हमारी बात नहीं सुनेगी तो सरकार में नहीं रहूंगा: मसूद

सिंधिया का सरकार से टकराव के बीच दो कांग्रेसी विधायकों ने दिखाए बगावती तेवर

Update: 2020-02-18 08:47 GMT

भोपाल, विशेष संवाददाता। प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा वचन पत्र का पालन नहीं किए जाने पर जहां पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच विवाद सामने आया है तो वहीं प्रदेश सरकार के दो विधायकों ने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्क्ष रूप से अपनी ही सरकार को धमकी दे डाली है।

प्रदेश की राजधानी की भोपाल मध्य विधानसभा के विधायक आरिफ मसूद ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की अधिसूचना प्रकाशित की है वह गलत है। इस तरह अगर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अगर एनपीआर की अधिसूचना जारी कर प्रदेश में एनपीआर लागू करती है तो वह उसका खुला विरोध करेंगे। विधायक मसूद ने यहां तक कहा कि अगर हमारी ही सरकार हमारी बात नहीं सुनती है तो वह ऐसी सरकार में नहीं रहेंगे। मसूद ने कहा कि वह दिग्विजय सिंह सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं और एनपीआर का विरोध कर रहे प्रतिनिधि मण्डल के साथ जाकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे तथा एनपीआर की अधिसूचना निरस्त किए जाने की मांग करेंगे। अगर फिर भी सरकार एनपीआर कराने का निर्णय लेती है तो वह भोपाल में इसके खिलाफ आंदोलन चलाएंगे। विधायक मसूद ने बताया कि 24 से 29 फरवरी के बीच किसी भी एक दिन एनआरसी, सीएए और एनपीआर के खिलाफ सभी जिलों की भोपाल में बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में मप्र में बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी। मसूद ने बताया कि वह इसी सप्ताह से घर-घर एक स्लोगन लिखवाएंगे कि एनपीआर के लिए अधिकारी के पहुंचने पर 'हम कागज नहीं दिखाएंगे'।

कांग्रेस को उप चुनाव में होगा मंत्री नहीं बनाने का नुकसान : कंसाना

मंत्री नहीं बनाए जाने पर पिछले वर्ष बगावती तेवर दिखा चुके पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक मुरैना जिले के सुमावली से विधायक ऐदल सिंह कंसाना ने एक बार फिर से बगावत का बिगुल फूंगा है। प्रदेश सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने से वह सरकार से नाराज चल रहे कंसाना ने एक टीवी चैनल से चर्चा में कहा कि मुरैना जिले से 6 विधायक होने के बावजूद मंत्रीमण्डल में एक भी विधायक को मंत्री पद नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने उन्हें मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिया था। लेकिन उनके कनिष्ठ विधायकों को मंत्रीमंडल में स्थान दे दिया गया और वह विधायक ही रह गए। उन्होंने कहा कि इसका नुकसान जौरा उप चुनाव में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। कंसाना ने यहां तक कहा कि अब वह सिर्फ राजा (दिग्विजय सिंह) की बात सुनेंगे। राजा जो कहेंगे, वह मानेंगे। 

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