Damoh Fake Doctor: कौन है डॉ. बनकर बेवकूफ बनाने वाला नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन कैम जॉन

डॉ. बनकर बेवकूफ बनाने वाला नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन कैम जॉन
Damoh Fake Doctor : मध्यप्रदेश। दमोह में सालों से एक फर्जी व्यक्ति डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज करता रहा लेकिन प्रशासन के कानों में जू नहीं रेंगी। खुद को ब्रिटिश मूल का बताने वाला यह जालसाज दमोह के मिशनरी स्कूल में न केवल लोगों की जान से खेलता था बल्कि सोशल मीडिया पर उलझलूल टिप्पणी भी किया करता था। जब इसके गलत इलाज से सात लोगों की मौत हो गई तब इस मामले का खुलासा हुआ। अब यह जानकारी सामने आई है कि, इस फर्जी डॉ. का नाम एन कैम जॉन नहीं बल्कि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव था।
मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दखल के बाद दमोह के प्रशासनिक अमले में हड़कम्प मच गया है। दमोह में अब इस मामले की जांच NHRC करेगा। कैंप लगाकर लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे लेकिन सवाल अब भी वही है आखिर क्यों सालों से यह फर्जी पुलिस - प्रशासन की नजरों से बचा रहा।
फर्जी डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन कैम जॉन साल 2019 से लगातार विवादों में है। बावजूद इसके न कभी इसके कागजों का सत्यापन हुआ न इसके खिलाफ कोई जांच हुई। धड़ल्ले से यह फर्जी डॉ. लोगों के ऑपरेशन करता रहा और CMHO न जाने कौनसी दुनिया में थे।
डॉ नरेंद्र यादव उर्फ़ एन कैम जॉन धोखाधड़ी के मामले में हुआ था गिरफ़्तार :
तेलंगाना की रचकोंडा पुलिस का 2019 का एक ट्वीट दमोह मामले के बाद वायरल है। इसके अनुसार नरेंद्र यादव को चीटिंग के चलते गिरफ्तार किया गया था। 30 अप्रैल 2019 को कुशाईगुड़ा पीएस एसएचओ को डॉ. खाजा फैजोद्दीन के पुत्र रुखमुद्दीन से शिकायत मिली थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि 100 से अधिक व्यक्तियों के साथ पोलोमी अस्पताल, कुशाईगुड़ा में विभिन्न विंग में काम कर रहे हैं। 1 जनवरी 2019 को ब्राउनवाल्ड हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने मौजूदा प्रबंधन यानी पार्थ सारथी से अस्पताल का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया। उसी दिन नरेंद्र विक्रमादित्य यादव और उनकी पत्नी दिव्या रावत ने ब्राउनवाल्ड हॉस्पिटल्स में नियमित पे रोल और नियुक्ति पत्र दिए।
इसके अलावा 1 जनवरी 2019 से नए कर्मचारियों को भी नियुक्त किया गया जब कर्मचारियों ने अपना वेतन मांगा, तो उन्होंने बिना कोई कारण बताए और कोई नोटिस अवधि प्रदान किए बिना उन्हें अस्पताल से जाने को कहा। साथ ही उन्होंने कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा जमा राशि के फरवरी 2019 के वेतन से 10% राशि अवैध रूप से काट ली और अर्जित सकल पर 10% का वेतन काट लिया। इसके अलावा फरवरी-2019 का वेतन भी उन कर्मचारियों को नहीं दिया गया, जिन्होंने मार्च-2019 में इस्तीफा दे दिया था। जब कर्मचारियों ने उनसे सवाल करने की कोशिश की, तो उन्होंने बाउंसरों का इस्तेमाल किया और उन्हें वेतन मांगने के लिए अस्पताल के अंदर न जाने देने की धमकी दी। अप्रैल 2019 का वेतन भी कर्मचारियों को अभी तक नहीं दिया गया है। इसके अलावा 18 अप्रैल 2019 को शिकायतकर्ता अन्य सभी कर्मचारियों के साथ चेयरमैन के घर पहुंचे, इस बीच उन्होंने सभी भुगतान जारी करने का वादा किया लेकिन कर्मचारियों को आश्चर्यचकित करते हुए नरेंद्र विक्रमादित्य यादव और उसकी पत्नी दिव्या रावत दोनों धोखाधड़ी करके 28 अप्रैल 2019 को फरार हो गए।
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने खुद को सीनियर इंटवेंशनलिस्ट कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) बताते हुए विजिटिंग कार्ड भी बनाया है। नरेंद्र विक्रमादित्य यादव कोविद के समय भोपाल के एक डॉ. को मेल करके कार्डियोवास्कुलर डिजीज से जुड़ा सेंटर खोलने के लिए मेल भी किया था।
साल 2023 में योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी :
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव जो खुद को एन कैम जॉन बताता था, ने साल 2023 में फ्रांस में हुए दंगों के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को वहां भेजने के लिए भी कहा था। योगी आदित्यनाथ कार्यालय के एक्स अकाउंट से उसे जवाब भी दिया गया था। इसके अलावा यह फर्जी डॉक्टर कांग्रेस की आलोचना करना और विवादित टिप्पणी करने का काम भी किया करता था।
बहरहाल यह फर्जी डॉ. फरार है और अब प्रशासनिक अमला जांच की बात कह रहा है। जिस अस्पताल में साल 2024 से 25 के बीच सात लोगों की मौत होने का दावा किया जा रहा है वहां के प्रबंधन का कहना है कि, गलत डाटा शेयर किया जा रहा है। लोगों को गैस जैसी सामान्य सी दिक्कत होने पर भी उनका हार्ट 90 पेसेंट ब्लॉक बताया गया। ऑपरेशन के कुछ ही घंटों में मरीज की मौत हो गई। मिशनरी अस्पताल में इलाज करवाने गए लोगों का अयुष्मान कार्ड से इलाज किया गया। ऐसे में न केवल सरकारी पैसे का गलत उपयोग हुआ बल्कि निर्दोष लोगों की जान भी चली गई।