दुनिया के आश्चर्यो में से एक : एलोरा का कैलाश मंदिर

Update: 2020-08-29 13:01 GMT

स्वदेश वेबडेस्क।  कैलाश मंदिर संसार में अनूठा मंदिर है।जोकि ताजमहल से सैकड़ों साल पहले 40 हजार टन पत्थर काटकर बनाया गया था।  इसके निर्माण में करीब 20 साल लगे। साधारण तौर पर किसी भी भवन का निर्माण नीचे से ऊपर की ओर किया जाता है। लेकिन कैलाश मंदिर ऊपर से नीचे समूचा पहाड़ काटकर बनाया गया 13 मंजिली गुफा निर्माण पद्धति भारत के अलावा और कही नही है।

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आश्चर्यों में से एक - 

इस मंदिर को आधिकारिक तौर पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आश्चर्यों में से एक है, जिसे आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं किया गया है।लेकिन एलोरा में कैलाश मंदिर की महानता से कोई इंकार नहीं कर सकता है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से लगभग 30 किमी दूर स्थित एलोरा का रॉक-गुफा मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी अखंड संरचना है। यह मंदिर यहाँ स्थित 32 गुफा मंदिरों और मठों में से एक है जो भव्य एलोरा गुफाओं का निर्माण करता है।जिसमें से सौलहवीं गुफा ही कैलाश मंदिर है, ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, यह 8 वीं शताब्दी के राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम द्वारा वर्ष 756 और 773 ईस्वी के बीच बनाया गया था। इसके अलावा, गैर-राष्ट्रकूट शैली के मंदिर पास-पास स्थित पल्लव और चालुक्य कलाकारों की भागीदारी को दर्शाता है। यह माना जाता है कि कैलाश मंदिर बनाने में कर्णाटक के विरुपाक्ष मंदिर के वास्तुकारों ने योगदान दिया। इतिहासविदों का मानना है की विरुपाक्ष मंदिर के डिजाइन के आधार ही इस मंदिर को बनाया गया है।  इस मंदिर के वास्तुकारों और यह देखते हुए कि वास्तुकारों के पास पहले से ही डिजाइन और मॉडल तैयार था।  

पुरातत्वविदों की गणना के अनुसार मंदिर निर्माण को पूरा करने में करीब सौ साल से अधिक का समय लगा होगा। लेकिन ऐतिहासिक तथ्यों से मिली जानकारी से साबित होता है की मंदिर का निर्माण करीब 20 साल में पूरा हुआ है। हजारों साल पहले बिना किसी आधुनि,  तकनीक के इस मंदिर का निर्माण होना आज के वास्तुकारों के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। 

कैलाश पर्वत के अनुरूप -

एलोरा में कैलाश मंदिर को शिव के रहस्यमय निवास  कैलाश पर्वत के अनुरूप बनाया गया था। तत्कालीन शासकों ने इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव के निवास स्थल कैलाश पर्वत से प्रेरित होकर बनाया था।  इसलिए इसका नाम भी कैलाश मंदिर रखा गया।

औरंगजेब का असफल प्रयास -

इस मंदिर ने निर्माण के बाद से विभिन्न युग और शासक देखें है।हिन्दू मंदिरों के दुश्मन के नाम से कुख्यात मुगल शासक औरंगजेब का कहर इस मंदिर पर भी पड़ा। हिन्दू चिन्हों को क्षति पहुंचाने वाले इस शासक ने मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था। लेकिन वह अपने इस कार्य में सफल नहीं हो सका।औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए एक हजार सैनिक लगाए थे, जिन्होंने तीन सालों तक लगातार खुदाई कर इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकें। हालांकि उसने मंदिर की नक्काशी और मूर्तियों को ही क्षति पहुंचा पाया।   


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