एक सन्त के पास 30 सेवक रहते थे। एक सेवक ने गुरुजी के आगे प्रार्थना की - महाराज जी! मेरी बहन की शादी को आज एक महीना रह गया है तो मैं दस दिन के लिए वहाँ जाऊँगा। कृपा करें! आप भी साथ चलें तो अच्छी बात है।
गुरु जी ने कहा - बेटा देखो समय बताएगा। नहीं तो तेरे को तो हम जानें ही देंगे। उस सेवक ने बीच-बीच में इशारा गुरु जी की तरफ किया कि गुरुजी कुछ ना कुछ मेरी मदद कर दें। आखिर वह दिन नजदीक आ गया सेवक ने कहा, गुरुजी कल सुबह जाऊँगा मैं।
गुरु जी ने कहा - ठीक है बेटा!
सुबह हो गई जब सेवक जाने लगा तो गुरु जी ने उसे 5 किलो अनार दिए और कहा - ले जा बेटा भगवान तेरी बहन की शादी खूब धूमधाम से करें दुनिया याद करें कि ऐसी शादी तो हमने कभी देखी ही नहीं और साथ में दो सेवक भेज दिये जाओ तुम शादी पूरी करके आ जाना।
जब सेवक घर से निकले 100 किलोमीटर गए तो जिसकी बहन की शादी थी वह सेवक दूसरों से बोला - गुरु जी को पता ही था कि मेरी बहन की शादी है, और हमारे पास कुछ भी नहीं है, फिर भी गुरु जी ने मेरी मदद नहीं की। दो-तीन दिन के बाद वह अपने घर पहुँच गया। उसका घर राजस्थान के रेतीली इलाके में था वहाँ कोई फसल नहीं होती थी। वहाँ के राजा की लड़की बीमार हो गई तो वैद्यजी ने बताया कि, इस लड़की को अनार के साथ यह दवाई दी जाएगी तो यह लड़की ठीक हो जाएगी। राजा ने मुनादी करवा रखी थी कि, अगर किसी के पास आनार है तो राजा उसे बहुत इनाम देंगे।
इधर मुनादी वाले ने आवाज लगाई, अगर किसी के पास अनार है तो जल्दी आ जाओ, राजा को अनारों की सख्त जरूरत है। जब यह आवाज उन सेवकों के कानों में पड़ी तो वह सेवक उस मुनादी वाले के पास गए और कहा कि हमारे पास अनार है, चलो राजा जी के पास। राजाजी को अनार दिए गए अनार का रस निकाला गया और लड़की को दवाई दी गई तो लड़की ठीक-ठाक हो गई। राजा जी ने पूछा - तुम कहाँ से आए हो, तो उसने सारी हकीकत बता दी।
राजा ने कहा - ठीक है तुम्हारी बहन की शादी मैं करूँगा। राजा जी ने हुकुम दिया कि - ऐसी शादी होनी चाहिए जिसे देखकर लोग यह कहे कि यह राजा की लड़की की शादी है। सब बारातियों को सोने-चांदी के गहने के उपहार दिए गए बारात की सेवा बहुत अच्छी हुई लड़की को बहुत सारा धन दिया गया। लड़की भी राजी खुशी विदा होकर चली गई। सेवक सोचने लगे कि, गुरु की महिमा गुरु ही जाने। हम ना जाने क्या-क्या सोच रहे थे गुरु जी के बारे में। गुरु जी के वचन थे जा बेटा तेरी बहन की शादी ऐसी होगी कि दुनिया देखेगी। सन्त वचन हमेशा सच होते हैं। सन्तों के वचन के अन्दर ताकत होती है लेकिन हम नहीं समझते। जो भी वह वचन निकालते हैं वह सिद्ध हो जाता है। हमें सन्तों के वचनों के ऊपर अमल करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए ना जाने सन्त मौज में आकर क्या दे दें और रंक से राजा बना दें।