Panchagni Akhada: महाकुंभ में शामिल पंचाग्नि अखाड़े की कहानी है बेहद दिलचस्प, जहां सिर्फ ब्राह्मणों को दी जाती है शिक्षा
Panchagni Akhada: महाकुंभ में शामिल होने वाले पंचाग्नि अखाड़े की जानें पूरी कहानी l
Panchagni Akhada: पंचाग्नि अखाड़ा उन 13 अखाड़ों में से एक है जो महाकुंभ में शामिल होने के लिए आता है l प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ लगने जा रहा है l जिसमें देश भर से शामिल होने 13 अखाड़े आ रहे हैं l उसी में से एक है पंचाग्नि अखाड़ा l जिसकी स्थापना 1136 ईस्वी काल में हुई थी ऐसी जानकारी इसके बारे में मिली है l ये अखाड़ा अपने इष्टदेव भगवती गायत्री को मानते हैं l इस अखाड़े का मुख्यालय वाराणसी है l बता दें कि पंचाग्नि अखाड़ा शैव संप्रदाय का है l जिसकी इतिहास काफी दिलचस्प है l
इस पंचाग्नि अखाड़े के जो सदस्य होते है वो चारों पीठों के शंकराचार्य, बह्मचारी, साधु और महामंडलेश्वर ही होते हैं l इस अखाड़े की शाखाएं प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और जूनागढ़ में स्थित हैं l
पंचाग्नि अखाड़े में केवल ब्राह्मणों को दीक्षा
बता दें कि पंचाग्नि अखाड़े को 28 श्री महंत और 16 सदस्यों की टीम मिलकर चलाती है l इस अखाड़े की खास बात ये है कि इसमें सिर्फ ब्राह्मणों को ही दीक्षा दी जाती है l इस अखाड़े के जो साधु संत होते हैं उन्हें तंत्र साधना का बड़ा अच्छा ज्ञान होता है l इस अखाड़े से हमेशा से शिक्षा को काफी महत्व दिया है l जिसकी वजह से इन्होने दर्जनों स्कूल और कॉलेज खोले हैं l इस अखाड़े ने नेपाल और राजस्थान के कई गांवों को गोद भी लिया है जिसका पूरा देखभाल यही करते हैं l इसे अखाड़े की आचार्य गादी अमरकंटक के मार्कंंडेय आश्रम में हैं l
पंचाग्नि अखाड़े का उद्देश्य
इस अखाड़े को चतुर्नाम्ना ब्रह्मचारियों का अखाड़ा माना जाता है l और इसके जो साधु संत होते हैं वो धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं l इस अखाड़े का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों को कायम रखना, धर्म का प्रचार करना और समाज में शिक्षा का प्रसार करना ही इसका बड़ा उद्देश्य हैं l