जो काम दुनिया के किसी देश की सरकारें नहीं कर पाती, वो काम देश के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक मुकेश अंबानी ने भारत में कर दिया। अपने बेटे अनंत की शादी में मुकेश भाई ने ना सिर्फ बॉलीवुड को एक स्टेज पर ला दिया, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े बिजनेसमैन को भी भारतीय शादी में शामिल करवा दिया। फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क, माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स, मॉर्गन स्टेनली सीईओ टेड पिक, डिज्नी सीईओ बॉब इगर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी इवांका ट्रम्प, ब्लैकरॉक सीईओ लैरी फिंक, एडनॉक सीईओ सुल्तान अहमद अल जाबेर, इनके अलावा ईएल रोथ्सचाइल्ड के चेयरमैन लिन फॉरेस्टर डी रोथ्सचाइल्ड, एडोब के सीईओ शांतनु नारायण और टेक इन्वेस्टर यूरी मिलनर गुजरात के जामनगर पहुंचे। दुनियाभर के विदेशी अरबपतियों का मेला, बिजनेस चर्चा के अलावा कभी कभार ही देखने को मिलता है। लेकिन मुकेश भाई ने दिखा दिया कि वो ना सिर्फ अच्छे बिजनेसमैन है, बल्कि एक अच्छे होस्ट भी हैं।
चुनावों में विपक्ष से ज्य़ादा डीपफेक का डर: लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार को कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से ज्य़ादा डीपफेक और एआई का डर है। जोकि व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर किसी भी पार्टी के खिलाफ माहौल बना सकते हैं। इसलिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को डीपफेक और एआई से सावधान रहने की हिदायत दी है। चुनाव आयोग ने भी टेक कंपनियों से डीप फेक और एआई से चुनावों को प्रभावित करने की आशंका वाली कंपनियों को इसपर रोक लगाने के लिए कहा है। बीजेपी के एक बड़े नेता पार्टी कार्यालय में यह कहते हुए पाए गए कि अगर कोई झूठा विडियो (डीपफेक) सोशल मीडिया पर चल जाता है तो पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की पूरी एनर्जी उस वीडियो को ही गलत बताने में लग जाती है।
शेयर बाजार में मची है लूट: शेयर मार्केट में भारी तेज़ी को देखते हुए निवेशकों से पैसे लेकर उन्हें अपने शेयर बेचने वाली कंपनियों की लाइन लग गई है। ऐसी करीब 80 कंपनियां अपने इश्यू के साथ तैयार हैं, जोकि निवेशकों से लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपये ही जुटाना चाहती हैं। शेयर बाज़ार की तेजी को देखते हुए मारामारी इतनी है कि लगभग हर दिन कोई ना कोई कंपनी अपने पब्लिक इश्यू की घोषणा कर रही है। ऐसे में इन कंपनियों के इश्यू को सब्सक्राइब कराने वाली इवेस्टमेंट कंपनियों की चांदी हो गई है। कोरोना के बाद जिस तरह लंबे समय तक इंवेस्टमेंट बैंकर्स के पास काम की कमी थी, वो अब तेज़ी में बदल गई है।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)