सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए, वैसा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, "कुछ हद तक रोक जरूर लगी है, लेकिन यह काफी नहीं है। मैं एक बार फिर मुख्यमंत्री से इस पर गंभीरता से बात जरूर करूंगा।" लेकिन प्रशानिक तौर पर अधिकारियों पर कारवाई जरूरी है क्योंकि सरकारें बस नियम बनती हैं उनको क्रियान्वित करने काम प्रशासन का होता है।