अनुचित व्यापार प्रथा पर अंकुशका प्रावधान

राकेश शिवहरे

Update: 2024-03-03 20:28 GMT

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में ई - कॉमर्स/ऑनलाइन खरीदी अंर्तगत सेवा में कमी किए जाने पर अंकुश लगाने, शिकायत करने का प्रावधान नहीं था। भारत सरकार ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में आमूलचूल संशोधन करते हुए ई -कॉमर्स अर्थात ऑनलाइन खरीदी में की जा रही गड़बड़ी एवम अनुचित व्यापार व्यवहार पर अंकुश लगाने के लिए नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू किया गया जिसमें अनेक उपभोक्ता हित संरक्षण के प्रावधान लागू किए गए जिसमें ई-कॉमर्स अर्थात ऑनलाइन खरीदी की अनुचित व्यापार व्यवहार पर रोक लगाने का कानून बनाया गया। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 94 और 95 में यह प्रावधान किया गया है।

ई- वाणिज्य अर्थात ऑनलाइन खरीदी में कुछ संस्थाओं को छोड़ कर अनेक ऑनलाइन संस्था सस्ते का लालच देकर गड़बड़ एवम चालफरेबी कर उपभोक्ताओं को सेवा में कमी कर रहे है।इस सब पर कानून बना कर इनके खिलाफ भी उपभोक्ता आयोग में शिकायत करने का प्रावधान किया गया। अनुचित व्यापार व्यवहार के प्रकरण में जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग के मान. अध्यक्ष एवं सदस्य गण जहा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अधिकारिता से कार्यवाही करते है वही उसके अधिकारी और कर्मचारी केंद्रीय प्राधिकरण के मुख्य आयुक्त, आयुक्त और महानिदेशक आदि कर्मचारी और अधिकारी इस अधिनियम के अधीन कर्तव्य का पालन करने वाले व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंधों के किसी उपबंध के अनुसरण में कार्य करते हुए कार्य करने का आधार रखते हुए भारतीय दंड संहिता 1860 (1860 या 45) की धारा 21 के अंतर्गत लोक सेवक समझे जाएंगे जो अधिनियम अंतर्गत अधिकृत रूप से कार्य करने का अधिकार होता है। इस लिए अब उपभोक्ता जागरूक रह कर अपने अधिकारों अर्थात फरेब होने पर उपभोक्ता आयोग में विधिवत सेवा में कमी की शिकायत करने पर न्याय प्राप्त कर सकेंगे ।

(लेखक उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ न्यायिक सदस्य हैं)

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